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नीतीश के मंत्री बोले- जब होली-दिवाली में तेज गति से लाउड स्पीकर बजाने पर रोक.. तो मस्जिद पर क्यों नहीं

जनक राम ने कहा कि अगर कानून और संविधान का हवाला देकर एक समुदाय को रोका जाता है तो कहीं ना कहीं मस्जिदों पर भी लाउड स्पीकर को लेकर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये जनता की मांग है कि तेज आवाज को रोका जाए और एक मंत्री होने के नेता मैं जनता की आवाज के साथ हूं.

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Published : Apr 7, 2022, 6:19 PM IST

Updated : Apr 7, 2022, 7:50 PM IST

मुजफ्फरपुर: मस्जिद पर लाउड स्पीकर (Loudspeaker at Mosque) लगाए जाने का विवाद पूरे देश में छाया हुआ है. सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता इसको लेकर बयानबाजी कर रहे हैं. बिहार सरकार के मंत्री जनक राम (Minister Janak Ram) ने भी मस्जिद पर लाउड स्पीकर लगाने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी जाति या घर्म हो, सभी को संविधान और कानून का पालन करना चाहिए. अगर हिंदू अपने पर्व-त्योहार को दौरान इसका पालन करते हैं दो दूसरों को भी ऐसा ही करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: Maharashtra Azaan : शिवसेना बोली- गृह मंत्री नोटिस जारी कर चुके हैं, जामा मस्जिद के अध्यक्ष का दावा- ध्वनि प्रदूषण नहीं

बोचहां विधानसभा उपचुनाव को लेकर मुजफ्फरपुर पहुंचे मंत्री जनक राम से मस्जिद में लाउड स्पीकर बजाने को लेकर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि देश की करोड़ों जनता जानती है कि लाउड स्पीकर को तेज आवाज में बजाने का कानून नहीं है. इससे आम लोगों के साथ-साथ बच्चे और छात्रों को ज्यादा परेशानी होती है. पढ़ाई-लिखाई बाधित होती है.

मंत्री ने कहा कि जब दिवाली, छठ और होली जैसे त्योहार होते हैं तो तेज गति से लाउड स्पीकर बजाने पर रोक लग जाती है. अगर कानून और संविधान का हवाला देकर एक समुदाय को रोका जाता है तो कहीं ना कहीं मस्जिदों पर भी लाउड स्पीकर को लेकर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये जनता की मांग है कि तेज आवाज को रोका जाए और एक मंत्री होने के नेता मैं जनता की आवाज के साथ हूं.

बता दें कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे (Maharashtra Navnirman Sena President Raj Thackeray) के बयान के बाद एक बार फिर से ये मुद्दा देश भर में छाया हुआ है. राज ठाकरे ने मस्जिदों पर से लाउड स्पीकर हटाए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि कानून का उल्लंघन कर इस तरह से दिन में पांच बार लाउड स्पीकर से तेज आवाज में अजान दी जाती है, जिससे आम लोगों को दिक्कत होती है.

ये भी पढ़ें: लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

अजान के कारण विवाद में घिरे सितारे : इससे पहले बॉलीवुड के प्लेबैक सिंगर सोनू निगम भी अजान को लेकर विवादों में घिर चुके हैं. साल 2017 में अजान पर सोनू निगम एक ट्वीट कर विवादों में घिर गए थे. सोनू ने अज़ान को 'जबरन थोपी गई धार्मिकता' करार दिया था. इस विवादास्पद ट्वीट के बाद, एक मौलवी ने सोनू निगम का सिर मुंडवाने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया था. फतवा जारी होने के बाद, सोनू निगम ने अपने सारे बाल मुंडवा लिए थे.

सोनू निगम ने कहा- धार्मिक नहीं सामाजिक मुद्दा : विवाद बढ़ने के बाद सोनू ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने एक 'सामाजिक' मुद्दा उठाया था, धार्मिक नहीं. उन्होंने कहा था, वे एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं. उन्होंने अज़ान के बारे में बात नहीं की. उन्होंने जो बात कही वह लाउडस्पीकर से आने वाली तेज़ आवाज़ के बारे में थी. सोनू ने कहा कि उन्होंने मंदिरों और गुरुद्वारों का भी उल्लेख किया, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया. गायक सोनू निगम के ट्वीट को कई लोगों ने असंवेदनशील बताया था. सोनू ने कहा था, वह मुस्लिम नहीं हैं, लेकिन अज़ान (नमाज के पहले मस्जिद से होने वाली घोषणा) की आवाज़ के कारण नींद खुल जाती है. उन्होंने इसे 'जबरन थोपी गई धार्मिकता' बताते हुए सवालिया लहजे में लिखा था, भगवान सब पर कृपा करें. भारत में यह जबरन धार्मिकता कब खत्म होगी ? बता दें कि विवाद बढ़ने और ट्रोलिंग के कारण सोनू निगम ने ट्विटर छोड़ दिया.

लाउडस्पीकर से अजान पर हाईकोर्ट : इससे पहले मई, 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने कहा था, मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दिया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि बिना ध्वनि प्रदूषण नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकार में शामिल है. गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी की अजान पर रोक के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है. किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है. न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की थी.

ये भी पढ़ें: राज ठाकरे की पार्टी ने मस्जिद के सामने अपने कार्यालय पर हनुमान चालीसा का किया पाठ

मुजफ्फरपुर: मस्जिद पर लाउड स्पीकर (Loudspeaker at Mosque) लगाए जाने का विवाद पूरे देश में छाया हुआ है. सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता इसको लेकर बयानबाजी कर रहे हैं. बिहार सरकार के मंत्री जनक राम (Minister Janak Ram) ने भी मस्जिद पर लाउड स्पीकर लगाने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी जाति या घर्म हो, सभी को संविधान और कानून का पालन करना चाहिए. अगर हिंदू अपने पर्व-त्योहार को दौरान इसका पालन करते हैं दो दूसरों को भी ऐसा ही करना चाहिए.

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बोचहां विधानसभा उपचुनाव को लेकर मुजफ्फरपुर पहुंचे मंत्री जनक राम से मस्जिद में लाउड स्पीकर बजाने को लेकर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि देश की करोड़ों जनता जानती है कि लाउड स्पीकर को तेज आवाज में बजाने का कानून नहीं है. इससे आम लोगों के साथ-साथ बच्चे और छात्रों को ज्यादा परेशानी होती है. पढ़ाई-लिखाई बाधित होती है.

मंत्री ने कहा कि जब दिवाली, छठ और होली जैसे त्योहार होते हैं तो तेज गति से लाउड स्पीकर बजाने पर रोक लग जाती है. अगर कानून और संविधान का हवाला देकर एक समुदाय को रोका जाता है तो कहीं ना कहीं मस्जिदों पर भी लाउड स्पीकर को लेकर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये जनता की मांग है कि तेज आवाज को रोका जाए और एक मंत्री होने के नेता मैं जनता की आवाज के साथ हूं.

बता दें कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे (Maharashtra Navnirman Sena President Raj Thackeray) के बयान के बाद एक बार फिर से ये मुद्दा देश भर में छाया हुआ है. राज ठाकरे ने मस्जिदों पर से लाउड स्पीकर हटाए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि कानून का उल्लंघन कर इस तरह से दिन में पांच बार लाउड स्पीकर से तेज आवाज में अजान दी जाती है, जिससे आम लोगों को दिक्कत होती है.

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अजान के कारण विवाद में घिरे सितारे : इससे पहले बॉलीवुड के प्लेबैक सिंगर सोनू निगम भी अजान को लेकर विवादों में घिर चुके हैं. साल 2017 में अजान पर सोनू निगम एक ट्वीट कर विवादों में घिर गए थे. सोनू ने अज़ान को 'जबरन थोपी गई धार्मिकता' करार दिया था. इस विवादास्पद ट्वीट के बाद, एक मौलवी ने सोनू निगम का सिर मुंडवाने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया था. फतवा जारी होने के बाद, सोनू निगम ने अपने सारे बाल मुंडवा लिए थे.

सोनू निगम ने कहा- धार्मिक नहीं सामाजिक मुद्दा : विवाद बढ़ने के बाद सोनू ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने एक 'सामाजिक' मुद्दा उठाया था, धार्मिक नहीं. उन्होंने कहा था, वे एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं. उन्होंने अज़ान के बारे में बात नहीं की. उन्होंने जो बात कही वह लाउडस्पीकर से आने वाली तेज़ आवाज़ के बारे में थी. सोनू ने कहा कि उन्होंने मंदिरों और गुरुद्वारों का भी उल्लेख किया, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया. गायक सोनू निगम के ट्वीट को कई लोगों ने असंवेदनशील बताया था. सोनू ने कहा था, वह मुस्लिम नहीं हैं, लेकिन अज़ान (नमाज के पहले मस्जिद से होने वाली घोषणा) की आवाज़ के कारण नींद खुल जाती है. उन्होंने इसे 'जबरन थोपी गई धार्मिकता' बताते हुए सवालिया लहजे में लिखा था, भगवान सब पर कृपा करें. भारत में यह जबरन धार्मिकता कब खत्म होगी ? बता दें कि विवाद बढ़ने और ट्रोलिंग के कारण सोनू निगम ने ट्विटर छोड़ दिया.

लाउडस्पीकर से अजान पर हाईकोर्ट : इससे पहले मई, 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने कहा था, मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दिया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि बिना ध्वनि प्रदूषण नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकार में शामिल है. गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी की अजान पर रोक के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है. किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है. न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की थी.

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Last Updated : Apr 7, 2022, 7:50 PM IST
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