मुंगेर: एक महिना 18 दिन पहले दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस और लोगों के बीच झड़प में मारे गए युवक अनुराग पोद्दार के लिए न्याय की मांग को लेकर बंद का आह्वान किया गया. इस दौरान अनुराग पोद्दार के परिजनों की ओर से हत्यारों की गिरफ्तारी और सजा दिलाने की मांग की गई. वहीं, ये बंद पूरी तरह से सफल रहा. सड़कें विरान नजर आई. वहीं, दुकानें नहीं खुली.
इस मुंगेर बंद के आयोजन को लेकर मृतक अनुराग पोद्दार की तीनों बहनें अपने आवास लोहा पट्टी से निकलकर शहर के प्रमुख चौक चौराहे सहित राजीव गांधी चौक और दीनदयाल चौक होते हुए विश्वकर्मा चौक पहुंची. इस दौरान उनके साथ अनुराग पोद्दार के पिता अमरनाथ पोद्दार भी रहे. वहीं, इस बंदी में एनसीपी नेता संजय केसरी एवं सामाजिक कार्यकर्ता नरेश गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
'दोषियों को बचा रही है सरकार'
बंद के मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता नरेश गुप्ता ने कहा कि अनुराग पोद्दार पुलिस की गोली से मारा गया है. वर्तमान सरकार दोषियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है. दोषियों के बचाने का प्रयास किया जा रहा है. हम सभी अनुराग के इंसाफ की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हैं. वहीं, एनसीपी नेता संजय केसरी ने कहा कि तत्कालीन एसपी लिपि सिंह के निर्देश पर प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा में श्रद्धालु पर गोली चलाई गई थी. इसी गोलीबारी में ही अनुराग पोद्दार की मौत हुई थी. इसलिए तत्कालीन एसपी लिपि सिंह पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो.
इंसाफ की मांग
अनुराग पोद्दार की हत्या के आरोप को लेकर उसकी तीनों बहनों और पिता ने कहा कि उस दिन की घटना में हमारा भाई मारा गया. सरकार हमें इंसाफ भी नहीं दे रही है. अब तक कोई हमसे बात तक करने के लिए नहीं आया है. घर में चार बहनों में एकमात्र वह भाई था. हमारी मां और पिता बूढ़े हो गए हैं. अब इस बूढ़े मां बाप का सहारा कौन बनेगा ? यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि और सरकार भी हम से मुंह मोड़ लिया है. वहीं, अनुराग पिता अपने बेटे के लिए इंसाफ की मांग कर रहे थे.
15 दिनों से धरना जारी
बता दें कि 26 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस की ओर से लाठीचार्ज और गोलीबारी की गई थी. इस घटना में कोतवाली थाना क्षेत्र के लोहा पट्टी इलाके के रहने वाले 22 साल के युवक अनुराग पोद्दार की मौत हो गई थी. वहीं इस घटना को लेकर गुस्साए लोगों ने शहर के 5 थानों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटना को अंजाम दिया था. साथ ही इस घटना को लेकर पिछले 15 दिनों से स्थानीय सामाजिक संस्थानों के लोग और परिजन धरना पर बैठे हुए हैं.