मुंगेर: वो कहते हैं न 'किस्मत की फटी चादर का कोई रफूगर नहीं होता'. कुछ ऐसी ही किस्मत देखने को मिला बिहार के मुंगेर (Munger) जिले की रहने वाली एक महिला की. पति की कोरोना से मौत के बाद महिला अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों को लेकर दर-दर भटक रही है. महिला के दर्द को कोई सुनने वाला नहीं है और न ही उसका कोई आंसू पोछने वाला.
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किस्मत ने नया राम नगर थाना क्षेत्र (Naya Ramnagar Police Station) के पाटम की रहने वाली कंचन देवी (26 वर्षीय) के साथ क्रूर मजाक किया है. मई 2021 में कंचन के पति राकेश कुमार की कोरोना से मौत हो गई. कोरोना से मौत के बाद अपनों ने भी मुंह मोड़ लिया. परिवार वाले भी काम नहीं आए. पति के साथ रहने के कारण स्वास्थ विभाग ने पत्नी कंचन और तीन मासूम बच्चों को भी क्वारंटीन कर दिया था.
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बता दें कि तीन दिनों तक महिला के पति राकेश के शव का कोई अंतिम संस्कार कराने तक नहीं आया. पत्नी कंचन ने ही पीपीई किट (PPE Kit ) पहनकर पति का संस्कार किया. यह खबर उस समय मीडिया की सुर्खियों में भी बनी हुई थी. कंचन के पति की मौत को 2 माह बीत गए लेकिन अब तक मुआवजा राशि नहीं मिला. पति के मौत के बाद उसकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. अपनों ने भी साथ छोड़ दिया है. महिला के घर में खाने के लाले पड़ गए हैं. कंचन को तीन बच्चों के लालन-पालन का चिंता सता रही है. वो बस यह कहकर रो रही है कि उसका जीवन कैसे चलेगा और बच्चों का पालन-पोषण कैसे होगा.
'पति की मौत के बाद मुआवजा राशि के लिए कई कार्यालयों का चक्कर लगाई. लेकिन हमें आज तक मुआवजा नहीं मिला. आज हम डीएम नवीन कुमार की जनता दरबार में आकर आवेदन दिए हैं. लेकिन वो भी कुछ नहीं बोले.' कंचन देवी, पीड़िता
कंचन का कहना है कि अगर कोई मुआवजा नहीं दे सकता तो कुछ काम ही दे दे. जिससे कुछ रुपये कमाकर बच्चों का भरण पोषण कर सकें. महिला कई बार सीईओ, बीडीओ, सिविल सर्जन, एडीएम और डीएम कमिश्नर तक के कार्यालय का चक्कर लगा चुकी है. लेकिन कोई सुनने वाला ही नहीं है.