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मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, लोगों से अपील- बच्चों का रखें विशेष ख्याल

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (Chamki Bukhar in Muzaffarpur) से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. न केवल अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था की गई है, बल्कि इसको लेकर लगातार जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है. जिला सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी कमल सिंह ने बताया कि अबतक केवल 4 केस ही सामने आए हैं. जिनमें से 3 इलाज के बाद घर लौट चुके हैं. हालांकि एक मासूम की मौत हो गई.

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार
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Published : Mar 27, 2022, 8:44 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (Chamki Bukhar in Muzaffarpur) के अबतक 4 केस सामने आए हैं, जबकि एक बच्चे की मौत हो गई है. चमकी बुखार को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी पंचायत स्तर पर पहुंच चुकी है. जिस वजह से पिछले वर्ष की तरह इस साल भी अब तक राहत भरी खबर है. श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आंकड़ों की मानें तो अब तक कुल चार बच्चे चमकी बुखार ग्रसित भर्ती हुए थे. जिसमें से एक बच्चे में जापानी इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई थी. वहीं एक बच्चे की मौत हुई है, जो सीतामढ़ी का रहने वाला था. कुल मिलाकर भर्ती सभी बच्चों में 3 बच्चे सही सलामत ठीक होने के बाद वापस घर भेजे जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें: बिहार में चमकी बुखार ने दी दस्तक, मुजफ्फरपुर में दो बच्चे अस्पताल में भर्ती

चमकी पर प्रहार के लिए तैयारी: मुजफ्फरपुर के सभी 385 पंचायतों में सभी अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जिसमें एक पंचायत एक अधिकारी के हवाले किया गया है. इस पंचायत के विभिन्न गांव में लोगों को चमकी बुखार से जागरूक करने से लेकर बच्चों के रखरखाव पर विशेष ध्यान रखने के लिए कई तरह के अभियान चलाने का भी निर्देश दिया गया. जिसमें नुक्कड़ नाटक से लेकर प्रचार प्रसार अभियान भी शामिल है.

लगातार चलाया जा रहा है जागरुकता अभियान : कहा जा सकता है कि एईएस/चमकी बुखार (AES In Bihar) के केस में हाल के दिनों में कमी जरूर आई है लेकिन इससे निजात नहीं मिल पायी है. स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन की टीम लगातार गांव-गांव जागरुकता अभियान चलाई. यह कहा जा सकता है कि जागरुकता अभियान चलाने के बाद थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन यह बीमारी मुजफ्फरपुर से खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में चमकी बुखार को लेकर बच्चों का खासा ख्याल रखने की जरूरत है.

अभिभावकों से विशेष अपील: जिला सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी कमल सिंह ने बताया कि अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) जिसे हम चमकी बुखार भी कहते हैं, उसके अब तक चार मामले ही सामने आए हैं. जिसमें से 3 बच्चे बिल्कुल ठीक होकर घर जा चुके हैं. वहीं एक बच्चे की जनवरी माह में मौत हुई थी. दूसरी ओर जिला प्रशासन की मुकम्मल तैयारी है. सभी सुदूर ग्रामीण इलाकों में गांव-गांव तक प्रशासन की नजर है. लोगों से भी आग्रह है कि अपने बच्चे का विशेष ख्याल रखना है.

चमकी बुखार के लक्षण : इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं. साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना. अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.

इन बातों का रखें ध्यान : बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है. ओझा से झाड़फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को जाएं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें. बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें. रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें. बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.


ये भी पढ़ें: चमकी बुखार से ऐसे बचाएं मासूमों की जान, जानें लक्षण और बचाव का तरीका

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मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (Chamki Bukhar in Muzaffarpur) के अबतक 4 केस सामने आए हैं, जबकि एक बच्चे की मौत हो गई है. चमकी बुखार को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी पंचायत स्तर पर पहुंच चुकी है. जिस वजह से पिछले वर्ष की तरह इस साल भी अब तक राहत भरी खबर है. श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आंकड़ों की मानें तो अब तक कुल चार बच्चे चमकी बुखार ग्रसित भर्ती हुए थे. जिसमें से एक बच्चे में जापानी इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई थी. वहीं एक बच्चे की मौत हुई है, जो सीतामढ़ी का रहने वाला था. कुल मिलाकर भर्ती सभी बच्चों में 3 बच्चे सही सलामत ठीक होने के बाद वापस घर भेजे जा चुके हैं.

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चमकी पर प्रहार के लिए तैयारी: मुजफ्फरपुर के सभी 385 पंचायतों में सभी अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जिसमें एक पंचायत एक अधिकारी के हवाले किया गया है. इस पंचायत के विभिन्न गांव में लोगों को चमकी बुखार से जागरूक करने से लेकर बच्चों के रखरखाव पर विशेष ध्यान रखने के लिए कई तरह के अभियान चलाने का भी निर्देश दिया गया. जिसमें नुक्कड़ नाटक से लेकर प्रचार प्रसार अभियान भी शामिल है.

लगातार चलाया जा रहा है जागरुकता अभियान : कहा जा सकता है कि एईएस/चमकी बुखार (AES In Bihar) के केस में हाल के दिनों में कमी जरूर आई है लेकिन इससे निजात नहीं मिल पायी है. स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन की टीम लगातार गांव-गांव जागरुकता अभियान चलाई. यह कहा जा सकता है कि जागरुकता अभियान चलाने के बाद थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन यह बीमारी मुजफ्फरपुर से खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में चमकी बुखार को लेकर बच्चों का खासा ख्याल रखने की जरूरत है.

अभिभावकों से विशेष अपील: जिला सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी कमल सिंह ने बताया कि अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) जिसे हम चमकी बुखार भी कहते हैं, उसके अब तक चार मामले ही सामने आए हैं. जिसमें से 3 बच्चे बिल्कुल ठीक होकर घर जा चुके हैं. वहीं एक बच्चे की जनवरी माह में मौत हुई थी. दूसरी ओर जिला प्रशासन की मुकम्मल तैयारी है. सभी सुदूर ग्रामीण इलाकों में गांव-गांव तक प्रशासन की नजर है. लोगों से भी आग्रह है कि अपने बच्चे का विशेष ख्याल रखना है.

चमकी बुखार के लक्षण : इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं. साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना. अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.

इन बातों का रखें ध्यान : बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है. ओझा से झाड़फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को जाएं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें. बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें. रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें. बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.


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