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दोनों पैरों से दिव्यांग 'आमिर' बेसहारा लोगों की जिंदगी में भरते हैं खुशियां, कमाल का है इनका 'रोटी बॉक्स'

मुंगेर के आमिर उल इस्लाम खुद दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. लेकिन इसके बाद भी वे ट्राई साइकिल से घूम-घूमकर चौक-चौराहे पर भूखे पेट सो रहे बेबस लोगों को खाना खिलाने का काम वर्षों से करते आ रहे हैं. उनके इस नेक कार्य की हर कोई सराहना कर रहा है और आमिर से प्रेरणा भी ले रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

दिव्यांग 'आमिर
दिव्यांग 'आमिर
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Published : Sep 4, 2021, 12:34 AM IST

मुंगेरः धर्म और मजहब की दीवार को तोड़कर दोनों पैरों से दिव्यांग आमिर उल इस्लाम (Amir Ul Islam) ने लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है. आज की भागमभाग भरी जिंदगी में जहां रिश्तों की कद्र खत्म हो गई है, वहीं आमिर अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर रोज फुटपाथ पर सो रहे असहाय भूखे लोगों को भोजन (Feed The Hungry) कराते हैं.

इसे भी पढ़ें- इंसानियत की मिसाल : महामारी के बीच शवों का अंतिम संस्कार कर रहे कॉन्स्टेबल ज्ञानदेव प्रभाकर

आमिर दोनों पैर से विकलांग हैं. कहीं भी आने-जाने के लिए उन्हें ट्राइसाइकिल का सहारा लेना पड़ता है. पिछले 10 सालों से आमिर ने आमिर ने अपने ट्राई साइकिल के पीछे में एक बक्सा बना रखा है और इसे नाम दिया है 'रोटी बॉक्स'. आमिर इस रोटी बॉक्स में लगभग 15 से 20 लोगों का खाना पैककर रात में चौराहे की तरफ निकल पड़ते हैं.

इसके बाद चौराहों और फुटपाथ पर भूखे सो रहे बेसहारा, बेबस और लाचार लोगों को खाना खिलाते हैं. आमिर इस काम को एक मिशन के तौर पर कर रहे हैं. और उन्होंने इेस नाम दिया है 'कोई भूखा ना सोए. रोटी बॉक्स में आसपास के लोगों से रोटी-सब्जी या बेकरी के दुकान से खाने पीने के सामान को वे शाम में ही इकट्ठा कर लेते हैं. अगर कहीं से खाना नहीं मिल पाता है तो वे अपने घर से ही खाना बनाकर लोगों को खिलाते हैं.

आमिर 'कोई भूखा ना सोए' मिशन के तहत रोज रात 8:00 बजे से लोगों को खाना खिलाने निकल पड़ते हैं. वे मुंगेर शहर के 5 किलोमीटर क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाले विभिन्न फुटपाथ एवं चौक चौराहों पर सोने वाले बेसहारा लोगों को भोजन बांटते हैं. भोजन के लिए वह किसी के श्राद्ध, बर्थडे या शादी विवाह कार्यक्रम में जाते हैं, जहां से बचे हुए खाना को लेकर लोगों के बीच बांटते हैं.

"अगर ठंड या गर्मी को देखते हुए हम घर ही में रह जाएंगे तो दर्जनों लोगों को भूखे सोना पड़ेगा. यह अच्छी बात नहीं है. मैं इसलिए इस कार्य को लगातार जारी रखा हूं. मैं भोजन वितरण के कार्य को फेसबुक लाइव के जरिए लोगों को दिखाता हूं. मकसद होता है कि लोग भी जागरूक हों. वे भी किसी की मदद करें और किसी बेसहारा को भूखे न सोना पड़े."- आमिर, दिव्यांग समाजसेवी

आमिर की शादी इसी साल 2021 मई में हुई है. आमिर ने कहा कि पत्नी आयशा भी हमारे इस काम को पसंद करती है. उन्होंने बताया कि फेसबुक पर ही समाजसेवा के कार्य को देखकर लड़की ने उन्हें पसंद की थी. आयशा भी इस काम में आमिर की खूब मदद करती है. आमिर भोजन वितरण के अलावा गरीब बच्चों के बीच पठन-पाठन सामग्री का भी वितरण करते हैं.

वे 'अहसास' नामक संस्था चलाते हैं. इसके तहत वे होम ट्यूशन के लिए ट्विटर, घर में काम करने के लिए दाई या आया, अस्पतालों में काम करने के लिए मेडिकल स्टाफ जरूरतमंदों को मुहैया करवाते हैं.

इसे भी पढ़ें- मानवता की अनूठी मिसालः मूक-बधिर मरीजों के लिए नर्स ने सीखी साइन लैंग्वेज

आमिर ने बताया कि उन्हें क्रिकेट काफी पसंद है. वह अब भी मैदान में खेल सकते हैं. उन्होंने बताया कि उनका चयन अंडर-19 हैंडीकैप टीम में हुआ था, लेकिन किसी कारणवश वह टीम में शामिल नहीं हो सके. आमिर को श्रीलंका दौरे पर नहीं जाने का अब भी मलाल है. आमिर के कार्यों को आज क्षेत्र के अलावा दूर-दराज के इलाकों में पसंद किया जा रहा है. लोग उनके कार्यों से प्रेरणा लेते हैं.

मुंगेरः धर्म और मजहब की दीवार को तोड़कर दोनों पैरों से दिव्यांग आमिर उल इस्लाम (Amir Ul Islam) ने लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है. आज की भागमभाग भरी जिंदगी में जहां रिश्तों की कद्र खत्म हो गई है, वहीं आमिर अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर रोज फुटपाथ पर सो रहे असहाय भूखे लोगों को भोजन (Feed The Hungry) कराते हैं.

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आमिर दोनों पैर से विकलांग हैं. कहीं भी आने-जाने के लिए उन्हें ट्राइसाइकिल का सहारा लेना पड़ता है. पिछले 10 सालों से आमिर ने आमिर ने अपने ट्राई साइकिल के पीछे में एक बक्सा बना रखा है और इसे नाम दिया है 'रोटी बॉक्स'. आमिर इस रोटी बॉक्स में लगभग 15 से 20 लोगों का खाना पैककर रात में चौराहे की तरफ निकल पड़ते हैं.

इसके बाद चौराहों और फुटपाथ पर भूखे सो रहे बेसहारा, बेबस और लाचार लोगों को खाना खिलाते हैं. आमिर इस काम को एक मिशन के तौर पर कर रहे हैं. और उन्होंने इेस नाम दिया है 'कोई भूखा ना सोए. रोटी बॉक्स में आसपास के लोगों से रोटी-सब्जी या बेकरी के दुकान से खाने पीने के सामान को वे शाम में ही इकट्ठा कर लेते हैं. अगर कहीं से खाना नहीं मिल पाता है तो वे अपने घर से ही खाना बनाकर लोगों को खिलाते हैं.

आमिर 'कोई भूखा ना सोए' मिशन के तहत रोज रात 8:00 बजे से लोगों को खाना खिलाने निकल पड़ते हैं. वे मुंगेर शहर के 5 किलोमीटर क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाले विभिन्न फुटपाथ एवं चौक चौराहों पर सोने वाले बेसहारा लोगों को भोजन बांटते हैं. भोजन के लिए वह किसी के श्राद्ध, बर्थडे या शादी विवाह कार्यक्रम में जाते हैं, जहां से बचे हुए खाना को लेकर लोगों के बीच बांटते हैं.

"अगर ठंड या गर्मी को देखते हुए हम घर ही में रह जाएंगे तो दर्जनों लोगों को भूखे सोना पड़ेगा. यह अच्छी बात नहीं है. मैं इसलिए इस कार्य को लगातार जारी रखा हूं. मैं भोजन वितरण के कार्य को फेसबुक लाइव के जरिए लोगों को दिखाता हूं. मकसद होता है कि लोग भी जागरूक हों. वे भी किसी की मदद करें और किसी बेसहारा को भूखे न सोना पड़े."- आमिर, दिव्यांग समाजसेवी

आमिर की शादी इसी साल 2021 मई में हुई है. आमिर ने कहा कि पत्नी आयशा भी हमारे इस काम को पसंद करती है. उन्होंने बताया कि फेसबुक पर ही समाजसेवा के कार्य को देखकर लड़की ने उन्हें पसंद की थी. आयशा भी इस काम में आमिर की खूब मदद करती है. आमिर भोजन वितरण के अलावा गरीब बच्चों के बीच पठन-पाठन सामग्री का भी वितरण करते हैं.

वे 'अहसास' नामक संस्था चलाते हैं. इसके तहत वे होम ट्यूशन के लिए ट्विटर, घर में काम करने के लिए दाई या आया, अस्पतालों में काम करने के लिए मेडिकल स्टाफ जरूरतमंदों को मुहैया करवाते हैं.

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आमिर ने बताया कि उन्हें क्रिकेट काफी पसंद है. वह अब भी मैदान में खेल सकते हैं. उन्होंने बताया कि उनका चयन अंडर-19 हैंडीकैप टीम में हुआ था, लेकिन किसी कारणवश वह टीम में शामिल नहीं हो सके. आमिर को श्रीलंका दौरे पर नहीं जाने का अब भी मलाल है. आमिर के कार्यों को आज क्षेत्र के अलावा दूर-दराज के इलाकों में पसंद किया जा रहा है. लोग उनके कार्यों से प्रेरणा लेते हैं.

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