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madhubani news: नेपाल से मधुबनी पहुंची देव शिला यात्रा, जय श्री राम के नारों से गुंजायमान रहा इलाका - Construction of Lord Ram temple in Ayodhya

अयोध्या में होने वाले भगवान श्री राम मां जानकी की मूर्ति निर्माण हेतु पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की काली गंडकी नदी से दो शालिग्राम शिलाएं भारत के पिपरौन व फुलहर बोर्डर होते हुए जट ही सीमा होते में प्रवेश की. रामशिला यात्रा का भव्य रूप से स्वागत किया गया.

रामलला मूर्ति
रामलला मूर्ति
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Published : Jan 30, 2023, 11:05 PM IST

मधुबनी: अयोध्या में होने वाले भगवान राम और मां जानकी की मूर्ति निर्माण हेतु पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की काली गंडकी नदी से दो शालिग्राम शिलाएं भारत के पिपरौन व फुलहर बार्डर होते हुए आई है. केरवा से प्रखंड की सीमा में प्रवेश करते ही सड़क के दोनों ओर श्रद्धालुओं का सैलाब शिलाओं की एक झलक पाने व स्पर्श करने को बेताब दिखा. इस दौरान साहरघाट पहुंचने पर रामशिला यात्रा का भव्य रूप से स्वागत किया गया. जहां पुष्प वर्षा, पटाखों की गूंज के संग जय श्री राम के नारों से संपूर्ण क्षेत्र गुंजायमान रहा.

इसे भी पढ़ेंः जनवरी 2024 में भगवान सूर्य के उत्तरायण होते ही हो जाएगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा: चंपत राय

जगह जगह स्वागतः महिलाओं ने अपने आंचल पसार कर भगवान श्रीराम व माता सीता से अपने परिवार व बच्चों के लिए वरदान मांगते नजर आईं. वहीं जगह जगह इनके स्वागत को विश्व हिंदू परिषद भारत, नेपाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल सहित दर्जनों हिंदू संगठन के प्रतिनिधि व कार्यकर्ता काफी उत्साहित थे. शिलाएं करीब 6 करोड़ वर्ष पुरानी हैं. इनमें से एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है.

अयोध्या के लिए रवानाः इन दोनों शिलाओं के 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पूजन के पश्चात 26 जनवरी को ट्रक में लोड किया गया था. 28 जनवरी को नेपाल के पोखरा क्षेत्र से ये शिलाएं हेटौड़ा, पथलैया, निजगढ़, लालबंदी, बर्दिबास होते हुए ढल्केबर पहुंची. जहां से जनकपुर स्थित प्रसिद्ध जानकी मंदिर के लिए निकलीं. वहां पहुंचने पर 29 जनवरी की सुबह महाआरती और विजय महामंत्र के जाप के साथ परिक्रमा कर रात्रि विश्राम के बाद 30 जनवरी को वहां से अयोध्या के लिए रवाना किया गया है.

इसे भी पढ़ेंः Ram Mandir Construction: अयोध्या में ओपन एयर थिएटर समेत ये सुविधाएं भी होंगी, फिल्म भी बनाई जाएगी

यहां-यहां से गुजरेगीः भारत के मधुबनी जिले के जटही, पिपरौन, फुलहर, साहरघाट, बैंगरा, बसैठ होते हुए दरभंगा जिले के जगवन, कमतौल, रघौली, सदलहपुर, टेक्टाइर, मोहमदपुर, कर्जा, वरियॉल, माधोपट्टी, सिसो, मव्वी होते हुए आगे निकलेगी. यहां से मुजफ्फरपुर के कांटी में रात्रि विश्राम के बाद 31 जनवरी को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए निकल जाएगी. वहां 2 फरवरी को ये शिलाएं अयोध्या पहुंचेंगी. श्याम वर्ण की ये दो विशाल शिलाएं विश्व हिंदू परिषद द्वारा अयोध्या लाई जा रही है. विभिन्न स्वरूपों में मिलने वाले श्याम वर्ण के श्रीशालिग्राम भगवान केवल नेपाल के काली गंडकी नदी या कृष्णा गंडकी नदी में ही मिलते हैं, जिसे नारायणी के नाम से भी जाना जाता है.

'करीब 500 वर्ष के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम की मंदिर निर्माण हेतु नेपाल से मां जानकी और श्री राम के मूर्ति निर्माण हेतु शिला लाई जा रही है'- हरि भूषण ठाकुर बचोर, भाजपा विधायक

मधुबनी: अयोध्या में होने वाले भगवान राम और मां जानकी की मूर्ति निर्माण हेतु पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की काली गंडकी नदी से दो शालिग्राम शिलाएं भारत के पिपरौन व फुलहर बार्डर होते हुए आई है. केरवा से प्रखंड की सीमा में प्रवेश करते ही सड़क के दोनों ओर श्रद्धालुओं का सैलाब शिलाओं की एक झलक पाने व स्पर्श करने को बेताब दिखा. इस दौरान साहरघाट पहुंचने पर रामशिला यात्रा का भव्य रूप से स्वागत किया गया. जहां पुष्प वर्षा, पटाखों की गूंज के संग जय श्री राम के नारों से संपूर्ण क्षेत्र गुंजायमान रहा.

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जगह जगह स्वागतः महिलाओं ने अपने आंचल पसार कर भगवान श्रीराम व माता सीता से अपने परिवार व बच्चों के लिए वरदान मांगते नजर आईं. वहीं जगह जगह इनके स्वागत को विश्व हिंदू परिषद भारत, नेपाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल सहित दर्जनों हिंदू संगठन के प्रतिनिधि व कार्यकर्ता काफी उत्साहित थे. शिलाएं करीब 6 करोड़ वर्ष पुरानी हैं. इनमें से एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है.

अयोध्या के लिए रवानाः इन दोनों शिलाओं के 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पूजन के पश्चात 26 जनवरी को ट्रक में लोड किया गया था. 28 जनवरी को नेपाल के पोखरा क्षेत्र से ये शिलाएं हेटौड़ा, पथलैया, निजगढ़, लालबंदी, बर्दिबास होते हुए ढल्केबर पहुंची. जहां से जनकपुर स्थित प्रसिद्ध जानकी मंदिर के लिए निकलीं. वहां पहुंचने पर 29 जनवरी की सुबह महाआरती और विजय महामंत्र के जाप के साथ परिक्रमा कर रात्रि विश्राम के बाद 30 जनवरी को वहां से अयोध्या के लिए रवाना किया गया है.

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यहां-यहां से गुजरेगीः भारत के मधुबनी जिले के जटही, पिपरौन, फुलहर, साहरघाट, बैंगरा, बसैठ होते हुए दरभंगा जिले के जगवन, कमतौल, रघौली, सदलहपुर, टेक्टाइर, मोहमदपुर, कर्जा, वरियॉल, माधोपट्टी, सिसो, मव्वी होते हुए आगे निकलेगी. यहां से मुजफ्फरपुर के कांटी में रात्रि विश्राम के बाद 31 जनवरी को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए निकल जाएगी. वहां 2 फरवरी को ये शिलाएं अयोध्या पहुंचेंगी. श्याम वर्ण की ये दो विशाल शिलाएं विश्व हिंदू परिषद द्वारा अयोध्या लाई जा रही है. विभिन्न स्वरूपों में मिलने वाले श्याम वर्ण के श्रीशालिग्राम भगवान केवल नेपाल के काली गंडकी नदी या कृष्णा गंडकी नदी में ही मिलते हैं, जिसे नारायणी के नाम से भी जाना जाता है.

'करीब 500 वर्ष के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम की मंदिर निर्माण हेतु नेपाल से मां जानकी और श्री राम के मूर्ति निर्माण हेतु शिला लाई जा रही है'- हरि भूषण ठाकुर बचोर, भाजपा विधायक

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