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मधुबनी: इंडो-नेपाल बॉर्डर के पास बसे परिवार सरकारी सहायता से वंचित, मदद की गुहार - People are in trouble due to ignorance by government

कोरोना महामारी के समय में सरकारी सहायता से वंचित जिले में इंडो नेपाल बॉर्डर के पास बसे दर्जनों परीवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. इन लोगों का कहना है कि सरकार वोट लेने के बाद भी उनकी उपेक्षा कर रही है. जबकि स्थानीय जनप्रतिनिधि कोई ध्यान नहीं देते हैं.

Family settled near Indo Nepal border denied government assistance in madhubani
Family settled near Indo Nepal border denied government assistance in madhubani
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Published : Jun 20, 2020, 7:12 AM IST

मधुबनी: जिले के जयनगर अनुमंडल स्थित बेलही पश्चिमी पंचायत में रहने वाले दर्जनों परिवार सरकारी सुविधा से वंचित है. इन लोगों का आरोप है कि सरकार उनके ऊपर कोई ध्यान नहीं देती है. जबकि वो सब अपना वोट भी सरकार को ही देते हैं. वहीं, कोरोना महामारी के समय में भी सरकार उसके प्रति उदासीन रवैया अपना रही है. जिससे उनलोगों को परेशानी होती है.

बता दें कि इन परिवारों के पूर्वज करीब 50 सालों पहले से इंडो नेपाल बॉर्डर के पास आकर बस गए थे. जिससे सरकार इन लोगों पर ध्यान नहीं देती. वहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इन लोगों का ख्याल नहीं रखते. सिर्फ चुनाव के समय वोट लेने के लिए इन लोगों का हाल-चाल लिया जाता है. इन लोगों को कोई सरकारी सहायता नहीं मिलने से, ये लोग मजदूरी और छोटा-मोटा व्यवसाय कर अपना जीवन यापन करते हैं.

सरकार से मदद की गुहार

इन परिवार की महिलाओं ने बताया कि कोरोना महामारी के समय में सरकारी स्तर पर हमें सिर्फ हर आदमी के ऊपर 5 किलो चावल और आधा किलो दाल मिला है, लेकिन किसी अन्य तरह की सरकारी सुविधा या सहायता राशि नहीं दी गई. वहीं, कोरोना महामारी के कारण मजदूरी या व्यवसाय नहीं चलने से काफी परेशानियां हो रही है. इसके अलावा इन महिलाओं ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

मधुबनी: जिले के जयनगर अनुमंडल स्थित बेलही पश्चिमी पंचायत में रहने वाले दर्जनों परिवार सरकारी सुविधा से वंचित है. इन लोगों का आरोप है कि सरकार उनके ऊपर कोई ध्यान नहीं देती है. जबकि वो सब अपना वोट भी सरकार को ही देते हैं. वहीं, कोरोना महामारी के समय में भी सरकार उसके प्रति उदासीन रवैया अपना रही है. जिससे उनलोगों को परेशानी होती है.

बता दें कि इन परिवारों के पूर्वज करीब 50 सालों पहले से इंडो नेपाल बॉर्डर के पास आकर बस गए थे. जिससे सरकार इन लोगों पर ध्यान नहीं देती. वहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इन लोगों का ख्याल नहीं रखते. सिर्फ चुनाव के समय वोट लेने के लिए इन लोगों का हाल-चाल लिया जाता है. इन लोगों को कोई सरकारी सहायता नहीं मिलने से, ये लोग मजदूरी और छोटा-मोटा व्यवसाय कर अपना जीवन यापन करते हैं.

सरकार से मदद की गुहार

इन परिवार की महिलाओं ने बताया कि कोरोना महामारी के समय में सरकारी स्तर पर हमें सिर्फ हर आदमी के ऊपर 5 किलो चावल और आधा किलो दाल मिला है, लेकिन किसी अन्य तरह की सरकारी सुविधा या सहायता राशि नहीं दी गई. वहीं, कोरोना महामारी के कारण मजदूरी या व्यवसाय नहीं चलने से काफी परेशानियां हो रही है. इसके अलावा इन महिलाओं ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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