मधेपुरा: जिले के जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज का एमसीआई ने निरीक्षण किया, जिसके बाद ये बात साफ हो गई है कि मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाएं अब तक शून्य है. वहीं, निर्धारित समय से लगभग 3 साल बीतने के बाद भी ये मेडिकल कॉलेज अब तक शुरू नहीं हो सका है.
मेडिकल कॉलेज का काम अधूरा
बता दें कि 27 अगस्त 2014 को मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया गया था, जिसे दिसंबर 2016 तक पूरा किया जाना था. वहीं, इसकी लागत लगभग 800 करोड़ रुपये थी. सरकार ने बेतिया और मधेपुरा जिले में मेडिकल कॉलेज की नींव रखी थी, जिसमें बेतिया में मेडिकल कॉलेज की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन मधेपुरा में आज भी मेडिकल कॉलेज का काम अधर में लटका है.
आपके लिए रोचक: मधेपुरा में 3 दिवसीय राज्य स्तरीय बालिका फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन, तैयारी पूरी
कागजों पर चल रहा है ओपीडी कार्य
कॉलेज का निरीक्षण करने आए एमसीआई की टीम के डॉक्टरों ने पाया कि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर और अन्य स्टाफ में से 67% लोग अनुपस्थित थे. साथ ही ये भवन अब तक हस्तांतरित नहीं हुआ है. निरीक्षण के क्रम में कोई भी रेजिडेंट डॉक्टर उपस्थित नहीं पाए गए, इसके बाद जब ओपीडी पंजी की जांच हुई तो, नियमित तौर पर ओपीडी पंजी में मरीज की इंट्री नहीं पाई गई. साथ ही कागजों पर ओपीडी कार्य जारी है.
पुराने फार्मूले पर हो रहे हैं काम
अस्पताल की बदहाल व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक बार फिर पुराने फार्मूले के तहत कार्य किया जा रहा है. साथ ही ओपीडी को सदर अस्पताल में हस्तांतरित करने की कवायद शुरू कर दी गई है, इसके तहत मेडिकल कॉलेज में बहाल सभी 69 कर्मियों को सदर अस्पताल में रहकर ओपीडी का संचालन करना है.
कॉलेज नहीं होने से छात्र परेशान
वहीं, इस मेडिकल कॉलेज की शुरुआत नहीं होने से सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में लटका है. इस अनियमितता को लेकर स्थानीय लोगों और छात्रों में भी काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है. वहीं, इस मेडिकल कॉलेज की शुरुआत हो जाने से आसपास के लोगों के लिए रोजगार को रोजगार भी मिलेगा, लेकिन फिलहाल जमीनी हकीकत वास्तविकता से कोसों दूर नजर आ रही है.