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Chhath in Muzaffarpur: उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ छठ महापर्व - Arghya offered to rising sun on last day of Chhath

लोक आस्था के महापर्व छठ (Chhath Puja 2022) को लेकर मुजफ्फरपुर में लोगों में गजब का उत्साह दिखा. चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इसी के साथ 4 दिवसीय छठ का समापन हो गया.

Chhath in Muzaffarpur
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Published : Oct 31, 2022, 9:41 AM IST

छपरा: उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही मुजफ्फरपुर में चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन (Arghya offered to rising sun on last day of Chhath) हो गया. जिले के औराई में सुबह 2 बजे से ही लोग छठ घाट पर पहुंचने लगे और घाट को सजाने लगे. पूरी तरह से विधि व्यवस्था करते हुए लोगों ने छठ मनाया. शाही मीनापुर गांव समेत पूरे प्रखंड भर में लोगों ने छठ के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य (Arghya offered to rising sun on last day of Chhath) दिया.

ये भी पढ़ें: चार दिवसीय छठ पूजा संपन्न, बिहार में विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य

उगते सूर्य को अर्घ्य आज: सुबह सूर्योदय से पहले ही लोग अपने-अपने घरों से घाटों के लिए निकल पड़ते हैं. कृष्णपक्ष के चंद्रमा के कारण आकाश में कालिमा छाई रहती है. व्रती बांस से बनी टोकरियों को एक अस्थाई मंडप के नीचे सुरक्षित रखते हैं. इस मंडप को गन्ने की टहनियों से बनाया जाता है. एक विशेष सांचा बनाकर इसके कोनों को मिट्टी से बनी हाथी और दीपक की आकृतियों से संवारा जाता है. फिर व्रती और परिवारजन नदी या जलाशय में कमर भर पानी में खड़े रह भगवान भास्कर के उदित होने का इंतजार करते हैं. जैसे ही सूर्य की किरणें उदित होती हैं, साड़ी व धोती पहने स्त्री–पुरुष पानी में उतर जाते हैं. इस दौरान भगवान सूर्य की अर्चना करते वक्त मंत्रोच्चार किया जाता है.

सूर्योदय का समय: 31 अक्टूबर को पटना में सूर्योदय का समय का समय 05 बजकर 57 मिनट और 10 सेकेंड बताया जा रहा है. उषा अर्घ्य के बाद चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन हो जाएगा. उसके बाद छठव्रती अगल साल छठ के आने का इंतजार करेंगे. फिलहाल छठी मईया के गीतों से पूरा बिहार गूंज रहा है. हर ओर छठ की भक्तिमय छटा देखने को मिल रही है.

इसलिए कहते हैं छठी मैया: सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मईया के नाम से सभी जानते हैं. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.

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छपरा: उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही मुजफ्फरपुर में चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन (Arghya offered to rising sun on last day of Chhath) हो गया. जिले के औराई में सुबह 2 बजे से ही लोग छठ घाट पर पहुंचने लगे और घाट को सजाने लगे. पूरी तरह से विधि व्यवस्था करते हुए लोगों ने छठ मनाया. शाही मीनापुर गांव समेत पूरे प्रखंड भर में लोगों ने छठ के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य (Arghya offered to rising sun on last day of Chhath) दिया.

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उगते सूर्य को अर्घ्य आज: सुबह सूर्योदय से पहले ही लोग अपने-अपने घरों से घाटों के लिए निकल पड़ते हैं. कृष्णपक्ष के चंद्रमा के कारण आकाश में कालिमा छाई रहती है. व्रती बांस से बनी टोकरियों को एक अस्थाई मंडप के नीचे सुरक्षित रखते हैं. इस मंडप को गन्ने की टहनियों से बनाया जाता है. एक विशेष सांचा बनाकर इसके कोनों को मिट्टी से बनी हाथी और दीपक की आकृतियों से संवारा जाता है. फिर व्रती और परिवारजन नदी या जलाशय में कमर भर पानी में खड़े रह भगवान भास्कर के उदित होने का इंतजार करते हैं. जैसे ही सूर्य की किरणें उदित होती हैं, साड़ी व धोती पहने स्त्री–पुरुष पानी में उतर जाते हैं. इस दौरान भगवान सूर्य की अर्चना करते वक्त मंत्रोच्चार किया जाता है.

सूर्योदय का समय: 31 अक्टूबर को पटना में सूर्योदय का समय का समय 05 बजकर 57 मिनट और 10 सेकेंड बताया जा रहा है. उषा अर्घ्य के बाद चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन हो जाएगा. उसके बाद छठव्रती अगल साल छठ के आने का इंतजार करेंगे. फिलहाल छठी मईया के गीतों से पूरा बिहार गूंज रहा है. हर ओर छठ की भक्तिमय छटा देखने को मिल रही है.

इसलिए कहते हैं छठी मैया: सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मईया के नाम से सभी जानते हैं. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.

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