मुजफ्फरपुर: जिले के बेहद प्रतिष्ठित सीट कांटी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार अब अपने चरम पर है. यहां दूसरे चरण में तीन नवम्बर को मतदान होना है. इस बार भी बदले सियासी समीकरण के बीच तमाम बड़े राजनीतिक दलों की मौजूदगी में फिर एक निर्दलीय प्रत्याशी सभी टक्कर देते हुए नजर आ रहे हैं.
इस बार मुकाबला दिलचस्प
इस बार इस इलाके के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री इंजीनियर अजित कुमार भी निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. हालांकि इस वर्ष बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में बेहद कड़ा मुकाबला होने की आशंका जताई जा रही है. चुनावी अखाड़े में एक तरह विपक्षी दलों का महागठबंधन तो दूसरी ओर जदयू-बीजेपी गठबंधन भी अपनी मजबूती दिखा रहा है.
2015 में निर्दलीय की हुई थी जीत
2015 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने कब्जा जमाया था. निर्दलीय अशोक कुमार चौधरी ने जीतन राम मांझी की पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री अजीत कुमार को मात दी थी. निर्दलीय अशोक को 58,111 वोट मिले थे, जबकि हम पार्टी के अजीत कुमार के पक्ष में 48,836 वोट आए थे.
महागठबंधन और एनडीए के बीच मुकाबला
इस वर्ष कांटी विधानसभा के सियासी अखाड़े में राजद के उम्मीदवार के रूप मोहम्मद इजराइल मंसूरी जबकि एनडीए खेमे से जदयू उम्मीदवार मो. जमाल सियासी अखाड़े में हैं. ऐसे में इस बार कांटी विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार ज्यादा दिख रहे हैं. इस वर्ष विधानसभा चुनाव में हार-जीत बेहद कम मतों से हो सकता है.
कोरोना के कारण मतदान में मुश्किलें
विधानसभा चुनाव की सूची के अनुसार कांटी विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 73 हजार 273 वोटर्स हैं. इनमें से 1 लाख 47 हजार 698 पुरुष और 1 लाख 25 हजार 569 महिलाएं शामिल हैं. 2015 के वोटिंग के दौरान कुल 65.7 फीसदी मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया था. लेकिन इस बार कोरोना काल में इतना मतदान होना भी बेहद मुश्किल दिख रहा है.