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एक कमरे में दो स्कूल, उसमें भी भरा नाली का पानी, बच्चे मंदिर में पढ़ने को मजबूर

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक कमरे में दो स्कूल चल रहे हैं. रूम में भी बारिश के दिनों में नाली का पानी भर जाता है. बच्चों को पास स्थित एक मंदिर में पढ़ने जाना पड़ता है. पढ़ें पूरी खबर...

Muzaffarpur school condition
मुजफ्फरपुर के स्कूल की हालत
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Published : Sep 23, 2021, 7:22 AM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार सरकार राज्य में शिक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था (Education System of Bihar) के दावे करती है. जमीन पर इन दावों की हकीकत क्या है इसकी बानगी मुजफ्फरपुर में देखी जा सकती है. प्रशासनिक उदासीनता के चलते मुजफ्फरपुर के शहरी इलाके में प्राथमिक विद्यालय (Primary School in Muzaffarpur) दम तोड़ने लगे हैं.

यह भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर ब्लास्ट मामला: पति की हत्या के आरोप में महिला और उसका प्रेमी गिरफ्तार

अगर यकीन नहीं हो तो मुजफ्फरपुर निगम क्षेत्र के बीचोबीच स्थित गुदरी बाजार के बहलखाना चले आइए. जहां बिहार के शिक्षा विभाग के दावों के उलट एक सड़े और बदबूदार कमरे में संचालित एक नहीं बल्कि दो प्राथमिक विद्यालय नजर आएंगे. स्कूल की स्थिति देखकर पहले तो आपको लगेगा कि यह कोई विद्यालय ही नहीं है, लेकिन जर्जर कमरे की दीवारों पर दोनों विद्यालय के नाम देखकर आपको यकीन हो जाएगा.

देखें रिपोर्ट

ऐसा नहीं है कि इन विद्यालयों का संचालन महज कागजों पर होता है. एक कमरे के दो विद्यालय की स्थिति ऐसी नहीं है कि इसमें कक्षाओं का संचालन हो सके. फिलहाल पठन-पाठन पास मौजूद एक मंदिर के परिसर से हो रहा है. यहां बच्चे जुटते हैं फिर वहीं पर बैठकर एक शिक्षिका बच्चों को पढ़ाती हैं. विद्यालय की स्थिति से वरीय अधिकारी भी वाकिफ हैं.

शिक्षक कई बार अपने वरीय अधिकारियों को विद्यालय के खराब हालत से अवगत करा चुके हैं. इसके बाद भी किसी अधिकारी ने नरक बने इन विद्यालयों की सुध नहीं ली, जिससे लंबे समय से स्थिति यथावत बनी हुई है. जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि ऐसे प्राथमिक विद्यालय जो भवनहीन और भूमिहीन थे, उन्हें चिह्नित कर दूसरे बड़े विद्यालयों के साथ जोड़ दिया गया है. यह मामला संज्ञान में आया है. इसको देख रहे हैं. जल्द ही विद्यालय की समस्या को दूर करने की दिशा में पहल की जाएगी.

"हर साल बारिश के मौसम में इस स्कूल में नाली का पानी आ जाता है. बच्चे स्कूल में नहीं पढ़ पाते हैं. मंदिर में पढ़ाई होती है. मैं यहां करीब पांच साल से रह रहा हूं तब से यही स्थिति देख रहा हूं."- मोहम्मद फिरोज, स्थानीय निवासी, बहलखाना, गुदरी

"बरसात के मौसम में मैं बच्चों को मंदिर में पढ़ाती हूं. गर्मी और सर्दी में स्कूल में पढ़ाई होती है. स्कूल की हालत जर्जर है. एक ही रूम में पढ़ाई, ऑफिशियल काम और खाना भी बनता है. काफी परेशानी होती है."- हिना खातून, शिक्षिका, राजकीय प्राथमिक मध्य विद्यायल, बहलखाना

"नगर क्षेत्र में बहुत से ऐसे विद्यालय हैं जहां जगह का घोर अभाव है. भवन भी नहीं है. इस बार बरसात में जो भी पुराने भवन थे काफी जर्जर हो गए हैं. मैं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दे रहा हूं कि जांच कर वैकल्पिक व्यवस्था की जाये ताकि ऐसे विद्यालय में कोई दुर्घटना नहीं हो."- अब्दुल सलाम अंसारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर

यह भी पढ़ें- 'तारकिशोर पर कार्रवाई से क्यों डरते हैं मुख्यमंत्री', सगे-संबंधी को 53 करोड़ का ठेका देने पर तेजस्वी ने उठाए सवाल

मुजफ्फरपुर: बिहार सरकार राज्य में शिक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था (Education System of Bihar) के दावे करती है. जमीन पर इन दावों की हकीकत क्या है इसकी बानगी मुजफ्फरपुर में देखी जा सकती है. प्रशासनिक उदासीनता के चलते मुजफ्फरपुर के शहरी इलाके में प्राथमिक विद्यालय (Primary School in Muzaffarpur) दम तोड़ने लगे हैं.

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अगर यकीन नहीं हो तो मुजफ्फरपुर निगम क्षेत्र के बीचोबीच स्थित गुदरी बाजार के बहलखाना चले आइए. जहां बिहार के शिक्षा विभाग के दावों के उलट एक सड़े और बदबूदार कमरे में संचालित एक नहीं बल्कि दो प्राथमिक विद्यालय नजर आएंगे. स्कूल की स्थिति देखकर पहले तो आपको लगेगा कि यह कोई विद्यालय ही नहीं है, लेकिन जर्जर कमरे की दीवारों पर दोनों विद्यालय के नाम देखकर आपको यकीन हो जाएगा.

देखें रिपोर्ट

ऐसा नहीं है कि इन विद्यालयों का संचालन महज कागजों पर होता है. एक कमरे के दो विद्यालय की स्थिति ऐसी नहीं है कि इसमें कक्षाओं का संचालन हो सके. फिलहाल पठन-पाठन पास मौजूद एक मंदिर के परिसर से हो रहा है. यहां बच्चे जुटते हैं फिर वहीं पर बैठकर एक शिक्षिका बच्चों को पढ़ाती हैं. विद्यालय की स्थिति से वरीय अधिकारी भी वाकिफ हैं.

शिक्षक कई बार अपने वरीय अधिकारियों को विद्यालय के खराब हालत से अवगत करा चुके हैं. इसके बाद भी किसी अधिकारी ने नरक बने इन विद्यालयों की सुध नहीं ली, जिससे लंबे समय से स्थिति यथावत बनी हुई है. जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि ऐसे प्राथमिक विद्यालय जो भवनहीन और भूमिहीन थे, उन्हें चिह्नित कर दूसरे बड़े विद्यालयों के साथ जोड़ दिया गया है. यह मामला संज्ञान में आया है. इसको देख रहे हैं. जल्द ही विद्यालय की समस्या को दूर करने की दिशा में पहल की जाएगी.

"हर साल बारिश के मौसम में इस स्कूल में नाली का पानी आ जाता है. बच्चे स्कूल में नहीं पढ़ पाते हैं. मंदिर में पढ़ाई होती है. मैं यहां करीब पांच साल से रह रहा हूं तब से यही स्थिति देख रहा हूं."- मोहम्मद फिरोज, स्थानीय निवासी, बहलखाना, गुदरी

"बरसात के मौसम में मैं बच्चों को मंदिर में पढ़ाती हूं. गर्मी और सर्दी में स्कूल में पढ़ाई होती है. स्कूल की हालत जर्जर है. एक ही रूम में पढ़ाई, ऑफिशियल काम और खाना भी बनता है. काफी परेशानी होती है."- हिना खातून, शिक्षिका, राजकीय प्राथमिक मध्य विद्यायल, बहलखाना

"नगर क्षेत्र में बहुत से ऐसे विद्यालय हैं जहां जगह का घोर अभाव है. भवन भी नहीं है. इस बार बरसात में जो भी पुराने भवन थे काफी जर्जर हो गए हैं. मैं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दे रहा हूं कि जांच कर वैकल्पिक व्यवस्था की जाये ताकि ऐसे विद्यालय में कोई दुर्घटना नहीं हो."- अब्दुल सलाम अंसारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर

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