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मधुबनी: कोरोना के बीच घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं आशा फैसिलिटेटर

जिले के बासोपट्टी प्रखंड की आशा फैसिलिटेटर कविता कुमारी 14 सालों से 100 से 150 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव करवाती है.

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Published : Jun 4, 2020, 6:51 PM IST

मधुबनी: देश में आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य का पहला सिपाही कहा जाता है. सरकार की तरफ से चलाई जा रही तमाम तरह की स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी घर-घर तक पहुंचाने की जिम्मेवारी इनकी होती है. जिले के बासोपट्टी प्रखंड की आशा फैसिलिटेटर कविता कुमारी पिछले 14 सालों से प्रतिवर्ष 100 से 150 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव करवाती है. साथ ही इस संक्रमण काल में लोगों को कोरोना वायरस और इससे बचाव को लेकर जागरुक भी कर रही हैं.

कविता कुमारी ने कोरोना संक्रमण काल में भी पूरी तत्परता से काम कर रही है. कविता घर-घर जाकर लोगों को इस वायरस के बारे में जागरुक कर रही है. इनकी कार्यकुशलता ही इनकी पहचान बन चुकी हैं. कविता ने बताया कि गांव में पहले संस्थागत प्रसव के बारे में जागरुकता नहीं थी. जब मैं आशा फैसिलिटेटर बनी तो लोगों को अस्पताल जाने के लिए प्रेरित किया. लोगों को अस्पताल में मिल रही सुविधाओं के बारे में अवगत कराया. उन्हें संस्थागत प्रसव के लिए समझाया. साथ ही गर्भवती को प्रसव पूर्व जांच, आयरन और कैल्शियम की गोली अनिवार्य रुप से खाने के फायदों के बारे में जानकारी दी. गर्भवती के परिवार के सदस्यों को अस्पताल ले जाकर वहां की बदली हुई व्यवस्था के बारे में अवगत कराया. धीरे धीरे लोग मेरे साथ अस्पताल जाने लगे. आज इस क्षेत्र का लगभग सभी प्रसव बासोपट्टी पीएससी में ही होता है.
स्वास्थ्य विभाग ने बनाया आशा फैसिलिटेटर
कविता 14 वर्षों से अपने पोषक क्षेत्र में कार्य कर रही है. 2006 से बतौर आशा काम कर रही थी. लेकिन उनके कार्यकुशलता, उनके सौम्य व्यवहार और लोगों को मोबिलाइज करने के तरीके को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2010 में उन्हें आशा फैसिलिटेटर बना दिया. उन्होंने बताया की वोटिंग सिस्टम के आधार पर उनका चुनाव हुआ था. बता दें कि कविता 20 आशा कार्यकर्ताओं की टीम लीडर हैं. प्रतिवर्ष 100 से 150 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव करवाती हैंं. साथ ही परिवार नियोजन के बारे में भी लोगों को सलाह देती है. वहीं इच्छुक लाभार्थियों को साधन भी उपलब्ध करवाती हैं.

कोरोना काल में लोगों को कर रही जागरूक
बता दें कि बासोपट्टी प्रखंड में जिले के सबसे अधिक 30 से ज्यादा कारोना संक्रमित मरीज पाए गये हैं. ऐसे हालातों में कविता और उनकी टीम की आशा, लॉकडाउन में भी 4 सुरक्षित प्रसव करवाने में मदद की. साथ ही इनकी टीम घर-घर जाकर कोरोना संदिग्ध लोगों की पहचान करने में जुटी हैं. जिन लोगों को खांसी, जुखाम, बुखार और गले में दर्द है, ऐसे लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाती हैं. इनके टीम की प्रत्येक आशा रोजाना 10 से 15 घरों में जाकर ग्रामीणों को साफ़-सफाई, मास्क का उपयोग करना, हाथों को बार-बार धोना और सोशल डिस्टेंसिंग की जानकारी देती है.

मधुबनी: देश में आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य का पहला सिपाही कहा जाता है. सरकार की तरफ से चलाई जा रही तमाम तरह की स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी घर-घर तक पहुंचाने की जिम्मेवारी इनकी होती है. जिले के बासोपट्टी प्रखंड की आशा फैसिलिटेटर कविता कुमारी पिछले 14 सालों से प्रतिवर्ष 100 से 150 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव करवाती है. साथ ही इस संक्रमण काल में लोगों को कोरोना वायरस और इससे बचाव को लेकर जागरुक भी कर रही हैं.

कविता कुमारी ने कोरोना संक्रमण काल में भी पूरी तत्परता से काम कर रही है. कविता घर-घर जाकर लोगों को इस वायरस के बारे में जागरुक कर रही है. इनकी कार्यकुशलता ही इनकी पहचान बन चुकी हैं. कविता ने बताया कि गांव में पहले संस्थागत प्रसव के बारे में जागरुकता नहीं थी. जब मैं आशा फैसिलिटेटर बनी तो लोगों को अस्पताल जाने के लिए प्रेरित किया. लोगों को अस्पताल में मिल रही सुविधाओं के बारे में अवगत कराया. उन्हें संस्थागत प्रसव के लिए समझाया. साथ ही गर्भवती को प्रसव पूर्व जांच, आयरन और कैल्शियम की गोली अनिवार्य रुप से खाने के फायदों के बारे में जानकारी दी. गर्भवती के परिवार के सदस्यों को अस्पताल ले जाकर वहां की बदली हुई व्यवस्था के बारे में अवगत कराया. धीरे धीरे लोग मेरे साथ अस्पताल जाने लगे. आज इस क्षेत्र का लगभग सभी प्रसव बासोपट्टी पीएससी में ही होता है.
स्वास्थ्य विभाग ने बनाया आशा फैसिलिटेटर
कविता 14 वर्षों से अपने पोषक क्षेत्र में कार्य कर रही है. 2006 से बतौर आशा काम कर रही थी. लेकिन उनके कार्यकुशलता, उनके सौम्य व्यवहार और लोगों को मोबिलाइज करने के तरीके को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2010 में उन्हें आशा फैसिलिटेटर बना दिया. उन्होंने बताया की वोटिंग सिस्टम के आधार पर उनका चुनाव हुआ था. बता दें कि कविता 20 आशा कार्यकर्ताओं की टीम लीडर हैं. प्रतिवर्ष 100 से 150 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव करवाती हैंं. साथ ही परिवार नियोजन के बारे में भी लोगों को सलाह देती है. वहीं इच्छुक लाभार्थियों को साधन भी उपलब्ध करवाती हैं.

कोरोना काल में लोगों को कर रही जागरूक
बता दें कि बासोपट्टी प्रखंड में जिले के सबसे अधिक 30 से ज्यादा कारोना संक्रमित मरीज पाए गये हैं. ऐसे हालातों में कविता और उनकी टीम की आशा, लॉकडाउन में भी 4 सुरक्षित प्रसव करवाने में मदद की. साथ ही इनकी टीम घर-घर जाकर कोरोना संदिग्ध लोगों की पहचान करने में जुटी हैं. जिन लोगों को खांसी, जुखाम, बुखार और गले में दर्द है, ऐसे लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाती हैं. इनके टीम की प्रत्येक आशा रोजाना 10 से 15 घरों में जाकर ग्रामीणों को साफ़-सफाई, मास्क का उपयोग करना, हाथों को बार-बार धोना और सोशल डिस्टेंसिंग की जानकारी देती है.

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