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Munger Hospital Condition: असरगंज PHC जर्जर, एक दिन की बारिश में 3 दिन टपकती है छत - condition of Asarganj PHC

मुंगेर के असरगंज प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जर्जर है. अस्पताल में मरीज और डॉक्टर दोनों ही जर्जर हो रहे भवन को लेकर डरे हुए हैं. यहां सबकुछ काम के लिए 'मैनेज' है.

patna
अपने बेहतर इलाज की राह देख रहा है मुंगेर का ये अस्पताल
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Published : Jun 8, 2021, 8:56 PM IST

Updated : Jun 8, 2021, 10:06 PM IST

मुंगेरः जिले के असरगंज प्रखंड के सभी सात पंचायतों के लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए असरगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है. लेकिन पीएचसी के जर्जर भवन से कर्मचारी और मरीज दोनों डरे हुए हैं. हालात ये है कि एक दिन की बारिश में छत से 3 दिन तक पानी टपकता है.

इसे भी पढ़ेंः Bihar Hospital Condition: अस्पताल में भूसा, OT में चारा, इसीलिए दिया था सुशासन का नारा ?

ये है अस्पताल की कंडीशन
कोरोना काल में मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारी भी इसी अस्पताल पर है. अस्पताल की जर्जर हालत को देख ये अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि यहां मरीजों की कंडीशन कैसी होगी. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से लेकर कार्यालय भवन तक जर्जर पड़ा है.

देखें वीडियो

जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर असरगंज के इस पीएचसी पर 72 गांव के लोग निर्भर हैं. मरीजों को यहां लाने के लिए पीएचसी में दो एंबुलेंस हैं. लेकिन इसमें भी बड़ी बात ये है कि एक एंबुलेंस खराब पड़ी है.

ऐसे में जब मरीज रेफर होते हैं तो उन्हें खुद से निजी वाहन की व्यवस्था करनी पड़ती है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि पीएचसी का पूरा भवन ही जर्जर है. जिस कारण मरीजों के साथ-साथ अस्पताल कर्मियों की भी जान हलक में अटकी रहती है.

असरगंज के इस पीएचसी में वर्षों से महिला चिकित्सक नहीं है. वहीं पीएचसी की चाहरदीवारी भी क्षतिग्रस्त है. जिसकी मरम्मत अभी तक नहीं हो पाई है. .

क्या कहते हैं स्थानीय?
अस्पताल की दयनीय हालत पर यहां के स्थानीय युवक गुड्डू कुमार कहते हैं कि यह समस्या पिछले कई सालों से बनी हुई है. अभी तक किसी ने भी इसके समाधान पर ध्यान नहीं दिया. अस्पताल की जर्जर हालत को लेकर वे कहते हैं कि एक बार वो दवाई लेने गए थे, तब छत का एक हिस्सा टूट कर गिरा था. उस वक्त किस्मत ठीक थी नहीं तो दुर्घटना घट जाती.

अस्पताल कर्मियों में हैं भय का माहौल?
कोरोना काल मे असरगंज पीएचसी की दयनीय दशा का खामियाजा मरीजों के साथ ही अस्पताल कर्मियों को भी झेलना पड़ रहा है. जर्जर भवन होने के कारण कई तरह की दवाइयां और ORS के पैकेट कार्यालय भवन में फेंके पड़े हैं. विडम्बना ये है कि भवन नहीं होने के कारण कोरोना जांच शिविर भी अस्पताल कैम्पस में लगे पेड़ के नीचे चलाया जा रहा है.

लैब टेक्नीशियन राहुल और एएनएम रेखा की माने तो यहां स्टाफ डर के साये में काम करने को मजबूर हैं. वे कहते हैं कि छत की सीलिंग टूट-टूट कर गिरती रहती है, बरसात में छत टपकती रहती है और यहां इस सब के बीच काम चलता रहता है.

फंड आया पर, काम नहीं हुआ शुरू
बताते चलें कि कोरोना काल में बिहार के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के हालात खुल कर सामने आ गए हैं. असरगंज का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी ऐसे कई उदहारणों में से एक है. जहां की स्वास्थ्य व्यवस्था का पहला पाया, जिसे स्वास्थ्य केन्द्र का भवन कहते हैं, जर्जर हाल में है.

ऐसा नहीं की इस को सुदृढ़ करने को लेकर काम नहीं किए गए, सरकार की तरफ से अस्पताल को लेकर फण्ड भी आया. प्रभारी ललन बताते हैं कि 5 करोड़ का फण्ड तो आवंटित हुआ पर काम चालू नही हो पाया है.

मुंगेरः जिले के असरगंज प्रखंड के सभी सात पंचायतों के लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए असरगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है. लेकिन पीएचसी के जर्जर भवन से कर्मचारी और मरीज दोनों डरे हुए हैं. हालात ये है कि एक दिन की बारिश में छत से 3 दिन तक पानी टपकता है.

इसे भी पढ़ेंः Bihar Hospital Condition: अस्पताल में भूसा, OT में चारा, इसीलिए दिया था सुशासन का नारा ?

ये है अस्पताल की कंडीशन
कोरोना काल में मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारी भी इसी अस्पताल पर है. अस्पताल की जर्जर हालत को देख ये अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि यहां मरीजों की कंडीशन कैसी होगी. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से लेकर कार्यालय भवन तक जर्जर पड़ा है.

देखें वीडियो

जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर असरगंज के इस पीएचसी पर 72 गांव के लोग निर्भर हैं. मरीजों को यहां लाने के लिए पीएचसी में दो एंबुलेंस हैं. लेकिन इसमें भी बड़ी बात ये है कि एक एंबुलेंस खराब पड़ी है.

ऐसे में जब मरीज रेफर होते हैं तो उन्हें खुद से निजी वाहन की व्यवस्था करनी पड़ती है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि पीएचसी का पूरा भवन ही जर्जर है. जिस कारण मरीजों के साथ-साथ अस्पताल कर्मियों की भी जान हलक में अटकी रहती है.

असरगंज के इस पीएचसी में वर्षों से महिला चिकित्सक नहीं है. वहीं पीएचसी की चाहरदीवारी भी क्षतिग्रस्त है. जिसकी मरम्मत अभी तक नहीं हो पाई है. .

क्या कहते हैं स्थानीय?
अस्पताल की दयनीय हालत पर यहां के स्थानीय युवक गुड्डू कुमार कहते हैं कि यह समस्या पिछले कई सालों से बनी हुई है. अभी तक किसी ने भी इसके समाधान पर ध्यान नहीं दिया. अस्पताल की जर्जर हालत को लेकर वे कहते हैं कि एक बार वो दवाई लेने गए थे, तब छत का एक हिस्सा टूट कर गिरा था. उस वक्त किस्मत ठीक थी नहीं तो दुर्घटना घट जाती.

अस्पताल कर्मियों में हैं भय का माहौल?
कोरोना काल मे असरगंज पीएचसी की दयनीय दशा का खामियाजा मरीजों के साथ ही अस्पताल कर्मियों को भी झेलना पड़ रहा है. जर्जर भवन होने के कारण कई तरह की दवाइयां और ORS के पैकेट कार्यालय भवन में फेंके पड़े हैं. विडम्बना ये है कि भवन नहीं होने के कारण कोरोना जांच शिविर भी अस्पताल कैम्पस में लगे पेड़ के नीचे चलाया जा रहा है.

लैब टेक्नीशियन राहुल और एएनएम रेखा की माने तो यहां स्टाफ डर के साये में काम करने को मजबूर हैं. वे कहते हैं कि छत की सीलिंग टूट-टूट कर गिरती रहती है, बरसात में छत टपकती रहती है और यहां इस सब के बीच काम चलता रहता है.

फंड आया पर, काम नहीं हुआ शुरू
बताते चलें कि कोरोना काल में बिहार के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के हालात खुल कर सामने आ गए हैं. असरगंज का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी ऐसे कई उदहारणों में से एक है. जहां की स्वास्थ्य व्यवस्था का पहला पाया, जिसे स्वास्थ्य केन्द्र का भवन कहते हैं, जर्जर हाल में है.

ऐसा नहीं की इस को सुदृढ़ करने को लेकर काम नहीं किए गए, सरकार की तरफ से अस्पताल को लेकर फण्ड भी आया. प्रभारी ललन बताते हैं कि 5 करोड़ का फण्ड तो आवंटित हुआ पर काम चालू नही हो पाया है.

Last Updated : Jun 8, 2021, 10:06 PM IST
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