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मछुआरों पर लॉकडाउन की मार, जीना हुआ मुहाल

मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सदर प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र मंडल ने बताया कि पहले बिहार सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मछली मारने और बेचने पर प्रतिबंध लगाया था. पिछले सप्ताह ही इस पर बैन हटा लिया गया. लेकिन प्रशासन और पुलिस के अधिकारी अभी भी मछली मारने और बाजार में मछली लाकर बेचने वालों को परेशान करते है.

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Published : Apr 8, 2020, 6:51 PM IST

मछुआरा
मछुआरा

मुंगेर: जिले में लगभग 200 मछुआरों का परिवार है. इन लोगों का मुख्य पेशा गंगा नदी में नाव के सहारे देर रात तक मछली मारना और अहले सुबह इसको बाजार में बेचकर पैसे कमाना है. लॉकडाउन के कारण पुलिस इन्हें मछली मारने पर पिटाई करती है, तो बाजार आकर मछली बेचने पर भी उन्हें परेशान किया जाता है. ऐसे में मछली मारने वाले मछुआरों की परेशानी बढ़ गई है. यह लोग अब मुश्किल से रिस्क लेकर 50-100 रुपए ही कमा पाते हैं.

मछली बेचने की दी जाए आजादी
मुकेश सहनी, अंबिका मांझी, परबतिया देवी, सोनू सहनी ने बताया कि हम लोग चोरी-छिपे मछली मारने गंगा किनारे आते हैं. यहीं पर कुछ लोग आकर मछली खरीद लेते हैं. इससे कुछ कमाई हो जाती है, जिससे घर में मुश्किल से दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाता है. मछुआरों ने बताया कि सरकार सभी लोगों के लिए कुछ कर रही है, तो मछुआरों के लिए क्यों नहीं करती है. हम लोगों का जीना मुहाल हो गया है. घर जाते हैं तो बच्चे रोटी की मांग करते हैं और हम लोग उतने भोजन नहीं जुटा पाते जितना पहले जुटा पाते थे. वहीं, मछुआरों ने सरकार से मांग किया है कि मछली बेचने की आजादी दी जाए.

munger
मछुआरा

इन इलाकों में रहता है मछुआरों का परिवार
मुंगेर जिला के लल्लू पोखर, कंकरघाट, चंडिका स्थान, शेरपुर, बासुदेवपुर, सीताकुंड डीह, घोरघट, बरियारपुर के इलाके में लगभग 200 परिवार मछुआरों का रहता है. यह सभी गंगा के किनारे घर बनाकर रहते हैं. इन लोगों का कहना है कि एक तो मछली खरीदने के लिए खरीददार अब नहीं आते हैं. दूसरी ओर पुलिस प्रशासन भी मछली बेचने पर उन्हें परेशान करती हैं. ऐसे में लॉकडाउन के कारण घर में खाने के लाले पड़े हैं. वहीं, मछुआरों ने कहा कि पैसे नहीं रहने के कारण अन्य जरूरी चीजें भी हम लोग नहीं ले पाते है.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रशासन और पुलिस करती है परेशान
मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सदर प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र मंडल ने बताया कि पहले बिहार सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मछली मारने और बेचने पर प्रतिबंध लगाया था. पिछले सप्ताह ही इस पर बैन हटा लिया गया. लेकिन प्रशासन और पुलिस के अधिकारी अभी भी मछली मारने और बाजार में मछली लाकर बेचने वालों को परेशान करते है.

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मछुआरा

मछुआरों पर कार्रवाई करना करें बंद
मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सदस्य संतोष साहनी ने बताया कि सरकार ने मछली मारने और बेचने पर प्रतिबंध तो नहीं लगाया है. लेकिन हां यह जरूरी सामान में शामिल नहीं है. इसलिए प्रशासन के कुछ लोग तंग करते हैं. हम मांग करते हैं कि प्रशासन मछली मारने और बेचने पर कार्रवाई नहीं करें. मछुआरों की जिंदगी वैसे भी परेशानी भरा रहती है. ये लोग जान जोखिम में डालकर दिनभर गंगा की तैरती लहरों पर मछली मारने का काम करते हैं. लेकिन इन्हें लॉगडाउन के कारण सही कीमत मछली का नहीं मिल पाता ना ही खरीदार मिल पाता है. इसलिए अविलंब प्रशासन मछुआरों पर कार्रवाई करना बंद करें.

मुंगेर: जिले में लगभग 200 मछुआरों का परिवार है. इन लोगों का मुख्य पेशा गंगा नदी में नाव के सहारे देर रात तक मछली मारना और अहले सुबह इसको बाजार में बेचकर पैसे कमाना है. लॉकडाउन के कारण पुलिस इन्हें मछली मारने पर पिटाई करती है, तो बाजार आकर मछली बेचने पर भी उन्हें परेशान किया जाता है. ऐसे में मछली मारने वाले मछुआरों की परेशानी बढ़ गई है. यह लोग अब मुश्किल से रिस्क लेकर 50-100 रुपए ही कमा पाते हैं.

मछली बेचने की दी जाए आजादी
मुकेश सहनी, अंबिका मांझी, परबतिया देवी, सोनू सहनी ने बताया कि हम लोग चोरी-छिपे मछली मारने गंगा किनारे आते हैं. यहीं पर कुछ लोग आकर मछली खरीद लेते हैं. इससे कुछ कमाई हो जाती है, जिससे घर में मुश्किल से दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाता है. मछुआरों ने बताया कि सरकार सभी लोगों के लिए कुछ कर रही है, तो मछुआरों के लिए क्यों नहीं करती है. हम लोगों का जीना मुहाल हो गया है. घर जाते हैं तो बच्चे रोटी की मांग करते हैं और हम लोग उतने भोजन नहीं जुटा पाते जितना पहले जुटा पाते थे. वहीं, मछुआरों ने सरकार से मांग किया है कि मछली बेचने की आजादी दी जाए.

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मछुआरा

इन इलाकों में रहता है मछुआरों का परिवार
मुंगेर जिला के लल्लू पोखर, कंकरघाट, चंडिका स्थान, शेरपुर, बासुदेवपुर, सीताकुंड डीह, घोरघट, बरियारपुर के इलाके में लगभग 200 परिवार मछुआरों का रहता है. यह सभी गंगा के किनारे घर बनाकर रहते हैं. इन लोगों का कहना है कि एक तो मछली खरीदने के लिए खरीददार अब नहीं आते हैं. दूसरी ओर पुलिस प्रशासन भी मछली बेचने पर उन्हें परेशान करती हैं. ऐसे में लॉकडाउन के कारण घर में खाने के लाले पड़े हैं. वहीं, मछुआरों ने कहा कि पैसे नहीं रहने के कारण अन्य जरूरी चीजें भी हम लोग नहीं ले पाते है.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रशासन और पुलिस करती है परेशान
मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सदर प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र मंडल ने बताया कि पहले बिहार सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मछली मारने और बेचने पर प्रतिबंध लगाया था. पिछले सप्ताह ही इस पर बैन हटा लिया गया. लेकिन प्रशासन और पुलिस के अधिकारी अभी भी मछली मारने और बाजार में मछली लाकर बेचने वालों को परेशान करते है.

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मछुआरों पर कार्रवाई करना करें बंद
मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सदस्य संतोष साहनी ने बताया कि सरकार ने मछली मारने और बेचने पर प्रतिबंध तो नहीं लगाया है. लेकिन हां यह जरूरी सामान में शामिल नहीं है. इसलिए प्रशासन के कुछ लोग तंग करते हैं. हम मांग करते हैं कि प्रशासन मछली मारने और बेचने पर कार्रवाई नहीं करें. मछुआरों की जिंदगी वैसे भी परेशानी भरा रहती है. ये लोग जान जोखिम में डालकर दिनभर गंगा की तैरती लहरों पर मछली मारने का काम करते हैं. लेकिन इन्हें लॉगडाउन के कारण सही कीमत मछली का नहीं मिल पाता ना ही खरीदार मिल पाता है. इसलिए अविलंब प्रशासन मछुआरों पर कार्रवाई करना बंद करें.

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