मधुबनी: सुबे के मुखिया नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भ्रष्टाचार समाप्त करने और जीरो टोल रेन्स की बात कहते रहते हैं. लेकिन सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद सरकारी दफ्तरों एवं अस्पतालों में अवैध वसूली का धंधा बड़े स्तर पर की जा रही है. आए दिन सरकारी दफ्तरों, सरकारी अस्पतालों से अवैध वसूली की खबरें आती रहती है. ताजा मामला मधुबनी जिले के सदर अस्पताल मधुबनी का है. जहां मेडिकल सर्टिफिकेट देने के बदले कर्मचारी द्वारा 500 रुपए की मांग की जा रही है. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
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मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर उगाही: वायरल वीडियो में स्पष्ट देखा और सुना जा सकता है कि कर्मचारी कह रहे हैं कि 500 रूपया लगता है. ऐसा ही रिश्वत खोरी का मामला कैमरे में कैद हुआ है. जिसने मधुबनी सदर अस्पताल में अधिकारियों की संलिप्तता से चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दिया है. मधुबनी सदर अस्पताल का मामला है. जहां मेडिकल सर्टिफिकेट में कर्मी बासुकीनाथ पूर्वे द्वारा पांच सौ रुपये की उगाही की जा रही है. दरअसल, एक युवक को नौकरी मिली. जिसमें उसे मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता थी. युवक सदर अस्पताल पहुंचकर मेडिकल प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया तो कर्मी द्वारा 500 रुपये की मांग की गई. युवक ने इसकी सूचना मीडिया को दिया.
सर्टिफिकेट के लिए पांच सौ रुपये की मांग: मीडिया की टीम पहुंचकर युवक द्वारा कर्मी को दिए जा रहे रुपये को खुफिया कैमरा में कैद किया. इस अवैध उगाही के बाबत जब अस्पताल के संलिप्त कर्मी से पूछा गया तो उसने सीएस के आदेश से रुपये लेने की बात बताते हुए कहा ये प्रमाण पत्र बनाने के एवज में रुपया लिया जाता है. वहीं उसने सिविल सर्जन के पास जाने के लिए बोला. सिविल सर्जन से जब मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए निर्धारित शुल्क के बारे में पूछा गया तो उन्हें पता ही नहीं था कि कितना शुल्क निर्धारित है. शुल्क लिया जाता है या नहीं. सीएस ने बताया कर्मी से पूछकर बताया जाएगा. जिससे साफ पता चलता है कि मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए कोई शुल्क सरकार द्वारा निर्धारित नहीं है. ऐसे में मनमाने तरीके से उगाही की जा रही है.
पैसा लेने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल: कर्मी बासुकीनाथ पूर्वे द्वारा उक्त युवक से पांच सौ रुपये की मांग की गई. युवक ने साढ़े तीन सौ रुपया कर्मी को दिया, रुपया मिलते ही कर्मी ने एक घण्टे में सर्टिफिकेट लेने के लिए आने के लिए कहा. कर्मी द्वारा सर्टिफिकेट बनाकर दे दिया गया. लेकिन लिए गए रुपये का कोई रशीद नहीं दिया गया. कर्मी ने बताया पांच सौ रुपया देने पर रशीद दिया जाएगा. पांच सौ से कम देने पर रशीद नहीं दिया जाएगा. बहरहाल युवक ने कम रुपये में काम करने को लेकर साढ़े तीन सौ रुपया दिया और कर्मी मान गए और कुछ घण्टों में ही मेडिकल सर्टिफिकेट बनाकर दे दिया.
सदर अस्पताल में सभी कार्यों के लिए रेट फिक्स: लोगों की माने तो सदर अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट, दिव्यांग सर्टिफिकेट, जन्म प्रमाण पत्र सहित अन्य कार्यों का रेट फिक्स है. रुपया नहीं देने पर लोगों को महीनों दौड़ाने के बाद भी कार्य नहीं हो पाता है. ऐसे में लोग नजराना शुल्क देकर काम कराने में भलाई समझते हैं. इस रिश्वत खोरी की खेल में सीएस और अस्पताल प्रशासन की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है. देखना है जिला प्रशासन और सरकार मामले में क्या कार्रवाई करती है.
पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग मौन: अब बड़ा सवाल यह है कि जहां एकतरफ सूबे के मुखिया नीतीश कुमार सुशासन की सरकार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की सरकार का दावा करते हैं और दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जो बिहार में पढ़ाई, कमाई, दवाई और सुनवाई की सरकार होने का दावा करते हैं. वहीं जमीनी सच्चाई तो कुछ और ही बयां कर रही है. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास की जा रही है. बावजूद इसके भ्रष्ट कर्मियों और अधिकारियों द्वारा अवैध उगाही जारी है. अब देखना है कि कर्मी के द्वारा इस उगाही वीडियो के मामले में क्या कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग करती है.