मुंगेर: बिहार सरकार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) रविवार को मुंगेर पहुंचे. उन्होंने किला परिसर स्थित बंदूक कारखाना (Munger Gun Factory) का निरीक्षण किया. इस दौरान वह रॉयल आर्म्स एंड कंपनी के यूनिट में पहुंचे. यहां उन्होंने बंदूक निर्माण की बारीकियों को जाना. मंत्री ने एक सिंगल बैरल पंप एक्शन राइफल को उठाया और चलाकर देखा.
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उद्योग मंत्री कभी बंदूक के ट्रिगर को दबाते तो कभी उसके पंप एक्शन मैकेनिज्म को समझते. उन्होंने कंपनी के अधिकारियों से बंदूक के बारे में जानकारी ली. मंत्री को बताया गया कि इसकी कीमत 20 हजार रुपये है. इस दौरान शाहनवाज ने दोनाली बंदूक को भी उठाकर देखा.
शाहनवाज ने कहा, "यहां के कुशल कारीगरों के हुनर को दम तोड़ने नहीं दिया जाएगा. इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक प्रयास होगा. मुंगेर के बंदूक निर्माण उद्योग को बचाने के लिए रणनीति बनाई जाएगी. इसे मैं अपनी आंखों से फलता-फूलता देखना चाहता हूं. यहां की बंदूकें पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. मुंगेर के कारीगरों के हाथ में जादू है."
"बंदूक उद्योग को मदद की बहुत जरूरत है. यहां के कारीगरों ने पंप एक्शन गन बनाया है. यह काफी अच्छा है. यहां बंदूक कारखाना लगे 100 साल हो गए. इस उद्योग को मरने नहीं देना है. गन मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के लोग मुझसे मिले हैं. इनलोगों ने अपनी समस्याएं बताई हैं. इनकी समस्याओं का कैसे निदान हो इसके लिए पटना में बैठक करेंगे. इस उद्योग को बचाने के लिए जो भी मदद हो सकेगी दी जाएगी."- शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री
गौरतलब है कि 1925 में मुंगरे में बंदूक कारखाना की स्थापना की गई थी. शुरू में इस कारखाना में 36 इकाई थी. अब सिर्फ 4 इकाई रह गई है. पहले भारत में बिकने वाली बंदूकों की 50 फीसदी से भी ज्यादा सप्लाई मुंगेर के फैक्ट्री से होती थी. अब स्थिति काफी बदहाल हो गई है. मुंगेर में हथियारों का निर्माण मुगल शासक मीर कासिम ने शुरू कराया था. मीर कासिम ने मुंगेर को कुछ दिनों के लिए अपनी राजधानी बनाया था.
अंग्रेजों से इसकी सुरक्षा के लिए मीर कासिम ने अपने सेनापति गुरगीन खां को हथियारों का निर्माण करने वाले 18 कारीगरों के साथ मुंगेर भेजा. सेनापति ने यहां आकर स्थानीय लोगों को हथियार बनाने की ट्रेनिंग दी. उस समय हजारों लोगों ने हथियार बनाने के गुर सीखे. घर-घर हथियार बनाए जाने लगे. अंग्रेजों का जब शासन आया तो इसे एकीकृत किया गया. आजाद भारत में बंदूक कारखाना इन्हीं कारीगरों को लेकर बनाया गया.
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