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राष्ट्रकवि दिनकर की 111वीं जयंती के मौके पर मुजफ्फरपुर पहुंची गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा - Muzaffarpur latest news

सोमवार को शहर के एलएस कॉलेज परिसर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 111वीं जयंती मनाई गई. जहां सामासिक चेतना के कवि दिनकर विषय पर सेमिनार का आयोजन भी किया गया. जहां देश के विभिन्न भागों से आए कवियों ने हिंदी के उत्थान में दिनकर के योगदान को याद किया.

गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने किया रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा का अनावरण
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Published : Sep 23, 2019, 10:57 PM IST

मुजफ्फरपुर: शहर के एलएस कॉलेज परिसर में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 111वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया. इसके साथ ही उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर बने पार्क का भी उद्घाटन किया.

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कार्यक्रम को उद्घाटन करतीं गोवा की राज्यपाल

सामासिक चेतना के कवि दिनकर विषय पर सेमिनार
सोमवार को शहर के एलएस कॉलेज परिसर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 111वीं जयंती मनाई गई. जहां सामाजिक चेतना के कवि दिनकर विषय पर सेमिनार का आयोजन भी किया गया. जहां देश के विभिन्न भागों से आए कवियों ने हिंदी के उत्थान में दिनकर के योगदान को याद किया.

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गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा

1950-52 के मध्य में उनके अध्यापन की चर्चा भी की गई. मौके पर नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा, बिहार विवि के कुलपति डॉ आरके मंडल, प्राचार्य प्रो. ओपी राय आदि मौजूद थे.

गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने किया रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा का अनावरण

1952 में दिनकर ने की थी रश्मिरथी की रचना
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को बेगूसराय के सिमरिया में हुआ था. 67 साल पहले उन्होंने 'रश्मिरथी' की यहीं रचना की थी. 1952 में प्रकाशित हुई इस रचना में उन्होंने कर्ण को महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नई भूमि पर खड़ा कर दिया. इसमें दिनकर ने कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया है.

मुजफ्फरपुर: शहर के एलएस कॉलेज परिसर में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 111वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया. इसके साथ ही उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर बने पार्क का भी उद्घाटन किया.

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कार्यक्रम को उद्घाटन करतीं गोवा की राज्यपाल

सामासिक चेतना के कवि दिनकर विषय पर सेमिनार
सोमवार को शहर के एलएस कॉलेज परिसर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 111वीं जयंती मनाई गई. जहां सामाजिक चेतना के कवि दिनकर विषय पर सेमिनार का आयोजन भी किया गया. जहां देश के विभिन्न भागों से आए कवियों ने हिंदी के उत्थान में दिनकर के योगदान को याद किया.

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गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा

1950-52 के मध्य में उनके अध्यापन की चर्चा भी की गई. मौके पर नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा, बिहार विवि के कुलपति डॉ आरके मंडल, प्राचार्य प्रो. ओपी राय आदि मौजूद थे.

गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने किया रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा का अनावरण

1952 में दिनकर ने की थी रश्मिरथी की रचना
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को बेगूसराय के सिमरिया में हुआ था. 67 साल पहले उन्होंने 'रश्मिरथी' की यहीं रचना की थी. 1952 में प्रकाशित हुई इस रचना में उन्होंने कर्ण को महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नई भूमि पर खड़ा कर दिया. इसमें दिनकर ने कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया है.

Intro:मुज़फ्फरपुर के एलएस कॉलेज में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्हाेंने रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर ही एक पार्क का भी उद्घाटन किया। इसके बाद सामासिक चेतना के कवि दिनकरविषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।Body:राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 111वीं जयंती सोमवार को एलएस काॅलेज प्रांगण में मनाई गई। इस अवसर पर गोवा की राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्हाेंने रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर ही एक पार्क का भी उद्घाटन किया। इसके बाद 'सामासिक चेतना के कवि दिनकर'विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान 1950-52 के मध्य उनके अध्यापन की चर्चा वक्ताओं ने की। देश के विभिन्न भागों से आए कवियों ने हिंदी के उत्थान में उनके योगदान को याद किया। इस सेमिनार का उद्घाटन भी गोवा की राज्यपाल ने ही किया। मौके पर नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा, बिहार विवि के कुलपति डॉ आरके मंडल, प्राचार्य प्रो ओपी राय आदि मौजूद थे।  
Byte मृदुला सिन्हा ,राज्यपाल गोवा । Conclusion: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की सोमवार को 111वीं जयंती है। दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को बेगूसराय के सिमरिया में हुआ था। 67 साल पहले उन्होंने 'रश्मिरथी' की यहीं रचना की थी। तब वे लंगट सिंह महाविद्यालय में शिक्षक (1950 से 1952 तक) रहे थे। 1952 में प्रकाशित हुई 'रश्मिरथी', जिसका अर्थ 'सूर्य की सारथी' है, उसमें उन्होंने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नई भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। 'रश्मिरथी' में दिनकर ने कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया है।
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