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माता के जयकारे के साथ मुंगेर के लोग नहीं भूल पा रहे वो रात, जब खून से लाल हो गई थी सड़क - etv bihar jharkhand

26 अक्टूबर 2020 की रात को मुंगेर में पुलिस ने मां के सामने अनर्थ किया था. पुलिस द्वारा गोलियां चलाई गई थी, जिससे एक युवक की मौत हो गई थी. 29 अक्टूबर को आक्रोशित लोगों ने कई थानों को जला दिया था. पढ़ें पूरी खबर...

munger firing case
मुंगेर फायरिंग
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Published : Oct 14, 2021, 7:47 PM IST

मुंगेर: पूरे बिहार में शारदीय नवरात्र का उत्सव (Navaratri Festival) मनाया जा रहा है. दुर्गा मंदिरों और पूजा पंडालों में बज रहे भक्तिगीत से माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है. मुंगेर में भी दुर्गा पूजा की धूम दिख रही है. हालांकि माता के जयकारे के साथ लोगों के जेहन में एक साल पहले की विजयादशमी की उस काली रात की यादें भी ताजा हो रहीं हैं जब सड़क खून से लाल हो गई थी.

यह भी पढ़ें- ...तो लालू के घर 'अच्छे दिन आने वाले हैं', तस्वीर तो यही कहती है लौट रही खुशियां

26 अक्टूबर 2020 की रात को पुलिस ने मां के सामने अनर्थ किया था. दुर्गा प्रतिमा के पास बैठे लोगों को घेरकर पुलिस ने बेरहमी से पीटा था. मुफस्सिल थानाध्यक्ष ब्रजेश सिंह पिस्टल लहराते दिखे थे. माता दुर्गा की प्रतिमा का पुलिस द्वारा जबरन विसर्जन कराने की कोशिश की गई थी. विरोध किए जाने पर पूजा समिति के सदस्यों और पुलिस के जवानों के बीच पहले हाथापाई फिर पथराव हुआ था. लाठीचार्ज के बाद पुलिस टीम द्वारा गोलियां चलाई गई थी, जिससे बेकापुर के 18 साल के अनुराग पोद्दार की मौत हो गई थी. गोलीबारी और भगदड़ से 7 युवक जख्मी हो गए थे.

पुलिस की बर्बरता यही नहीं रुकी थी. पुलिस ने सभी दुर्गा प्रतिमाओं को अपने कब्जे में लेकर 27 अक्टूबर की सुबह सूर्योदय से पहले जबरन सोझीघाट पर विसर्जित करा दिया था. पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई को लेकर लोगों में आक्रोश था. 29 अक्टूबर को आखिर वही हुआ, जिसका डर था. पूरे दिन मुंगेर जलता रहा. मामले की सीबीआई जांच और घटना की जिम्मेदार एसपी लिपि सिंह के तबादले की मांग पर आक्रोशित लोगों की भीड़ ने जमकर बवाल किया था. लोगों ने एसपी कार्यालय, एसडीओ आवास सहित सभी थानों में जमकर तोड़फोड़ की थी. इस दौरान पूरबसराय ओपी, वासुदेवपुर ओपी और मुफ्फसिल थाना में भीड़ ने आग लगा दी थी. बवाल के बाद दोपहर 2 बजे चुनाव आयोग ने एसपी लिपि सिंह और डीएम राजेश मीणा को हटा दिया था.

इसको लेकर काफी राजनीति भी हुई. लिपि सिंह कई दिनों तक फ्रेम से बाहर रहीं. वैसे सत्ता की हनक के कारण एक बार फिर से उन्हें दूसरे जिले का एसपी बना दिया गया है. सीआईडी ने भी लिपि सिंह को अपनी जांच में क्लिन चिट दी है. हालांकि मृत युवक के परिजन इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. परिजन मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं. मामले की जांच सीआईडी कर रही है. इसकी मॉनिटरिंग पटना हाईकोर्ट द्वारा की जा रही है.

मृत युवक के पिता अमरनाथ पोद्दार के आवेदन पर पुलिसकर्मियों पर कोतवाली थाना में हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एसपी लिपि सिंह के करीबी और प्रतिमा विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज और गोलीबारी के कथित मुख्य सूत्रधार कुमार कृष्णा सहित 6 पुलिस कर्मियों (भास्कर झा, विजेंद्र सिंह, विकास कुमार, मोहन कुमार और ब्रजेश सिंह) और सीआईएसएफ के एक जवान पर नामजद प्राथमिकी दर्ज हुई थी.

यह भी पढ़ें- गांधी मैदान की बजाय कालिदास रंगालय में होगा रावण दहन, जल उठेगा कोरोना, यहां देखें सीधा प्रसारण

मुंगेर: पूरे बिहार में शारदीय नवरात्र का उत्सव (Navaratri Festival) मनाया जा रहा है. दुर्गा मंदिरों और पूजा पंडालों में बज रहे भक्तिगीत से माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है. मुंगेर में भी दुर्गा पूजा की धूम दिख रही है. हालांकि माता के जयकारे के साथ लोगों के जेहन में एक साल पहले की विजयादशमी की उस काली रात की यादें भी ताजा हो रहीं हैं जब सड़क खून से लाल हो गई थी.

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26 अक्टूबर 2020 की रात को पुलिस ने मां के सामने अनर्थ किया था. दुर्गा प्रतिमा के पास बैठे लोगों को घेरकर पुलिस ने बेरहमी से पीटा था. मुफस्सिल थानाध्यक्ष ब्रजेश सिंह पिस्टल लहराते दिखे थे. माता दुर्गा की प्रतिमा का पुलिस द्वारा जबरन विसर्जन कराने की कोशिश की गई थी. विरोध किए जाने पर पूजा समिति के सदस्यों और पुलिस के जवानों के बीच पहले हाथापाई फिर पथराव हुआ था. लाठीचार्ज के बाद पुलिस टीम द्वारा गोलियां चलाई गई थी, जिससे बेकापुर के 18 साल के अनुराग पोद्दार की मौत हो गई थी. गोलीबारी और भगदड़ से 7 युवक जख्मी हो गए थे.

पुलिस की बर्बरता यही नहीं रुकी थी. पुलिस ने सभी दुर्गा प्रतिमाओं को अपने कब्जे में लेकर 27 अक्टूबर की सुबह सूर्योदय से पहले जबरन सोझीघाट पर विसर्जित करा दिया था. पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई को लेकर लोगों में आक्रोश था. 29 अक्टूबर को आखिर वही हुआ, जिसका डर था. पूरे दिन मुंगेर जलता रहा. मामले की सीबीआई जांच और घटना की जिम्मेदार एसपी लिपि सिंह के तबादले की मांग पर आक्रोशित लोगों की भीड़ ने जमकर बवाल किया था. लोगों ने एसपी कार्यालय, एसडीओ आवास सहित सभी थानों में जमकर तोड़फोड़ की थी. इस दौरान पूरबसराय ओपी, वासुदेवपुर ओपी और मुफ्फसिल थाना में भीड़ ने आग लगा दी थी. बवाल के बाद दोपहर 2 बजे चुनाव आयोग ने एसपी लिपि सिंह और डीएम राजेश मीणा को हटा दिया था.

इसको लेकर काफी राजनीति भी हुई. लिपि सिंह कई दिनों तक फ्रेम से बाहर रहीं. वैसे सत्ता की हनक के कारण एक बार फिर से उन्हें दूसरे जिले का एसपी बना दिया गया है. सीआईडी ने भी लिपि सिंह को अपनी जांच में क्लिन चिट दी है. हालांकि मृत युवक के परिजन इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. परिजन मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं. मामले की जांच सीआईडी कर रही है. इसकी मॉनिटरिंग पटना हाईकोर्ट द्वारा की जा रही है.

मृत युवक के पिता अमरनाथ पोद्दार के आवेदन पर पुलिसकर्मियों पर कोतवाली थाना में हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एसपी लिपि सिंह के करीबी और प्रतिमा विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज और गोलीबारी के कथित मुख्य सूत्रधार कुमार कृष्णा सहित 6 पुलिस कर्मियों (भास्कर झा, विजेंद्र सिंह, विकास कुमार, मोहन कुमार और ब्रजेश सिंह) और सीआईएसएफ के एक जवान पर नामजद प्राथमिकी दर्ज हुई थी.

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