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दिल्ली में बिक रहा मधुबनी का घास से बना सामान, लोग कर रहे हैं पसंद

इंडिया गेट पर लगे सरस आजीविका मेले में बिहार के मधुबनी के इस समूह ने बकायदा एक स्टॉल लगाया. जहां पर घास से बनी सभी चीजों को रखा गया. यहां तमाम लोग ना सिर्फ उनके इस सामान को देखने के लिए पहुंचे, बल्कि उसे खरीद भी रहे हैं.

बिक रही टोकरी.
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Published : Oct 25, 2019, 8:42 AM IST

नई दिल्ली/ मधुबनी: क्या कभी आपने सोचा है कि एक घास के तिनके से आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल किए जाने वाली सुंदर और आकर्षित चीजें बनाई जा सकती हैं, नहीं तो हम आपको बता देते हैं कि बिहार का भगवती जीविका सेल्फ समूह कई सालों से घास से सुंदर-सुंदर टोकरिया और आपके घर में काम आने वाली कई चीजें बनाता है. इस समूह से कई सैकड़ों महिलाएं जुड़ी हुई हैं जो बिहार के मधुबनी में घर से टोकरी बनाने का काम करती हैं.

राजधानी में लाए मधुबनी की कारीगरी
आपको बता देते हैं कि बिहार के मधुबनी तक ही सिर्फ इन महिलाओं का हुनर सीमित नहीं है, क्योंकि अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी यह महिलाएं घास से बनी शानदार चीजें लेकर आई हैं, और इन्हें बेच रही हैं जिन्हें लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.

जीविका समूह से मिला मुकाम
इंडिया गेट पर लगे सरस आजीविका मेले में बिहार के मधुबनी के इस समूह ने बकायदा एक स्टॉल लगाया. जहां पर घास से बनी सभी चीजों को रखा गया. यहां तमाम लोग ना सिर्फ उनके इस सामान को देखने के लिए पहुंचे, बल्कि उसे खरीद भी रहे थे, इस दौरान हमने इस स्टॉल पर मौजूद यह सामान बनाने वाली मीरा जी से बात की.

उन्होंने बताया कि वह कई सालों से बिहार में घास से टोकरिया और तमाम चीजें बनाने का काम कई सालों से कर रही थी, लेकिन उनके काम को कोई पहचान और अच्छा रोजगार नहीं मिल पा रहा था.

2011 में बनाया समूह
जिसके बाद उन्होंने साल 2011 में कई महिलाओं के साथ जुड़कर एक समूह बनाया, और सरकार ने उन्हें मौका दिया जिसके बाद आज वह ना सिर्फ अपने हुनर को देश भर में पहुंचा रही हैं, बल्कि अच्छी आजीविका भी कमा पा रही है.

नई दिल्ली/ मधुबनी: क्या कभी आपने सोचा है कि एक घास के तिनके से आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल किए जाने वाली सुंदर और आकर्षित चीजें बनाई जा सकती हैं, नहीं तो हम आपको बता देते हैं कि बिहार का भगवती जीविका सेल्फ समूह कई सालों से घास से सुंदर-सुंदर टोकरिया और आपके घर में काम आने वाली कई चीजें बनाता है. इस समूह से कई सैकड़ों महिलाएं जुड़ी हुई हैं जो बिहार के मधुबनी में घर से टोकरी बनाने का काम करती हैं.

राजधानी में लाए मधुबनी की कारीगरी
आपको बता देते हैं कि बिहार के मधुबनी तक ही सिर्फ इन महिलाओं का हुनर सीमित नहीं है, क्योंकि अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी यह महिलाएं घास से बनी शानदार चीजें लेकर आई हैं, और इन्हें बेच रही हैं जिन्हें लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.

जीविका समूह से मिला मुकाम
इंडिया गेट पर लगे सरस आजीविका मेले में बिहार के मधुबनी के इस समूह ने बकायदा एक स्टॉल लगाया. जहां पर घास से बनी सभी चीजों को रखा गया. यहां तमाम लोग ना सिर्फ उनके इस सामान को देखने के लिए पहुंचे, बल्कि उसे खरीद भी रहे थे, इस दौरान हमने इस स्टॉल पर मौजूद यह सामान बनाने वाली मीरा जी से बात की.

उन्होंने बताया कि वह कई सालों से बिहार में घास से टोकरिया और तमाम चीजें बनाने का काम कई सालों से कर रही थी, लेकिन उनके काम को कोई पहचान और अच्छा रोजगार नहीं मिल पा रहा था.

2011 में बनाया समूह
जिसके बाद उन्होंने साल 2011 में कई महिलाओं के साथ जुड़कर एक समूह बनाया, और सरकार ने उन्हें मौका दिया जिसके बाद आज वह ना सिर्फ अपने हुनर को देश भर में पहुंचा रही हैं, बल्कि अच्छी आजीविका भी कमा पा रही है.

Intro:क्या कभी आपने सोचा है की एक घास के तिनके से आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल किए जाने वाली सुंदर और आकर्षित चीजें बनाई जा सकती हैं, नहीं तो हम आपको बता देते हैं कि बिहार का भगवती जीविका सेल्फ समूह कई सालों से घास से सुंदर-सुंदर टोकरिया और आपके घर में काम आने वाली कई चीजें बनाता है. इस समूह से कई सैकड़ों महिलाएं जुड़ी हुई हैं जो बिहार के मधुबनी में घर से टोकरी बनाने का काम करती हैं.


Body:राजधानी में लेकर आए मधुबनी की शानदार कारीगरी
लेकिन आपको बता देते हैं कि बिहार के मधुबनी तक ही सिर्फ इन महिलाओं का हुनर सीमित नहीं है, क्योंकि अब राष्ट्रीय राजधानी में भी यह महिलाएं घास से बनी शानदार चीजें लेकर आई हैं, और इन्हें बेच रही हैं जिन्हें लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

जीविका समूह बनाने से मिला अच्छा मुकाम
इंडिया गेट पर लगे सरस आजीविका मेले में बिहार के मधुबनी के इस समूह ने बकायदा एक स्टॉल लगाया. जहां पर घास से बनी सभी चीजों को रखा गया, यहां तमाम लोग ना सिर्फ उनके इस सामान को देखने के लिए पहुंचे, बल्कि उसे खरीद भी रहे थे, इस दौरान हमने इस स्टॉल पर मौजूद यह सामान बनाने वाली मीरा जी से बात की जिन्होंने बताया कि वह कई सालों से बिहार में घास से तो टोकरिया और तमाम चीजें बनाने का काम कई सालों से कर रही थी, लेकिन उनके काम को कोई पहचान और अच्छा रोजगार नहीं मिल पा रहा था.


Conclusion:2011 में बनाया समूह
जिसके बाद उन्होंने साल 2011 में कई महिलाओं के साथ जुड़कर एक समूह बनाया, और सरकार ने उन्हें मौका दिया जिसके बाद आज वह ना सिर्फ अपने हुनर को देश भर में पहुंचा रही हैं, बल्कि अच्छी आजीविका भी कमा पा रही है.
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