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मधेपुरा: लोक शिकायत निवारण कार्यालय में अधिकारियों की लापरवाही, नहीं सुनी जा रही जनता की समस्या - Public Grievance Redressal Office in madhepura

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि कार्यलाय में कोई भी अधिकारी नहीं रहता, इसकी वजह से हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है. अधिकारियों की गैर मौजूदगी की वजह से सभी लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है.

कार्यालय में अधिकारियों की लापरवाही
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Published : Nov 23, 2019, 11:45 PM IST

मधेपुरा: जिले में राज्य सरकार की तरफ से साल 2016 में अनुमंडल स्तर पर लोक शिकायत निवारण कार्यालय की स्थापना की गई थी. इसके जरिए आम लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिए 60 दिनों की समय सीमा तय की गई थी. लेकिन, विभागीय लापरवाही की वजह से लोग अब अपनी समस्याओं को लेकर कार्यलाय का चक्कर लगा रहे हैं.

सरकारी योजना का नहीं मिल रहा लाभ
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि कार्यलाय में कोई भी अधिकारी नहीं रहता, इसकी वजह से हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है. अधिकारियों की गैर मौजूदगी की वजह से सभी लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें किसी भी प्रकार के सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में गरीब कहां जाए, कही भी कोई सुनवाई नहीं होती है.

लोक शिकायत निवारण कानून ऑफिस में लगा है ताला

कार्यालय में कई मामले लंबित चल रहे
बता दें कि लोक शिकायत निवारण कार्यालय में कई मामले रुके पड़े हैं. जिले में कई अधिकारियों पर अतिरिक्त प्रभार का भी दबाव है. इस वजह से भी अधिकारी सही वक्त पर अपना काम पूरा नहीं कर पा रहे हैं. अधिकारियों पर अतिरिक्त प्रभार और कार्यालयों में उनकी गैर मौजूदगी से आम जनता नाराज चल रही है.

मधेपुरा: जिले में राज्य सरकार की तरफ से साल 2016 में अनुमंडल स्तर पर लोक शिकायत निवारण कार्यालय की स्थापना की गई थी. इसके जरिए आम लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिए 60 दिनों की समय सीमा तय की गई थी. लेकिन, विभागीय लापरवाही की वजह से लोग अब अपनी समस्याओं को लेकर कार्यलाय का चक्कर लगा रहे हैं.

सरकारी योजना का नहीं मिल रहा लाभ
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि कार्यलाय में कोई भी अधिकारी नहीं रहता, इसकी वजह से हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है. अधिकारियों की गैर मौजूदगी की वजह से सभी लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें किसी भी प्रकार के सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में गरीब कहां जाए, कही भी कोई सुनवाई नहीं होती है.

लोक शिकायत निवारण कानून ऑफिस में लगा है ताला

कार्यालय में कई मामले लंबित चल रहे
बता दें कि लोक शिकायत निवारण कार्यालय में कई मामले रुके पड़े हैं. जिले में कई अधिकारियों पर अतिरिक्त प्रभार का भी दबाव है. इस वजह से भी अधिकारी सही वक्त पर अपना काम पूरा नहीं कर पा रहे हैं. अधिकारियों पर अतिरिक्त प्रभार और कार्यालयों में उनकी गैर मौजूदगी से आम जनता नाराज चल रही है.

Intro:राज्य की नीतीश सरकार आम लोगों से जुड़ी समस्याओं के निस्तारण के लिए मधेपुरा जिले में लोक निवारण कार्यालय की स्थापना कर अपनी पीठ थपथपाने में लगी है,लेकिन दूसरी तरफ आम जनता विभागीय लापरवाही की वजह से स्थापना काल से आज तक अपनी समस्याओं को लेकर कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।


Body:दरअसल मधेपुरा जिले में राज्य सरकार के द्वारा अनुमंडल स्तर पर लोक शिकायत निवारण कार्यालय की स्थापना सन 2016 में की गई थी जिसके माध्यम से आम लोगों की समस्याओं के निस्तारण के लिए 60 दिनों की समय सीमा तय की गई थी।इस कार्यालय में अपनी समस्याओं को लेकर आने वाले लोगों को राज्य सरकार की योजना से काफी उम्मीदें थी लेकिन वर्तमान की स्थिति सरकार की योजना में हो रही अनियमितताओं को बयां कर रही हैं।फरियादियों की माने तो कार्यालय में सही वक्त पर न तो पदाधिकारी मौजूद होते हैं और ना ही उनकी समस्याओं का निवारण करने वाला कोई भी जिम्मेदार।कई बार पदाधिकारी की गैरमौजूदगी से निराश होकर लोग यूं ही अपने घर लौटने को मजबूर हो जाते हैं। स्थापना काल से लेकर अब तक लोक शिकायत निवारण कार्यालय में कई मामले लंबित चल रहे हैं।आपको बता दें कि मधेपुरा जिले में कई अधिकारियों पर अतिरिक्त प्रभार का दबाव है, जिसकी वजह से पदाधिकारी सही वक्त पर अपने काम को पूरा करने में असक्षम साबित होते दिख रहे हैं।पदाधिकारियों पर अतिरिक्त प्रभार और संबंधित कार्यालयों में उनकी गैरमौजूदगी ने फरियादियों की नज़र में इस लोक शिकायत कानून को कमजोर कर दिया है।


Conclusion:बहरहाल राज्य सरकार की सहभागिता, पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही जैसी नीति अब आम जनता के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है।

बाईट-1
कविता देवी-फरियादी

बाईट-2
प्रभास रंजन-फरियादी

बाईट-3
चंद्रश्री श्रीदेव-फरियादी
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