मुंगेर : केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने और राज्यसभा कार्यकाल खत्म होने के बाद आरसीपी सिंह (Former Union Minister RCP Singh) आज पहली दफा मुंगेर संसदीय क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे हुए थे. आरसीपी सिंह, ललन सिंह के संसदीय क्षेत्र स्थित मोकामा विधानसभा के घोसवरी पहुंचे जहां उनका ना सिर्फ जोरदार स्वागत हुआ बल्कि उन्हें सीएम बनाने के समर्थन में नारे भी लगे. पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपना औरा ललन सिंह के इलाके में पहुंचकर दिखाया. ललन सिंह के इलाके में लंबे काफिले के साथ पहुंचे आरसीपी सिंह का जिस तरीके से स्वागत हुआ वैसा जोश शायद ही दूसरे नेताओं के स्वागत में दिखा हो.
ये भी पढ़ें - RCP और ललन सिंह की 'लड़ाई' ने बढ़ाई JDU में गुटबाजी, वक्त रहते नहीं संभले तो...
ललन सिंह के गढ़ में आरसीपी को सीएम बनाने की मांग वाले लगे नारे: आरसीपी सिंह जब मुंगेर के घोसवारी पहुंचे तो गाड़ियों का लंबा काफिला था. कार्यकर्ता उनका गर्मजोशी से स्वागत कर रहे थे. गाड़ी से उतरते ही उनको फूल मालाओं से लाद दिया गया. वहां नारे लगाए जा रहे थे- 'हमारा मुख्यमत्री कैसा हो, आरसीपी बाबू जैसा हो.' एक एक कार्यकर्ता आरसीपी सिंह को अपने कैमरे में समा लेना चाहता था.
पावरफुल फेस दिखाना चाहते हैं आरसीपी: बिहार में ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच क्या खिचड़ी पक रही है ये सब जग-जाहिर है. ललन सिंह के संसदीय क्षेत्र में इस तरह के नारे का मकसद साफ है. आरसीपी गुट ये बता देना चाहता है कि आरसीपी बाबू को हल्के में ना लें, ललन सिंह के गढ़ में भी आरसीपी की पैठ काफी गहरी है. ललन सिंह जेडीयू अध्यक्ष हैं तो आरसीपी भी कार्यकर्ताओं के चहेते हैं.
ललन के गढ़ में आरसीपी: 2019 में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत तीसरी बार संसद पहुंचने वाले जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह 17वीं लोकसभा में पार्टी के नेता बनाए गए. फिर आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनते ही पार्टी की कमान नीतीश ने ललन सिंह को सौंप दी. जेडीयू में ललन गुट की ही देन है कि आरसीपी सिंह जैसे कद्दावर नेता को उठा कर कहां से कहां रख दिया गया. आरसीपी सिंह अपने समर्थकों में अपनी कमजोर छवि का मैसेज नहीं जाने देना चाहते. वो अपनी मजबूत छवि दिखाना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने मुंगेर में अपना कदम सोच समझकर रखा.
जेडीयू में आरसीपी और ललन गुट हावी?- आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं जा पाए. बिहार की राजनीति में इसकी वजह ललन सिंह से मनमुटाव को माना जा रहा है. यही कारण है कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. ललन और आरसीपी सिंह का टकराव मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के वक्त से ही दिखने लगा था. चर्चा थी कि ललन सिंह केंद्रीय मंत्री बनेंगे, लेकिन आरसीपी सिंह जेडीयू कोटे से मोदी कैबिनेट में शामिल हो गए. इसके बाद यूपी चुनाव बीजेपी से गठबंधन नहीं होने पर भी ललन सिंह ठीकरा आरसीपी पर फोड़ा था. हालांकि इस गुटबाजी पर श्रवण कुमार ने संगठन को सर्वोपरि बताया है.
"पहले आरसीपी सिंह संगठन देखते थे, अब ललन सिंह संगठन देख रहे हैं और अपने अनुसार संगठन को तैयार कर रहे हैं तो कुछ समय जरूर मिलना चाहिए. बाकी पार्टी समीक्षा करेगी, तब पता चलेगा कौन बेहतर काम किए हैं. हमारे नेता नीतीश कुमार में जिसको भरोसा होगा, वह संगठन के लिए काम करेगा. जिसको भरोसा नहीं होगा, वह दूसरी तरफ ताक झांक करेगा"- श्रवण कुमार, वरिष्ठ नेता, जनता दल यूनाइटेड
आरसीपी के बनाए प्रकोष्ठ हो रहे भंग: आरसीपी सिंह ने जब जनता दल यूनाइटेड की कमान संभाली थी उन्होंने 33 प्रकोष्ठों का गठन किया था. लेकिन जैसे ही ललन सिंह ने पार्टी की बागडोर अपने हाथ में ली. आरसीपी सिंह के ना सिर्फ पर कतरे बल्कि उनके द्वारा बनाए गए प्रकोष्ठों को भी भंग करना शुरू कर दिया. हाल ये रहा कि 12-13 प्रकोष्ठ ही अब रह गए हैं. इस बात पर आरसीपी सिंह ने नाराजगी जताते हुए नेतृत्व पर सवाल भी उठाए और कहा कि प्रकोष्ठों को 33 से 53 करना चाहिए था ना कि 12-13 पर पहुंचाना चाहिए था.