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'मेड इन मुंगेर' हथियारों पर आतंकियों की नजर, देसी कट्टा से AK-47 तक का नेक्सेस तोड़ना बड़ी चुनौती

किसी समय देश की आजादी के लिए हथियार बनाकर देने वाला बिहार का मुंगेर अब देश के दुश्मनों के लिए हथियार बना रहा है. मुंगेर के हथियार अब आतंकियों को आसानी से मिल रहे हैं. इस वजह से सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. मुंगेर के हथियार जितनी आसानी से लोकल में उपलब्ध है उतनी ही आसानी आतंकियों के हाथों में भी पहुंच रही है.

मुंगेर मेड असलहे
मुंगेर मेड असलहे
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Published : Feb 18, 2021, 7:54 PM IST

Updated : Feb 18, 2021, 8:08 PM IST

मुंगेर: मुंगेर मेड गन की सप्लाई को रोकना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती हैं. पिछले साल मुंगेर पुलिस ने गंगा के किनारे सर्च ऑपरेशन भी चलाया था. जिसमें पुलिस को कामयाबी भी मिली थी. गांव के खेतों में हथियारों को छिपाकर रखा गया था. इतनी मात्रा में घातक हथियारों का मिलना देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है. एक साल बाद एक और बड़ी घटना ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. या फिर कहें कि मुंगेर के बने हथियारों की डिमांड आतंकी भी कर रहे हैं.

हाल ही में J&K पुलिस ने छपरा से जावेद नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि जम्मू और कश्मीर में आतंकी संगठनों से संपर्क रखने वाले शख्स को हथियारों की डिलेवरी दी थी. ये अलग बात है कि जिन हथियारों की सप्लाई हुई उसका संपर्क मुंगेर मेड है या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन जानकार कहते हैं कि मुंगेर से ही बड़ी खेप आतंकियों तक पहुंचाई गई.

ये भी पढ़ें- रेल रोको आंदोलन: पप्पू यादव ने JAP कार्यकर्ताओं के साथ रेलवे ट्रैक किया जाम

मुंगेर में हथियार बनाने का इतिहास
भारत के मानचित्र पर अवैध हथियार के काली मंडी के रूप में मुंगेर जिला कुख्यात है. मुगल शासक मीर कासिम ने मुंगेर को अपना राजधानी भी कुछ दिनों के लिए बनाया था. अंग्रेजों से इसकी सुरक्षा के लिए मीर कासिम ने अपने सेनापति गुरगीन खां को हथियारों के निर्माण करने वाले 18 कारीगरों के साथ मुंगेर भेजा. सेनापति ने यहां आकर स्थानीय लोगों को हथियार बनाने की ट्रेनिंग दिया. उस समय लगभग हजारों लोगों ने हथियार बनाने के गुर सीखे. घर-घर हथियार बनाए जाने लगे. अंग्रेजों का जब शासन आया तो इसे एकीकृत किया गया. आजाद भारत में बंदूक कारखाना इन्ही कारीगरों को लेकर बनाया गया.

गन फैक्ट्री के कारीगरों की दुर्दशा
मुंगेर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री वर्तमान में बदहाली का दंश झेल रही है. यहां के कारीगर भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं. यही कारण है कि ये लोग चोरी-छिपे अवैध हथियार निर्माण करने लगे हैं. यहां अवैध हथियार निर्माण करने में इन कारीगरों को थोड़ा जोखिम जरूर है. लेकिन, अच्छी खासी रकम मिल जाती है. इसलिए मुंगेर में अवैध हथियार का व्यापार काफी फल-फूल रहा है.

Munger
हथियार बनाने का इतिहास

हर तरह के हथियार बनाते हैं कारीगर
यहां के कारीगर इतने दक्ष हैं कि आधुनिक से आधुनिक हथियार कम कीमत में बना देते हैं. यहां कम कीमत में हथियार आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इसलिए पूरे देश के तस्कर की निगाह मुंगेर के अवैध हथियारों की मंडी पर है. यहां देसी कट्टे से लेकर AK-47 जैसे आधुनिक हथियार उपलब्ध हो जाते हैं. ये हथियार छोटे अपराधी से लेकर आतंकवादियों तक सप्लाई किए जाते हैं. जिसका समय-समय पर पुलिस खुलासा भी करती रहती है.

ये भी पढ़ें- LJP से निष्कासित केशव सिंह 208 बागी नेताओं के साथ जेडीयू में शामिल

मुंगेर के हथियारों का आतंकी कनेक्शन
देश के अंदर ही जब आसानी से मुंगेर का अवैध हथियार मिल रहा है. इस बात का बेजा फायदा अब तक सिर्फ बदमाश ही उठाते आए थे. लेकिन अब ट्रेंड बदल गया है. मुंगेर के तार आतंकियों से भी जुड़ने लगे हैं. 2013 में पटना के गांधी मैदान में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट की घटना के बाद, बिहार में गठित आतंकवाद निरोधक दस्ता ने मुंगेर जिले के मुफस्सिल थाना के मिर्जापुर वर्धा गांव से तीन हथियार आपूर्तिकर्ताओं को जब गिरफ्तार किया तब यह मामला प्रकाश में आया था.

पुलवामा में सप्लाई हुई मुंगेर की पिस्टल
मुंगेर के मोहम्मद जमशेर आलम उर्फ मो. जमशेद ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को एक वर्ष में पिस्तौल की दो खेप भेजी थी. मुंगेर के बने पिस्तौल की खेप आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू एरिया कमांडर रवेश उल इस्लाम को कश्मीर के पुलवामा में नवम्बर 2013 को पहली बार तथा 2014 मई माह में दूसरी बार भेजी गयी थी.

दूसरे राज्यों में भी मुंगेर मेड गन सप्लाई
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में कथित रूप से पनाह ले रखे आतंकियों को भी मुंगेर से पिस्टल की आपूर्ति की गयी थी. एटीएस ने पिछले साल 13 अगस्त को जमशेद के साथ ही इस नेटवर्क से जुड़े जमालपुर निवासी सुरेन्द्र पासवान, और उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले का रहने वाला अरूण सिंह उर्फ निक्कू को गिरफ्तार किया था. इनके पास से चार देशी पिस्तौल, 45 हजार रूपया और विभिन्न कंपनियों के कई सिम कार्ड बरामद किये गये थे. इस संबंध में तीनों के अलावा कुछ अज्ञात के खिलाफ एटीएस थाने में मामला दर्ज किया गया था.

मुंगेर मेड गन के इंटनेशनल कनेक्शन
एक जुलाई 2016 को रात नौ बजे बांग्लादेश की राजधानी ढाका में होली आर्टिजन बेकरी पर हुए आतंकी हमले में मुंगेर निर्मित हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. जमात उल मुजाहिदीन के सात आतंकी ने हमला कर 20 विदेशियों को मौत के घाट उतर दिया था. छह आतंकी सहित दो पुलिस कर्मी भी मारे गए थे. जांच के बाद इस हमले में प्रयुक्त हथियार मुंगेर के रास्ते ही लाया गया था. यह बात जांच एजेंसियां भी स्वीकार कर चुकी है. आतंकी हमले में प्रयोग हुए एके-22 रायफल के मुंगेर में मॉडिफाई किए जाने की बातें सामने आईं थीं. पश्चिम बंगाल में बैठे मुंगेर के कारीगरों ने ही एके-22 रायफलों को मॉडिफाई कर उन्हें बांग्लादेश भेजा था.

ये भी पढ़ें- मंत्री पद की शपथ के बाद बोली लेसी सिंह,'बिहार का विकास है पहली प्राथमिकता'

मुंगेर में बरामद हुए थे 20 से अधिक AK-47
इस मामले में भी आतंकी कनेक्शन को लेकर संजीदा नजर आ रही है. उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से पिछले कुछ सालों में 50 से ज्यादा एके-47 गायब हुए हैं, इनमें अधिकांश हथियार बिहार पहुंचाए गए. इस बात का खुलासा तब हुआ था, जब पुलिस ने 29 अगस्त को मुंगेर के जमालपुर से इमरान नामक एक शख्स को गिरफ्तार किया था. मुंगेर के तत्कालीन एसपी बाबू राम के मुताबिक, इमरान से हुई पूछताछ में ये पता चला था कि उसके पास जबलपुर के एक शख्स ने जमालपुर आकर तीन एके-47 उपलब्ध कराए थे. उन्होंने बताया कि इसके बाद अब तक मुंगेर के विभिन्न क्षेत्रों से 20 से अधिक एके-47 बरामद किए गए. बरामद एके-47 और इस मामले में गिरफ्तार तस्करों के आतंकी और नक्सली कनेक्शन के बारे में पता चला था.

पुलिस के हाथ पुख्ता सुराग
पुलिस सूत्र भी मानते हैं कि ऐसे सुराग हाथ लग चुके हैं, जिसमें इस बात की पुष्टि होती है कि मध्य प्रदेश के जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से पिछले कुछ सालों में गायब 50 से ज्यादा एके-47 बिहार पहुंचाई गई हैं. इसके तार कहीं न कहीं आतंकी संगठनों से भी जुड़े हुए हैं. तत्कालीन बिहार पुलिस के प्रवक्ता और अपर पुलिस महानिदेशक एस के सिंघल ने भी कहा था कि बिहार पुलिस इन गिरफ्तार तस्करों के तार आतंकी संगठनों से जुड़े होने की जांच में जुटी हुई है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर एके-47 आतंकवादी और नक्सली संगठनों के लिए अच्छे हथियार माने जाते हैं.

मुंगेर: मुंगेर मेड गन की सप्लाई को रोकना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती हैं. पिछले साल मुंगेर पुलिस ने गंगा के किनारे सर्च ऑपरेशन भी चलाया था. जिसमें पुलिस को कामयाबी भी मिली थी. गांव के खेतों में हथियारों को छिपाकर रखा गया था. इतनी मात्रा में घातक हथियारों का मिलना देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है. एक साल बाद एक और बड़ी घटना ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. या फिर कहें कि मुंगेर के बने हथियारों की डिमांड आतंकी भी कर रहे हैं.

हाल ही में J&K पुलिस ने छपरा से जावेद नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि जम्मू और कश्मीर में आतंकी संगठनों से संपर्क रखने वाले शख्स को हथियारों की डिलेवरी दी थी. ये अलग बात है कि जिन हथियारों की सप्लाई हुई उसका संपर्क मुंगेर मेड है या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन जानकार कहते हैं कि मुंगेर से ही बड़ी खेप आतंकियों तक पहुंचाई गई.

ये भी पढ़ें- रेल रोको आंदोलन: पप्पू यादव ने JAP कार्यकर्ताओं के साथ रेलवे ट्रैक किया जाम

मुंगेर में हथियार बनाने का इतिहास
भारत के मानचित्र पर अवैध हथियार के काली मंडी के रूप में मुंगेर जिला कुख्यात है. मुगल शासक मीर कासिम ने मुंगेर को अपना राजधानी भी कुछ दिनों के लिए बनाया था. अंग्रेजों से इसकी सुरक्षा के लिए मीर कासिम ने अपने सेनापति गुरगीन खां को हथियारों के निर्माण करने वाले 18 कारीगरों के साथ मुंगेर भेजा. सेनापति ने यहां आकर स्थानीय लोगों को हथियार बनाने की ट्रेनिंग दिया. उस समय लगभग हजारों लोगों ने हथियार बनाने के गुर सीखे. घर-घर हथियार बनाए जाने लगे. अंग्रेजों का जब शासन आया तो इसे एकीकृत किया गया. आजाद भारत में बंदूक कारखाना इन्ही कारीगरों को लेकर बनाया गया.

गन फैक्ट्री के कारीगरों की दुर्दशा
मुंगेर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री वर्तमान में बदहाली का दंश झेल रही है. यहां के कारीगर भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं. यही कारण है कि ये लोग चोरी-छिपे अवैध हथियार निर्माण करने लगे हैं. यहां अवैध हथियार निर्माण करने में इन कारीगरों को थोड़ा जोखिम जरूर है. लेकिन, अच्छी खासी रकम मिल जाती है. इसलिए मुंगेर में अवैध हथियार का व्यापार काफी फल-फूल रहा है.

Munger
हथियार बनाने का इतिहास

हर तरह के हथियार बनाते हैं कारीगर
यहां के कारीगर इतने दक्ष हैं कि आधुनिक से आधुनिक हथियार कम कीमत में बना देते हैं. यहां कम कीमत में हथियार आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इसलिए पूरे देश के तस्कर की निगाह मुंगेर के अवैध हथियारों की मंडी पर है. यहां देसी कट्टे से लेकर AK-47 जैसे आधुनिक हथियार उपलब्ध हो जाते हैं. ये हथियार छोटे अपराधी से लेकर आतंकवादियों तक सप्लाई किए जाते हैं. जिसका समय-समय पर पुलिस खुलासा भी करती रहती है.

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मुंगेर के हथियारों का आतंकी कनेक्शन
देश के अंदर ही जब आसानी से मुंगेर का अवैध हथियार मिल रहा है. इस बात का बेजा फायदा अब तक सिर्फ बदमाश ही उठाते आए थे. लेकिन अब ट्रेंड बदल गया है. मुंगेर के तार आतंकियों से भी जुड़ने लगे हैं. 2013 में पटना के गांधी मैदान में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट की घटना के बाद, बिहार में गठित आतंकवाद निरोधक दस्ता ने मुंगेर जिले के मुफस्सिल थाना के मिर्जापुर वर्धा गांव से तीन हथियार आपूर्तिकर्ताओं को जब गिरफ्तार किया तब यह मामला प्रकाश में आया था.

पुलवामा में सप्लाई हुई मुंगेर की पिस्टल
मुंगेर के मोहम्मद जमशेर आलम उर्फ मो. जमशेद ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को एक वर्ष में पिस्तौल की दो खेप भेजी थी. मुंगेर के बने पिस्तौल की खेप आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू एरिया कमांडर रवेश उल इस्लाम को कश्मीर के पुलवामा में नवम्बर 2013 को पहली बार तथा 2014 मई माह में दूसरी बार भेजी गयी थी.

दूसरे राज्यों में भी मुंगेर मेड गन सप्लाई
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में कथित रूप से पनाह ले रखे आतंकियों को भी मुंगेर से पिस्टल की आपूर्ति की गयी थी. एटीएस ने पिछले साल 13 अगस्त को जमशेद के साथ ही इस नेटवर्क से जुड़े जमालपुर निवासी सुरेन्द्र पासवान, और उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले का रहने वाला अरूण सिंह उर्फ निक्कू को गिरफ्तार किया था. इनके पास से चार देशी पिस्तौल, 45 हजार रूपया और विभिन्न कंपनियों के कई सिम कार्ड बरामद किये गये थे. इस संबंध में तीनों के अलावा कुछ अज्ञात के खिलाफ एटीएस थाने में मामला दर्ज किया गया था.

मुंगेर मेड गन के इंटनेशनल कनेक्शन
एक जुलाई 2016 को रात नौ बजे बांग्लादेश की राजधानी ढाका में होली आर्टिजन बेकरी पर हुए आतंकी हमले में मुंगेर निर्मित हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. जमात उल मुजाहिदीन के सात आतंकी ने हमला कर 20 विदेशियों को मौत के घाट उतर दिया था. छह आतंकी सहित दो पुलिस कर्मी भी मारे गए थे. जांच के बाद इस हमले में प्रयुक्त हथियार मुंगेर के रास्ते ही लाया गया था. यह बात जांच एजेंसियां भी स्वीकार कर चुकी है. आतंकी हमले में प्रयोग हुए एके-22 रायफल के मुंगेर में मॉडिफाई किए जाने की बातें सामने आईं थीं. पश्चिम बंगाल में बैठे मुंगेर के कारीगरों ने ही एके-22 रायफलों को मॉडिफाई कर उन्हें बांग्लादेश भेजा था.

ये भी पढ़ें- मंत्री पद की शपथ के बाद बोली लेसी सिंह,'बिहार का विकास है पहली प्राथमिकता'

मुंगेर में बरामद हुए थे 20 से अधिक AK-47
इस मामले में भी आतंकी कनेक्शन को लेकर संजीदा नजर आ रही है. उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से पिछले कुछ सालों में 50 से ज्यादा एके-47 गायब हुए हैं, इनमें अधिकांश हथियार बिहार पहुंचाए गए. इस बात का खुलासा तब हुआ था, जब पुलिस ने 29 अगस्त को मुंगेर के जमालपुर से इमरान नामक एक शख्स को गिरफ्तार किया था. मुंगेर के तत्कालीन एसपी बाबू राम के मुताबिक, इमरान से हुई पूछताछ में ये पता चला था कि उसके पास जबलपुर के एक शख्स ने जमालपुर आकर तीन एके-47 उपलब्ध कराए थे. उन्होंने बताया कि इसके बाद अब तक मुंगेर के विभिन्न क्षेत्रों से 20 से अधिक एके-47 बरामद किए गए. बरामद एके-47 और इस मामले में गिरफ्तार तस्करों के आतंकी और नक्सली कनेक्शन के बारे में पता चला था.

पुलिस के हाथ पुख्ता सुराग
पुलिस सूत्र भी मानते हैं कि ऐसे सुराग हाथ लग चुके हैं, जिसमें इस बात की पुष्टि होती है कि मध्य प्रदेश के जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से पिछले कुछ सालों में गायब 50 से ज्यादा एके-47 बिहार पहुंचाई गई हैं. इसके तार कहीं न कहीं आतंकी संगठनों से भी जुड़े हुए हैं. तत्कालीन बिहार पुलिस के प्रवक्ता और अपर पुलिस महानिदेशक एस के सिंघल ने भी कहा था कि बिहार पुलिस इन गिरफ्तार तस्करों के तार आतंकी संगठनों से जुड़े होने की जांच में जुटी हुई है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर एके-47 आतंकवादी और नक्सली संगठनों के लिए अच्छे हथियार माने जाते हैं.

Last Updated : Feb 18, 2021, 8:08 PM IST
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