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मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के आंकड़ों में फिर इजाफा.. SKMCH में 3 बच्चे भर्ती, ऐसे रखें बच्चों का ख्याल - Doctor Gopal Shankar Sahni

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (Chamki Bukhar in Muzaffarpur) की आफत फिर से बढ़ने लगी है. अब तक 11 मामले सामने आ चुके हैं. जिनमें से अभी तीन बच्चों का इलाज चल रहा है. वहीं चमकी बुखार के चार सस्पेक्टेड बच्चे भी हैं. इन बच्चों में चमकी बुखार के लक्षण मिले हैं. लेकिन डॉक्टरों ने अभी तक पुष्टि नहीं की है. पढ़ें पूरी खबर..

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार
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Published : Apr 10, 2022, 5:29 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (AES Cases in muzaffarpur) के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं. गर्मी बढ़ने के साथ ही चमकी बुखार के आंकाड़ों में भी इजाफा हो रहा है. श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज (SKMCH) के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार पीकू वार्ड में अभी तीन बच्चे भर्ती हैं. इस साल चमकी बुखार के अब तक 11 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से सात बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके है, जबकि सीतामढ़ी के एक बच्चे की मौत हो गई थी.

यह भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, लोगों से अपील- बच्चों का रखें विशेष ख्याल

चार सस्पेक्टेड बच्चे अस्पताल में भर्ती: अस्पताल में चमकी बुखार के चार सस्पेक्टेड बच्चे भी भर्ती है. इनमें चमकी बुखार से मिलते जुलते लक्षण पाए गए हैं. लेकिन डॉक्टरों ने अभी तक पुष्टि नहीं की है. फिलहाल इनका इलाज दूसरे वार्ड में चल रहा है. एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गोपाल शंकर साहनी (Doctor Gopal Shankar Sahni) ने कहा कि तीन बच्चे पीकू वार्ड में भर्ती हैं. जिनका इलाज चल रहा है, फिलहाल सभी ठीक हैं. वहीं चार सस्पेक्टेड बच्चे भी हैं, इनको निगरानी में रखा गया है.

चमकी बुखार के लक्षण: इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.

जानिए क्या हैं इसके उपचार: पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें. बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें. रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें. बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.

इन बातों का रखें ध्यान : बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है. ओझा से झाड़-फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को जाएं.

यह भी पढ़ें: चमकी बुखार से ऐसे बचाएं मासूमों की जान, जानें लक्षण और बचाव का तरीका

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मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (AES Cases in muzaffarpur) के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं. गर्मी बढ़ने के साथ ही चमकी बुखार के आंकाड़ों में भी इजाफा हो रहा है. श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज (SKMCH) के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार पीकू वार्ड में अभी तीन बच्चे भर्ती हैं. इस साल चमकी बुखार के अब तक 11 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से सात बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके है, जबकि सीतामढ़ी के एक बच्चे की मौत हो गई थी.

यह भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, लोगों से अपील- बच्चों का रखें विशेष ख्याल

चार सस्पेक्टेड बच्चे अस्पताल में भर्ती: अस्पताल में चमकी बुखार के चार सस्पेक्टेड बच्चे भी भर्ती है. इनमें चमकी बुखार से मिलते जुलते लक्षण पाए गए हैं. लेकिन डॉक्टरों ने अभी तक पुष्टि नहीं की है. फिलहाल इनका इलाज दूसरे वार्ड में चल रहा है. एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गोपाल शंकर साहनी (Doctor Gopal Shankar Sahni) ने कहा कि तीन बच्चे पीकू वार्ड में भर्ती हैं. जिनका इलाज चल रहा है, फिलहाल सभी ठीक हैं. वहीं चार सस्पेक्टेड बच्चे भी हैं, इनको निगरानी में रखा गया है.

चमकी बुखार के लक्षण: इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.

जानिए क्या हैं इसके उपचार: पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें. बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें. रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें. बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.

इन बातों का रखें ध्यान : बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है. ओझा से झाड़-फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को जाएं.

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