मधेपुरा: बरसों से बदहाल मुरलीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (community health center Murliganj madhepura) की बुधवार को जांच की गई. कायाकल्प प्रोग्राम के तहत सेंट्रल टीम जांच के लिए पहुंची. टीम के सामने अस्पताल की बेहतर तस्वीर पेश करने की पूरी तैयारी की गई थी. अस्पताल का रंग रोगन किया गया, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया. यहां तक की साफ सफाई करके अस्पताल को चमका दिया गया. बुधवार को टीम जांच करके चली गई लेकिन गुरुवार को फिर से जांच करने पहुंच गई. इसके बाद अस्पताल की असली तस्वीर सामने आई. (Medicines worth lakhs destroyed in Madhepura ) (Central Investigation Team in CHC Madhepura)
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मधेपुरा सीएचसी पहुंची सेंट्रल टीम: सरकारी अस्पतालों की सबसे बड़ी समस्या होती है डॉक्टरों की कमी, जांच केंद्र की खराब मशीनें और दवाइयों का टोटा. हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि नीतीश सरकार ने शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं में भी काफी इजाफा किया है. लेकिन तमाम कोशिशों पर विराम लगाने वाली एक खबर मुरलीगंज सीएचसी से सामने आई. एक तरफ सेंट्रल टीम यहां तमाम बिंदुओं की जांच में लगी थी तभी दूसरी तरफ दवाइयों को ठिकाने लगाया जा रहा था.
जला दी गईं लाखों की दवाइयां: दरअसल सेंट्रल टीम जब यहां जांच करने आई तो पाया गया कि आनन-फानन में लाखों की दवाइयों को जलाया दिया गया है. ईटीवी भारत संवाददाता की नजर उन जली दवाइयों पर पड़ी. जब इन दवाओं में से कुछ बची दवाइयों को गौर से देखा गया तो पाया गया कि दवाइयों की एक्सपायरी डेट 2023 थी. मतलब जिस दवा को मरीजों को देना चाहिए था उसे आग में स्वाहा कर दिया गया. एक तरफ सरकारी अस्पतालों में दवा नहीं मिलने पर मरीज बाहर से दवाइयां खरीदने को मजबूर होते हैं. वहीं दूसरी तरफ यहां दवाओं को जला दिया गया. इतना ही नहीं कई जगहों पर तो दवाइयां यहां-वहां फेंकी भी नजर आईं.
डाईथाइलकार्बामेजाइन सिट्रेट की दवाइयां मिलीं: जलायी गई दवाओं में से कुछ पर डाईथाइलकार्बामेजाइन सिट्रेट 100 MG लिखा था. एंटी-हेलमिन्थिक नामक दवाओं की एक श्रेणी से सम्बन्ध रखता है. यह फाइलेरिया पैदा करने वाले परजीवी कीड़ों के लार्वा और वयस्क दोनों रूपों के खिलाफ काम कर सकता है.
क्यों जलायी गई दवाएं?: ऐसे में मुरलीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रशासन सवालों के घेरे में है. आखिर जांच टीम आने के बाद ऐसी क्या वजह रही कि दवाइयों को जलाना पड़ा. लाखों करोड़ों का बजट लोगों के स्वास्थ्य के लिए खर्च करने के बावजूद भी अस्पताल में लोगों को दवाइयां आखिर क्यों नहीं मिलती है? भारी पैमाने पर दवाइयों को जलाने के मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार से पूछा गया तो उन्होंने पहले इस बात से सीधे इंकार कर दिया. हालांकि बाद में उन्होंने पूरे मामले की जांच कराने की बात जरूर कही.
"इस तरह का कोई भी मामला नहीं है. कहीं कोई दवा नहीं जलायी गई है. देख लेते हैं. पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी."- डॉ संजीव कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
सेंट्रल टीम का कुछ भी कहने से इनकार : वहीं सेंट्रल टीम ने अस्पताल में जांच किस किस बिंदु पर की है और जांच में अब तक क्या-क्या खामियां पाई गई हैं इसका खुलासा नहीं हो पाया है. जांच टीम से जब पत्रकारों ने जली हुई दवाइयों का पूरा सच जानने की कोशिश की तो किसी भी सदस्य ने इस मामले में कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया.