मधुबनी: पिछले साल जिले की कमला बलान नदी में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने कोहराम मचा दिया था. झंझारपुर अनुमंडल के नरूआर, औझौल, गोपलखा, रखवारी में नदी का रौद्र रूप देखने को मिला था. नदी के पश्चिमी तटबंध के टूटने से नरूआर गांव में 65 मकान थे. जहां अधिकांश मकान नदी की धारा में बह गए. जो कुछ मकान बचा भी है, वो ध्वस्त हो चुका है. मकान के बीच तालाब नुमा गड्ढे हो गए हैं. इससे लोगों का जीना दूभर हो चुका है.
हर जगह भरा हुआ पानी
बाढ़ की त्रासदी से लोग घर से बेघर हो गए. कई मकान नदी की धारा में बह गए. इस बाढ़ से जिले में 35 लोगों की मौत हुई थी. जिला प्रशासन की ओर से नरुआर गांव 65 मकान ध्वस्त हुआ था, उन लोगों को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर आईबी के भवन में ठहराया गया. जिला प्रशासन की ओर से कुछ महीनों तक इन लोगों का कैंप के माध्यम से भोजन की व्यवस्था की गई. लेकिन अब इन लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति बनी हुई है. आईबी में ठहरे बाढ़ पीड़ितों को खाली करने का भी निर्देश दिया गया है. इन लोगों के सामने दुविधा भरी स्थिति बनी हुई है. सारा संपत्ति, घर सभी नदी की धारा में बह चुका है. आखिर लोग रहे तो कहां रहे. जिला प्रशासन की ओर से कुछ लोगों को जमीन भी मुहैया कराई गई, लेकिन वहां भी पानी भरा हुआ है.
'घर या जमीन देने की मांग'
बाढ़ पीड़ित सुंदरी देवी ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से कुछ सहयोग मिला और बाकी रिश्तेदारों की तरफ से अनाज दिया जाता है. कुछ राशन दुकान से मिल जाती है, जिससे बच्चों का पालन चल रहा है. उन्होंने कहा कि इस भीषण ठंडी में जीना दूभर हो गया है. जंगल में रहने को विवश होना पड़ रहा है. वहीं, उन्होंने जिला प्रशासन और सरकार से अविलंब आवास योजना के तहत घर या जमीन देने की मांग की.
'सब कुछ बह गया नदी में'
रीना देवी ने बताया कि सारा संपत्ति हम लोगों का बाढ़ में बह गया. गाय-मवेशी सब कुछ नदी में बह गया. वहीं, एसडीएम शैलेश कुमार चौधरी ने बताया कि बाढ़ की त्रासदी के समय नरुआर के बाढ़ पीड़ितों को आईबी में व्यवस्था की गई थी. लेकिन जमीन बंदोबस्त कर पर्ची दे दी गई हैं. बहुत जल्द बाकी व्यवस्था करवा दी जाएगी.