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Holi 2023: बिहार के इस गांव में होली के रंगों से दूर भागते हैं लोग, 200 सालों से नहीं मना फगुआ - ईटीवी भारत बिहार

बिहार के मुंगेर में एक ऐसा गांव है जहां होली में बदरंग माहौल रहता है. 200 सालों से इस गांव के लोगों ने ना तो रंगों से खेला है और ना ही घर में पुआ पकवान ही बनाया है. आखिर इसके पीछे का कारण क्या है जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें...

Holi is not celebrated for two hundred years
Holi is not celebrated for two hundred years
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Published : Mar 7, 2023, 2:48 PM IST

बिहार के इस गांव में नहीं मनती होली

मुंगेर: होली के नजदीक आते ही जहां हर तरफ होली का रंग चढ़ने लगा है,तो वहीं दूसरी ओर राज्य के मुंगेर जिला अंतर्गत असरगंज प्रखंड के एक गांव में वीराना छाया हुआ है. इस गांव का नाम सती स्थान है. सती स्थान गांव के लोग बीते 200 वर्षों से होली नहीं मनाते हैं. गांव वालों का मानना है कि जिस ने भी इस गांव में होली मनाई है उसके यहां कुछ न कुछ अनहोनी घटित हुई है.

200 साल से नहीं मनायी गयी होली: मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर असरगंज प्रखंड अंतर्गत सजूआ पंचायत के सती स्थान गांव की कहानी सभी का ध्यान खींच लेती है. इस गांव की आबादी लगभग 1500 है और यहां के ग्रामीणों रंगों से दूर भागते हैं.होली के आते ही इस गांव के लोग सचेत हो जाते हैं. होली के दिन सती गांव के ग्रामीण न तो एक दूसरे को रंग,गुलाल लगाते हैं और ना ही होली में बनने वाले पकवान ही बनाते हैं. साथ ही दूसरे गांव के लोग भी सती गांव के लोगों पर रंग गुलाल नहीं डालते हैं.

सती हुई थी पत्नी: ग्रामीणों के मुताबिक, किवदंती है कि गांव में एक पति-पत्नी रहते थे. होली के दिन पति की मौत हो जाती है. ग्रामीण शव को दाह संस्कार के लिए लेकर जाने लगते हैं. लेकिन शव बार-बार अर्थी से नीचे गिर जाता था. वहीं पत्नी को लोगों ने घर में ही बंद कर दिया था. गांव वालों ने जब पत्नी को घर का दरवाजा खोल कर निकाला तो पत्नी दौड़कर पति के अर्थी के पास पहुंचकर कहती है कि मैं भी अपने पति के साथ जल कर सती होना चाहती हूं. यह बात सुनकर गांव वालों ने गांव में ही चिता तैयार कर दी. तभी अचानक पत्नी के हाथों की उंगली से आग निकलती है. उसी आग में पति-पत्नी साथ-साथ जल जाते हैं. कुछ समय बाद ग्रामीणों के सहयोग से सती स्थल पर एक टेंपल बनवाया गया.

'होली खेलने पर होती है अनहोनी': ग्रामीणों के अनुसार जिस ने भी चोरी छिपे यहां होली मानने को कोशिश की उसके यहां कुछ न कुछ अनर्थ हो जाता है. साथ ही इस गांव के लोग जो बाहर कहीं बसे हुए हैं, वे भी होली नहीं मनाते हैं. सभी इस परंपरा को सख्ती से पालन करते हैं. कुछ ग्रामीणों ने बताया कि पत्नी के सती होने के कारण ही गांव का नाम ही सती गांव रख दिया गया.

"हमलोग होली नहीं मनाते हैं. होली के दिन साधारण खाना ही बनाते हैं. हम होली बैशाख में मनाते हैं. होली मनाने पर कुछ न कुछ अनर्थ होता है. सती स्थान में पूजा करने दूर-दूर से लोग आते हैं."- विभा देवी, सती गांव निवासी

"200 सालों से हमने होली नहीं मनाई है. होली अगर कोई मना ले तो अनहोनी हो जाती है. आग लग जाना या घर में कुछ भी अशुभ हो जाता है इसलिए हमलोग होली में रंगों से दूर रहते हैं."-प्रेमानंद, सती गांव निवासी

बिहार के इस गांव में नहीं मनती होली

मुंगेर: होली के नजदीक आते ही जहां हर तरफ होली का रंग चढ़ने लगा है,तो वहीं दूसरी ओर राज्य के मुंगेर जिला अंतर्गत असरगंज प्रखंड के एक गांव में वीराना छाया हुआ है. इस गांव का नाम सती स्थान है. सती स्थान गांव के लोग बीते 200 वर्षों से होली नहीं मनाते हैं. गांव वालों का मानना है कि जिस ने भी इस गांव में होली मनाई है उसके यहां कुछ न कुछ अनहोनी घटित हुई है.

200 साल से नहीं मनायी गयी होली: मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर असरगंज प्रखंड अंतर्गत सजूआ पंचायत के सती स्थान गांव की कहानी सभी का ध्यान खींच लेती है. इस गांव की आबादी लगभग 1500 है और यहां के ग्रामीणों रंगों से दूर भागते हैं.होली के आते ही इस गांव के लोग सचेत हो जाते हैं. होली के दिन सती गांव के ग्रामीण न तो एक दूसरे को रंग,गुलाल लगाते हैं और ना ही होली में बनने वाले पकवान ही बनाते हैं. साथ ही दूसरे गांव के लोग भी सती गांव के लोगों पर रंग गुलाल नहीं डालते हैं.

सती हुई थी पत्नी: ग्रामीणों के मुताबिक, किवदंती है कि गांव में एक पति-पत्नी रहते थे. होली के दिन पति की मौत हो जाती है. ग्रामीण शव को दाह संस्कार के लिए लेकर जाने लगते हैं. लेकिन शव बार-बार अर्थी से नीचे गिर जाता था. वहीं पत्नी को लोगों ने घर में ही बंद कर दिया था. गांव वालों ने जब पत्नी को घर का दरवाजा खोल कर निकाला तो पत्नी दौड़कर पति के अर्थी के पास पहुंचकर कहती है कि मैं भी अपने पति के साथ जल कर सती होना चाहती हूं. यह बात सुनकर गांव वालों ने गांव में ही चिता तैयार कर दी. तभी अचानक पत्नी के हाथों की उंगली से आग निकलती है. उसी आग में पति-पत्नी साथ-साथ जल जाते हैं. कुछ समय बाद ग्रामीणों के सहयोग से सती स्थल पर एक टेंपल बनवाया गया.

'होली खेलने पर होती है अनहोनी': ग्रामीणों के अनुसार जिस ने भी चोरी छिपे यहां होली मानने को कोशिश की उसके यहां कुछ न कुछ अनर्थ हो जाता है. साथ ही इस गांव के लोग जो बाहर कहीं बसे हुए हैं, वे भी होली नहीं मनाते हैं. सभी इस परंपरा को सख्ती से पालन करते हैं. कुछ ग्रामीणों ने बताया कि पत्नी के सती होने के कारण ही गांव का नाम ही सती गांव रख दिया गया.

"हमलोग होली नहीं मनाते हैं. होली के दिन साधारण खाना ही बनाते हैं. हम होली बैशाख में मनाते हैं. होली मनाने पर कुछ न कुछ अनर्थ होता है. सती स्थान में पूजा करने दूर-दूर से लोग आते हैं."- विभा देवी, सती गांव निवासी

"200 सालों से हमने होली नहीं मनाई है. होली अगर कोई मना ले तो अनहोनी हो जाती है. आग लग जाना या घर में कुछ भी अशुभ हो जाता है इसलिए हमलोग होली में रंगों से दूर रहते हैं."-प्रेमानंद, सती गांव निवासी

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