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मुंगेर के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों का होगा विकास, पर्यटन के क्षेत्र में बनेगी एक अलग पहचान - ईटीवी भारत बिहार ताजा समाचार

मुंगेर जिले की जल्द ही ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों की तस्वीरें बदलने वाली हैं. मुंगेर के ऐतिहासिक मीर कासिम किला, गर्म जल का कुंड और ऋषि कुंड समेत कई स्थलों का जीर्णोद्धार किया जाना है. जिसे लेकर पर्यटन विभाग की टीम ने सर्वे भी कर लिया है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

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Published : Jan 29, 2022, 8:04 AM IST

Updated : Jan 29, 2022, 2:33 PM IST

मुंगेर: यूं तो पूरा बिहार ही इतिहास (History Of Bihar) के पन्नों में अपना विशेष स्थान रखता है और यहां का कण-कण इसके इतिहास को बताता है. लेकिन इसी बिहार का एक प्राचीन स्थल मुंगेर है, जिसका अपना एक महत्वपूर्ण इतिहास रहा है. उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर अवस्थित मुंगेर जिले के ऐतिहासिक (Historical Places In Munger) एवं धार्मिक स्थलों (Religious Places In Munger) की तस्वीरें बदलने वाली है. जिले की पहचान मीर कासिम का किला, गर्म जल का कुंड, ऋषि कुंड, सीताकुंड, जमालपुर झील सहित कई स्थान भारत के पर्यटन मानचित्र पर जल्द ही दिखने लगेंगे. इसके कायाकल्प की कवायद तेज कर दी गई है.

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मुंगेर के ऐतिहासिक मीर कासिम किले के जीर्णोद्धार का कार्य जल्द शुरू कर दिया जाएगा. इस संबंध में जिला पदाधिकारी नवीन कुमार ने बताया कि किला के सौंदर्यीकरण के लिए पर्यटन विभाग की टीम ने आकर सर्वे कर लिया है. किला के जीर्णोद्धार के साथ-साथ किले के पास ही बने कैनाल में नौका विहार चालू करवाया जाएगा. जिससे किला देखने आने वाले सैलानी नौका विहार का भी आनंद ले सकेंगे. इससे योग नगरी की देश में अपनी एक अलग पहचान बनेगी.

देखें रिपोर्ट.

मुंगेर वह धरती है, जहां सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी. आनंद रामायण के अनुसार राम ने सीता की पवित्रता के लिए अग्नि परीक्षा ली थी और यह अग्नि परीक्षा सीता ने मुंगेर जिला के मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत बरदह पंचायत के एक मैदानी स्थान पर दी थी. कहा जाता है कि जिस स्थान पर सीता माता अग्निकुंड में समाहित हुई थी और अग्निकुंड से वापस निकलने के बाद वह जिस कुंड में स्नान की, उस कुंड का पानी अभी भी गर्म है. जिससे उस कुंड को सीताकुंड कहा जाता है. इस कुंड के 50 मीटर की दूरी पर स्थित राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का कुंड का पानी है, जो काफी ठंडा है. जबकि सीताकुंड का जल गर्म है. यहां सालों भर सैलानियों का तांता लगा रहता है. माघ माह की पूर्णिमा में एक माह का फर्नीचर मेला इलाके में मशहूर है.

ये भी पढ़ें: नया साल मुंगेर के लोगों के लिए खास, 16 जनवरी को एक साथ मिलेगी ये दो-दो सौगात

'मीर कासिम के किला का कायाकल्प करने के लिए पर्यटन विभाग की टीम ने आकर सर्वे कर लिया है. जल्द ही इस के उत्थान के लिए डीपीआर बनाकर कार्य आरंभ किया जाएगा. ऋषि कुंड और सीता कुंड का डीपीआर बनाकर पूर्व में ही भेजा जा चुका है. इसके अलावा धरहरा प्रखंड का सतघरवा जलाशय योजना, जमालपुर काली पहाड़ काली पहाड़ के समीप झील का जीर्णोद्धार कर वहां सैलानियों के लिए कई तरह के कार्य किए जाएंगे.' - नवीन कुमार, जिलाधिकारी

मुंगेर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर रामनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत ऋषि कुंड स्थान पहाड़ की तराई में स्थित है. पहाड़ से अनवरत निकलने वाले गर्म जल के स्रोत इस कुंड की पहचान है. यहां सालों भर कुंड का जल गर्म रहता है. ठंड के दिनों में तो गर्म जल के कुंड में स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां प्रत्येक 3 वर्ष पर राजगीर और पुष्कर की तर्ज पर एक माह का मनमास मेला लगता है. इसके उत्थान के लिए 12 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है. जल्द ही इस पर कार्य होना है.

वहीं, मुंगेर मुख्यालय से 9 किलोमीटर की दूरी पर जमालपुर काली पहाड़ी स्थित है. काली पहाड़ी के नीचे ही रेलवे की जमीन पर एक बहुत बड़े आकार का झील है. इस झील में सैलानी के लिए नौका विहार बनाया जाएगा. इसके लिए जमालपुर विधायक अजय कुमार सिंह ने विधानसभा में प्रश्न भी किया था. इसके डीपीआर बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा विभाग को पत्र भेजा जा चुका है. वहीं, धरहरा प्रखंड के बंगलवा पंचायत में स्थित पहाड़ के सात धाराओं से निकलने वाला जल को सतघरवा जलाशय के नाम से जाना जाता है. सात धाराओं से मिलकर बने इस जलाशाय को देखने को लोग दूर-दूर से आते हैं. हरे-भरे पहाड़ की वादियों में सैलानी अधिक से अधिक संख्या में आएं, इसके लिए सड़के चौड़ी एवं जलाशय के पास विश्राम गृह और कैफेटेरिया का भी निर्माण कार्य होना है. इसके डीपीआर के लिए भी जिला प्रशासन विभाग को पत्र लिखा है.

'इन सभी स्थलों के अलावा जिले के कई ऐतिहासिक स्थानों को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग को पत्र लिखा है. जल्द ही इस पर कार्य शुरू होंगे. कार्य पूर्ण हो जाने के बाद मुंगेर जिला भारत के पर्यटन के मानचित्र पर नजर आएगा और सैलानियों का यहां ताता लगा रहेगा. जिससे यहां रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.' -प्रमोद कुमार, विधायक

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मुंगेर: यूं तो पूरा बिहार ही इतिहास (History Of Bihar) के पन्नों में अपना विशेष स्थान रखता है और यहां का कण-कण इसके इतिहास को बताता है. लेकिन इसी बिहार का एक प्राचीन स्थल मुंगेर है, जिसका अपना एक महत्वपूर्ण इतिहास रहा है. उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर अवस्थित मुंगेर जिले के ऐतिहासिक (Historical Places In Munger) एवं धार्मिक स्थलों (Religious Places In Munger) की तस्वीरें बदलने वाली है. जिले की पहचान मीर कासिम का किला, गर्म जल का कुंड, ऋषि कुंड, सीताकुंड, जमालपुर झील सहित कई स्थान भारत के पर्यटन मानचित्र पर जल्द ही दिखने लगेंगे. इसके कायाकल्प की कवायद तेज कर दी गई है.

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मुंगेर के ऐतिहासिक मीर कासिम किले के जीर्णोद्धार का कार्य जल्द शुरू कर दिया जाएगा. इस संबंध में जिला पदाधिकारी नवीन कुमार ने बताया कि किला के सौंदर्यीकरण के लिए पर्यटन विभाग की टीम ने आकर सर्वे कर लिया है. किला के जीर्णोद्धार के साथ-साथ किले के पास ही बने कैनाल में नौका विहार चालू करवाया जाएगा. जिससे किला देखने आने वाले सैलानी नौका विहार का भी आनंद ले सकेंगे. इससे योग नगरी की देश में अपनी एक अलग पहचान बनेगी.

देखें रिपोर्ट.

मुंगेर वह धरती है, जहां सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी. आनंद रामायण के अनुसार राम ने सीता की पवित्रता के लिए अग्नि परीक्षा ली थी और यह अग्नि परीक्षा सीता ने मुंगेर जिला के मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत बरदह पंचायत के एक मैदानी स्थान पर दी थी. कहा जाता है कि जिस स्थान पर सीता माता अग्निकुंड में समाहित हुई थी और अग्निकुंड से वापस निकलने के बाद वह जिस कुंड में स्नान की, उस कुंड का पानी अभी भी गर्म है. जिससे उस कुंड को सीताकुंड कहा जाता है. इस कुंड के 50 मीटर की दूरी पर स्थित राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का कुंड का पानी है, जो काफी ठंडा है. जबकि सीताकुंड का जल गर्म है. यहां सालों भर सैलानियों का तांता लगा रहता है. माघ माह की पूर्णिमा में एक माह का फर्नीचर मेला इलाके में मशहूर है.

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'मीर कासिम के किला का कायाकल्प करने के लिए पर्यटन विभाग की टीम ने आकर सर्वे कर लिया है. जल्द ही इस के उत्थान के लिए डीपीआर बनाकर कार्य आरंभ किया जाएगा. ऋषि कुंड और सीता कुंड का डीपीआर बनाकर पूर्व में ही भेजा जा चुका है. इसके अलावा धरहरा प्रखंड का सतघरवा जलाशय योजना, जमालपुर काली पहाड़ काली पहाड़ के समीप झील का जीर्णोद्धार कर वहां सैलानियों के लिए कई तरह के कार्य किए जाएंगे.' - नवीन कुमार, जिलाधिकारी

मुंगेर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर रामनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत ऋषि कुंड स्थान पहाड़ की तराई में स्थित है. पहाड़ से अनवरत निकलने वाले गर्म जल के स्रोत इस कुंड की पहचान है. यहां सालों भर कुंड का जल गर्म रहता है. ठंड के दिनों में तो गर्म जल के कुंड में स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां प्रत्येक 3 वर्ष पर राजगीर और पुष्कर की तर्ज पर एक माह का मनमास मेला लगता है. इसके उत्थान के लिए 12 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है. जल्द ही इस पर कार्य होना है.

वहीं, मुंगेर मुख्यालय से 9 किलोमीटर की दूरी पर जमालपुर काली पहाड़ी स्थित है. काली पहाड़ी के नीचे ही रेलवे की जमीन पर एक बहुत बड़े आकार का झील है. इस झील में सैलानी के लिए नौका विहार बनाया जाएगा. इसके लिए जमालपुर विधायक अजय कुमार सिंह ने विधानसभा में प्रश्न भी किया था. इसके डीपीआर बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा विभाग को पत्र भेजा जा चुका है. वहीं, धरहरा प्रखंड के बंगलवा पंचायत में स्थित पहाड़ के सात धाराओं से निकलने वाला जल को सतघरवा जलाशय के नाम से जाना जाता है. सात धाराओं से मिलकर बने इस जलाशाय को देखने को लोग दूर-दूर से आते हैं. हरे-भरे पहाड़ की वादियों में सैलानी अधिक से अधिक संख्या में आएं, इसके लिए सड़के चौड़ी एवं जलाशय के पास विश्राम गृह और कैफेटेरिया का भी निर्माण कार्य होना है. इसके डीपीआर के लिए भी जिला प्रशासन विभाग को पत्र लिखा है.

'इन सभी स्थलों के अलावा जिले के कई ऐतिहासिक स्थानों को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग को पत्र लिखा है. जल्द ही इस पर कार्य शुरू होंगे. कार्य पूर्ण हो जाने के बाद मुंगेर जिला भारत के पर्यटन के मानचित्र पर नजर आएगा और सैलानियों का यहां ताता लगा रहेगा. जिससे यहां रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.' -प्रमोद कुमार, विधायक

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Last Updated : Jan 29, 2022, 2:33 PM IST
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