मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. मंगलवार देर रात इस बीमारी की चपेट में आए एक और बच्चे की मौत हो गई. इस चमकी बुखार से अब तक 190 बच्चे दम तोड़ चुके हैं. वहीं, इससे ग्रसित सात नए मरीजों को भर्ती कराया गया है.
मंगलवार को चमकी बुखार से मौत हुई बच्ची की पहचान पूर्वी चंपारण के बथुआ पिपरा की आठ वर्षीय प्रीति कुमारी के रूप में की गई है. वहीं, रात 10 बजे तक सात नए बच्चों को भर्ती कराया गया है.
मौत का कारण है हाईपोग्लाइसीमिया
मुजफ्फरपुर और इसके आस-पास के इलाकों में भयंकर गर्मी और उमस की वजह से बच्चे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी कि चमकी बुखार का तेजी से शिकार हो रहे हैं. हालांकि सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण हाईपोग्लाइसीमिया है, यानी लो ब्लड शुगर. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हाईपोग्लाइसीमिया इस बुखार का ही एक भाग है.
जानिए क्या हैं इसके लक्षण :
- एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है.
- अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है.
- इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं.
- गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.
- तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.
- साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना.
- अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.
- चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी देखी जा रही है.
जानिए क्या हैं इसके उपचार :
- पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें.
- बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें.
- रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें.
- बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.
इन बातों का रखें ध्यान :
- बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें.
- मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें.
- तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें.
- बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे.
- अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं.
- पीएचसी, आशा सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी.
- चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है.
- ओझा से झाड़फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को आएं.