मुजफ्फरपुरः बिहार के मुजफ्फपुर में शराब के धंधेबाज शराब तस्करी के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं, लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी उत्पाद विभाग की टीम ने शराब छुपाने के एक नायाब तरीके का भंडाफोड़ कर दिया है. दरअसल मामला गोबरसही स्थित फरदो के समीप एक पोखर के पास का है. जहां 12 चक्का कंटेनर ट्रक में पशु आहार के बीच बने तहखाना से करीब से शराब बरामद की गई. इसकी कीमत करीब 1 करोड़ आंकी जा रही है. पुलिस ने ट्रक और दो पिकअप को जब्त किया है.
पशु आहार के बीच में रखा था शराब: उत्पाद इंस्पेक्टर कुमार अभिनव ने बताया की शहर के गोबरसही स्थित फरदो के समीप एक पोखर के पास 12 चक्का कंटेनर ट्रक खड़ी थी. उसके पास दो पिक अप गाड़ी भी लगी थी. शराब अनलोडिंग का कार्य हो रहा था. इसकी गुप्त सूचना पुलिस को मिली. सूचना के आधार पर टीम गठित हुई. इसके बाद मौके पर पहुंचकर छापेमारी की गई. मौके से शराब धंधेबाज फरार हो गए. शराब की पूरी खेप पकड़ी गई.
स्कैनर से बचने के लिए लगाए थे प्लाईवुड: उन्होंने बताया कि उत्पाद की टीम शराब पकड़ने के लिए स्कैनर का इस्तेमाल करती है.अब स्कैनर से बचने के लिए कारोबारी नए तकनीक लगा रहे है. उन्होंने बताया की ट्रक पर पशु आहार लदा था. उसके भीतर तहखाना बनाकर शराब की खेप रखी गई थी. स्कैनर से बचने के लिए दो प्लाई वुड भी लगाए गए थे, ताकि स्कैनर शराब को रीड नही कर सकें. ट्रक और पिक अप को जब्त कर थाने ले गई है.
"पुलिस ने कंटेनर ट्रक से एक करोड़ रुपये का शराब जब्त की गई. शराब पशु आहार के बीज तहखाना में रखा गया था. तस्कर स्कैनर से बचने के लिए प्लाईवुड लगाकर रखा था. पुलिस ट्रक के साथ दो पिकअफ भी जब्त किये है." -कुमार अभिनव, उत्पाद इंस्पेक्टर
स्कैनर से जांच कराई जायेगी: उन्होंने कहा की स्कैनर से ट्रक की दोबारा जांच की जाएगी. ताकि पता चल सके की प्लाई लगाने से यह काम करता है कि नहीं. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. जब्त शराब चंडीगढ़ निर्मित है. जब्त वाहन के नंबर के आधार पर उसके मालिक का सत्यापन किया जा रहा है. फिलहाल मामला दर्ज कर जांच की जा रही है.
चोरी छुपे आती है शराब की खेप: आपको बता दें कि बिहार के ज्यादातर जिलों में शराब की तस्करी बड़े पैमाने पर जारी है. ये शराब बिहार के बगल के प्रदेशों से मंगाई जाती है और फिर आम और खास लोगों को सप्लाई की जाती है. शराब भले ही बिहार में बैन हो लेकिन चोरी छुपे इसकी खेप रोजाना बिहार में आती है, बिहार सरकार ने भी स्वीकार किया है कि शराब बाहर से आ रही है, लेकिन इस पर रोक लगाने के लिए जिला के बॉर्डर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती. यही वजह है कि शराब बिहार में कभी बंद नहीं हुई.