मधेपुरा: जिल के सदर अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां कैंसर रोग और जागरुकता परामर्श शिविर कागजों तक ही सीमित रह गया. वहीं, अस्पताल अधीक्षक डॉक्टरों की कमी को मुख्य वजह बताते हुए अपना पल्ला झाड़ते नजर आये.
सरकारी योजनाएं कागजों तक सीमित
दरअसल, कैंसर के मरीज की पहचान और उन्हें बेहतर उपचार की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से 4 फरवरी विश्व कैंसर दिवस पर राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निशुल्क जांच शिविर का आयोजन किया जाना था. इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक की तरफ से जिले के सिविल सर्जन को पत्र के माध्यम से 4 फरवरी से लेकर 10 फरवरी तक अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाने को लेकर निर्देशित किया गया था.
डॉक्टर को दी गयी थी ट्रेनिंग
इस शिविर में आम लोगों को सामान्य कैंसर जैसे- ब्रैस्ट कैंसर और मुंह के कैंसर आदि के संभावित कारणों, लक्षणों से बचाव के लिए जरूरी परामर्श दिए जाने थे. लेकिन मधेपुरा सदर अस्पताल में एक भी दिन शिविर का आयोजन नहीं किया गया. वहीं, शिविर में आने को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के बीच प्रचार अभियान तक चलाया गया था. लेकिन जब आम लोग अस्पताल पहुंचे, तो वहां न तो कहीं कोई शिविर दिखा और ना ही संबंधित डॉक्टरों से उनकी मुलाकात हो पायी. बता दें कि अस्पताल के डॉक्टर संदेश कुमार को बाकायदा इस शिविर के लिए ट्रेनिंग भी दी गयी थी.
मायूस होकर लौटे लोग
जिले के शकरपुरा से आए राम नारायण साह ने बताया कि गांव में कैंसर रोग शिविर को लेकर चल रहे प्रचार से प्रेरित से होकर मैं सदर अस्पताल पहुंचा. लेकिन मेरी मुलाकात संबंधित डॉक्टर से नहीं हो पाई. नतीजतन मुझे मायूस होकर वापस लौटना पड़ा.
डॉक्टरों की कमी बनी मुख्य वजह
अस्पताल अधीक्षक बी.पी गुप्ता ने बताया कि हमारे यहां 63 डॉक्टरों की क्षमता है. लेकिन मौजूदा वक्त में मात्र 17 डॉक्टर ही मौजूद है. जिनमें 12 पुरुष और 5 महिला डॉक्टर शामिल है. डॉक्टरों की कमी की वजह से हमें अस्पताल व्यवस्था को चलाने में दिक्कतें आ रही है.