मधुबनी: केंद्र और राज्य सरकार द्वारा खेत-खलिहान के लिए चलाई जा रही योजनाओं से किसान भले ही संतुष्ट हों, लेकिन गन्ने का मूल्य न बढ़ने पर खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं.
बता दें कि किसान गन्ना उत्पादन कर चीनी मिल को देते हैं, लेकिन ज्यादातर मिल बंद होने के बाद गन्ना की खेती धीरे-धीरे कम होने लगी है. वहीं खेती करने में किसान को लागत के अनुपात में फसल की कीमत नहीं मिल पाती है. इस कारण से किसान गन्ना की खेती छोड़ने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि गन्ना की खेती उनके लिए घाटे का सौदा बन गया है.
कई चीनी मिलें बंद पड़ी हैं
जिले में 3 चीनी मिलें हुआ करती थीं लेकिन सरकार की उदासी के कारण सभी मिल कई सालों से बंद पड़े हैं. इस कारण किसानों की हालत काफी दयनीय है. गन्ना किसानों को पहले 2 हजार रुपये कट्ठा के हिसाब से गन्ना का मूल्य मिलता था, जो इस बार मात्र 500 रुपये प्रति कट्ठा मिल रहा है. अब देखना होगा कि गन्ना किसानों के हित में सरकार क्या कदम उठाती है?