मुंगेर: जिले में सोमवार को बड़े उल्लास के साथ तारापुर शहीद दिवस मनाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिले के तारापुर की घटना का 'मन की बात' कार्यक्रम में जिक्र किया. इसके बाद पूरे देश को तारापुर शहीद दिवस के बारे में जानकारी मिली. सोमवार को शहीद दिवस के अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम विप्लव और बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने समारोह में शामिल होकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. साथ ही युवाओं द्वारा निकाली गई एक हजार मीटर लंबी तिरंगा यात्रा में शामिल होकर लोगों का जोश बढ़ाया. यह तिरंगा यात्रा तारापुर थाना भवन से निकलकर शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए वापस शहीद स्मारक पहुंचा. जहां वक्ताओं ने भी अपनी बातें रखी.
ये भी पढ़ें:- बिहार में 17 फरवरी से शुरू होगी मैट्रिक परीक्षा, कंट्रोल रूम में किया गया स्थापित
पीएम ने किया शहीदों को याद
प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी ने 31 जनवरी को 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि मुंगेर के रहने वाले जयराम विप्लव ने तारापुर शहीद दिवस के बारे में जो लिखा है, उनसे वो अभिभूत हैं. 15 फरवरी 1932 को देश भक्तों की टोली के कई नौजवानों को अंग्रेजों ने बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी थी. पीएम मोदी ने उन शहीदों को नमन किया और उनके साहस का श्रद्धापूर्वक स्मरण किया.
'मैंने तारापुर ऐतिहासिक आंदोलन के बारे में जो जानकारी दी, उससे प्रधानमंत्री काफी प्रभावित हुए. इस संबंध में केंद्रीय संस्कृति मंत्री से मैं 2 फरवरी को मिला. उन्होंने मुझे जानकारी दी है कि आरकेलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को तारापुर के ब्रिटिश कालीन थाना भवन जो 1915 में बना है, उसे राष्ट्रीय धरोहर की सूची में शामिल करने का निर्देश अग्रसारित किया हूं. हमें उम्मीद है कि अगले वर्ष 15 फरवरी को फिर शहीदों को नमन करने जब इकट्ठा होंगे तो यह राष्ट्रीय धरोहर बन चुका होगा और इसका सौन्दर्यीकरण हो चूका होगा. देश-विदेश के पर्यटक हमारे शहीदों की कहानी जानने और प्रेरणा ग्रहण करने के लिए यहां पहुंचेंगे.' -जयराम विप्लव, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा.
इसी दिन अंग्रेजों के सामने फहराया था तिरंगा
तारापुर शहीद दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 15 फरवरी को मनाया जाता है, जिसमें 15 फ़रवरी, 1932 को मुंगेर के तारापुर गोलीकांड में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है. आज़ादी मिलने के बाद से हर साल 15 फरवरी को स्थानीय लोगों द्वारा तारापुर शहीद दिवस मनाया जाता है. जानकारी के अनुसार, सैकड़ों लोगों ने आजादी के दीवाने एक धावक दल को अंग्रेज़ों के थाने पर झंडा फहराने का जिम्मा दिया था. वहीं उनका मनोबल बढ़ाने के लिए जनता खड़ी होकर भारतमाता की जय, वंदे मातरम् आदि का जयघोष कर रही थी.
ये भी पढ़ें:- बिहार में शतक लागने के करीब पेट्रोल और डीजल, आम जनता परेशान तो सियासत 'तेज'
34 वीर जवान हुए थे शहीद
इन वीर जवानों पर अंग्रेज़ों के कलक्टर ई ओली और एसपी डब्ल्यू फ्लैग के नेतृत्व में गोलियां दागी गई थी. गोली चल रही थीं लेकिन कोई भाग नहीं रहा था. लोग डटे हुए थे. देखते ही देखते 34 जवान इमसें शहीद हो गए. इस दौरान लगभग 100 से अधिक लोग गोलियों से घायल हुए थे. धावक दल के मदन गोपाल सिंह, त्रिपुरारी सिंह, महावीर प्रसाद सिंह, कार्तिक मंडल, परमानंद झा ने तारापुर थाने पर झंडा फहरा दिया था. इस गोलीकांड के बाद कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित कर हर साल देश में 15 फ़रवरी को तारापुर शहीद दिवस मनाने का निर्णय लिया था. वहीं बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि अन्य अज्ञात शहीदों को भी हम लोग तलाश रहे हैं. इनमें 34 लोग शहीद हुए थे. जिसमें 13 का नाम ज्ञात है.