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मधेपुरा: आलमनगर विधानसभा सीट पर 25 साल से काबिज हैं JDU के उम्मीदवार - बिहार विधानसभा चुनाव अपडेट

बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही तैयारियां तेज कर दी गई हैं. वहीं, चुनाव को लेकर सभी राजनितिक पार्टियों ने भी जनता को आकर्षित करने के लिए अपने-अपने स्तर से तैयारियों में जुट गई हैं.

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मधेपुरा
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Published : Oct 13, 2020, 12:50 PM IST

मधेपुरा: आलमनगर 70 विधानसभा सीट पर तीसरे चरण में मतदान होने वाला है. एनडीए की ओर से पिछले 25 साल से लगातार चुनाव जीतते आ रहे जेडीयू के वर्तमान विधायक सह बिहार सरकार के विधि और लघु सिंचाई मंत्री नरेंद्र नारायण यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. जबकि महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने इंजीनियर नवीन निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है. यहां मुख्य रूप से मुकाबला जेडीयू और राजद के बीच ही होने की संभावना लग रही है. लेकिन यह बात भी जग जाहिर है कि जेडीयू उम्मीदवार नरेंद्र नारायण यादव का मतदाताओं पर पकड़ पिछले 25 साल से बरकरार है. यही कारण है कि इस बार भी पलड़ा जेडीयू का ही भारी नजर आ रहा है.

पंचायत से राजनीति की शुरुआत
जिले के आलमनगर 70 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भी वीआईपी और हॉट सीट माना जाता है. यहां पहली बार 1952 में तनुलाल यादव (एसपी से चुनाव जीते थे) 1957 से 1962 तक यदुनंदन झा कांग्रेस, 1967 से 1972 तक विद्याकर कवि कांग्रेस, 1977 से 1990 तक वीरेंद्र कुमार सिंह जेएनपी, एलकेडी और जनता दल से चुनाव जीते थे. इसके बाद 1990 से लेकर लगातार 2020 तक नरेंद्र नारायण यादव दो बार जनता दल और तीन बार जेडीयू से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार भी जेडीयू ने नरेंद्र नारायण यादव को ही मैदान में उतारा है. जानकारी हो कि नरेंद्रनारायण यादव अपनी राजनीति की शुरुआत पंचायत से की थी पहले वह मुखिया पद पर निर्वाचित हुए इसके बाद ब्लॉक प्रमुख बने. इसी दौरान उन्हें जनता दल का जिलाध्यक्ष बनने का मौका मिला. पार्टी ने कार्यकुशलता को देखते हुए 1990 में पहली बार लालू यादव ने आलमनगर विधानसभा सीट से टिकट दिया और वह भारी मतों से चुनाव जीत भी गए थे. 2000 तक लालू यादव के साथ रहकर विधायक बनते रहे. जब जनता दल से टूटकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल बना तब नरेंद्र नारायण यादव ने लालू यादव को छोड़कर नीतीश कुमार के साथ आ गए यानी 2005 से लेकर अब तक जेडीयू से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार भी पार्टी नरेंद्र नारायण यादव पर भरोसा करते हुए उम्मीदवार बनाया है.

अति पिछड़ा मतदाताओं की सर्वाधिक संख्या
आलमनगर विधानसभा में अति पिछड़ा मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है और जीत हार उन्ही पर निर्भर करता है. ऐसे नरेंद्र नारायण यादव सभी जाति धर्म के लोगों को सब दिन साथ लेकर चलते रहे हैं. आरजेडी ने भी इस बार पिछड़ा कार्ड खेलते हुए अपना उम्मीदवार इंजीनियर नवीन निषाद को बनाया है, जो पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरकर राजनीति की पारी खेलेंगे. इतना ही नहीं दलिया और सामाजिक तानाबाना के मुताबिक आरजेडी के मतदाताओं की संख्या इतनी भी नहीं है कि आरजेडी को जीत के करीब पहुंचा सके. इसीलिए इस बार भी जेडीयू का पलड़ा भारी लग रहा है. आलमनगर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 327874 है. जिसमें पुरुष 171184, महिला 156682 और थर्ड जेंडर 8 है. जिले के सभी चारों विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदाता है आलमनगर विधानसभान में ही है. यहां हर साल बाद आता है, जिससे सर्वाधिक लोग 6 महीने तक परेशान रहते हैं. बाढ़ प्रभावित रहने के कारण जब पानी हट जाता है तो इस क्षेत्र में मक्के की खेती सर्वाधिक होती है. इस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत तीन प्रखंड आलमनगर, चौसा और पुरैनी आता है.

मधेपुरा: आलमनगर 70 विधानसभा सीट पर तीसरे चरण में मतदान होने वाला है. एनडीए की ओर से पिछले 25 साल से लगातार चुनाव जीतते आ रहे जेडीयू के वर्तमान विधायक सह बिहार सरकार के विधि और लघु सिंचाई मंत्री नरेंद्र नारायण यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. जबकि महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने इंजीनियर नवीन निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है. यहां मुख्य रूप से मुकाबला जेडीयू और राजद के बीच ही होने की संभावना लग रही है. लेकिन यह बात भी जग जाहिर है कि जेडीयू उम्मीदवार नरेंद्र नारायण यादव का मतदाताओं पर पकड़ पिछले 25 साल से बरकरार है. यही कारण है कि इस बार भी पलड़ा जेडीयू का ही भारी नजर आ रहा है.

पंचायत से राजनीति की शुरुआत
जिले के आलमनगर 70 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भी वीआईपी और हॉट सीट माना जाता है. यहां पहली बार 1952 में तनुलाल यादव (एसपी से चुनाव जीते थे) 1957 से 1962 तक यदुनंदन झा कांग्रेस, 1967 से 1972 तक विद्याकर कवि कांग्रेस, 1977 से 1990 तक वीरेंद्र कुमार सिंह जेएनपी, एलकेडी और जनता दल से चुनाव जीते थे. इसके बाद 1990 से लेकर लगातार 2020 तक नरेंद्र नारायण यादव दो बार जनता दल और तीन बार जेडीयू से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार भी जेडीयू ने नरेंद्र नारायण यादव को ही मैदान में उतारा है. जानकारी हो कि नरेंद्रनारायण यादव अपनी राजनीति की शुरुआत पंचायत से की थी पहले वह मुखिया पद पर निर्वाचित हुए इसके बाद ब्लॉक प्रमुख बने. इसी दौरान उन्हें जनता दल का जिलाध्यक्ष बनने का मौका मिला. पार्टी ने कार्यकुशलता को देखते हुए 1990 में पहली बार लालू यादव ने आलमनगर विधानसभा सीट से टिकट दिया और वह भारी मतों से चुनाव जीत भी गए थे. 2000 तक लालू यादव के साथ रहकर विधायक बनते रहे. जब जनता दल से टूटकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल बना तब नरेंद्र नारायण यादव ने लालू यादव को छोड़कर नीतीश कुमार के साथ आ गए यानी 2005 से लेकर अब तक जेडीयू से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार भी पार्टी नरेंद्र नारायण यादव पर भरोसा करते हुए उम्मीदवार बनाया है.

अति पिछड़ा मतदाताओं की सर्वाधिक संख्या
आलमनगर विधानसभा में अति पिछड़ा मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है और जीत हार उन्ही पर निर्भर करता है. ऐसे नरेंद्र नारायण यादव सभी जाति धर्म के लोगों को सब दिन साथ लेकर चलते रहे हैं. आरजेडी ने भी इस बार पिछड़ा कार्ड खेलते हुए अपना उम्मीदवार इंजीनियर नवीन निषाद को बनाया है, जो पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरकर राजनीति की पारी खेलेंगे. इतना ही नहीं दलिया और सामाजिक तानाबाना के मुताबिक आरजेडी के मतदाताओं की संख्या इतनी भी नहीं है कि आरजेडी को जीत के करीब पहुंचा सके. इसीलिए इस बार भी जेडीयू का पलड़ा भारी लग रहा है. आलमनगर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 327874 है. जिसमें पुरुष 171184, महिला 156682 और थर्ड जेंडर 8 है. जिले के सभी चारों विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदाता है आलमनगर विधानसभान में ही है. यहां हर साल बाद आता है, जिससे सर्वाधिक लोग 6 महीने तक परेशान रहते हैं. बाढ़ प्रभावित रहने के कारण जब पानी हट जाता है तो इस क्षेत्र में मक्के की खेती सर्वाधिक होती है. इस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत तीन प्रखंड आलमनगर, चौसा और पुरैनी आता है.

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