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मधेपुराः लावारिस हालत में दर्जनों नाव, स्थानीय लोगों में आक्रोश - डीएम नवदीप शुक्ला

मधेपुरा के डीएम नवदीप शुक्ला से जब सवाल पूछा गया तो वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए. अनौपचारिक रूप से सिर्फ इतना कहा कि सभी प्रखंडों के बीडीओ को आदेश दिया जाएगा कि वे अपने-अपने क्षेत्र के नाव को सुरक्षित स्थान पर रखें, ताकि बाढ़ के समय में नाव अलग से नहीं खरीदना पड़ेगा.

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Published : Dec 15, 2019, 1:06 PM IST

मधेपुराः जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दर्जनों कीमती नाव लावारिस हालत में पड़ी हुई हैं. जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है. वहीं, डीएम से सवाल किया गया तो वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

दर्जनों कीमती नाव लावारिस हालत में
बता दें कि मधेपुरा जिले के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में सरकारी स्तर पर लोगों की सुविधा के लिए नाव और भाड़े का नाविक दिया जाता है, ताकि बाढ़ के पानी से घिरे गांव के लोग आसानी से बाहर निकल सकें और अपनी जान माल की भी सुरक्षा कर सकें. नियमानुसार प्रशासनिक स्तर पर सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में नाव तो उपलब्ध करा दिया जाता है. लेकिन बाढ़ का मौसम समाप्त होने के बाद भी अधिकारियों की मनमानी के कारण नाव जिस गांव और टोले में चलायी जाती है. उसी जगह पर पानी हटने के बाद नाव लावारिस हालत में पड़ी रहती है.

दर्जनों कीमती नाव यत्र तत्र लावारिश हालत में

डीएम ने दिया आदेश
मधेपुरा के डीएम नवदीप शुक्ला से जब सवाल पूछा गया तो वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए. अनौपचारिक रूप से सिर्फ इतना कहा कि सभी प्रखंडों के बीडीओ को आदेश दिया जाएगा कि वे अपने-अपने क्षेत्र के नाव को सुरक्षित स्थान पर रखें, ताकि बाढ़ के समय में नाव अलग से नहीं खरीदनी पड़े.

मधेपुराः जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दर्जनों कीमती नाव लावारिस हालत में पड़ी हुई हैं. जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है. वहीं, डीएम से सवाल किया गया तो वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

दर्जनों कीमती नाव लावारिस हालत में
बता दें कि मधेपुरा जिले के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में सरकारी स्तर पर लोगों की सुविधा के लिए नाव और भाड़े का नाविक दिया जाता है, ताकि बाढ़ के पानी से घिरे गांव के लोग आसानी से बाहर निकल सकें और अपनी जान माल की भी सुरक्षा कर सकें. नियमानुसार प्रशासनिक स्तर पर सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में नाव तो उपलब्ध करा दिया जाता है. लेकिन बाढ़ का मौसम समाप्त होने के बाद भी अधिकारियों की मनमानी के कारण नाव जिस गांव और टोले में चलायी जाती है. उसी जगह पर पानी हटने के बाद नाव लावारिस हालत में पड़ी रहती है.

दर्जनों कीमती नाव यत्र तत्र लावारिश हालत में

डीएम ने दिया आदेश
मधेपुरा के डीएम नवदीप शुक्ला से जब सवाल पूछा गया तो वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए. अनौपचारिक रूप से सिर्फ इतना कहा कि सभी प्रखंडों के बीडीओ को आदेश दिया जाएगा कि वे अपने-अपने क्षेत्र के नाव को सुरक्षित स्थान पर रखें, ताकि बाढ़ के समय में नाव अलग से नहीं खरीदनी पड़े.

Intro:मधेपुरा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वर्षों से यत्र तत्र लावारिश हालत में बिखरे पड़े हैं किमती नाव।स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त।


Body:मधेपुरा ज़िले के खासकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दर्जनों किमती नाव यूं ही प्रशानिक लापरवाही के कारण यत्र तत्र बिखरे पड़े हैं।और संबंधित प्रखंड के अधिकारी जानबूझकर भी अनजान बन बैठे हैं।बता दें कि मधेपुरा जिले के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में सरकारी स्तर पर लोगों की सुविधा के लिए नाव और भाड़े का नाविक दिया जाता है, ताकि बाढ़ के पानी से घिरे गांव के लोग आसानी से बाहर निकल सके और अपनी जान माल की भी सुरक्षा कर सके।नियमानुसार प्रशासनिक स्तर पर सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में नाव तो उपलब्ध करा दिया जाता है।लेकिन बाढ़ का मौसम समाप्त होने के बाद भी अधिकारियों की मनमानी और लालफीताशाही के कारण नाव जिस गांव व टोले में चलाया जा रहा था उसी जगह पर पानी हटने के बाद यत्र तत्र लावारिश हालत में पड़ी हुई है।उल्लेखनीय बात तो यह है कि एक नाव का किमत तीन से चार लाख तक होती है हर वर्ष बाढ़ के मौसम में नाव की जरूरत होती है।लेकिन आज नाव की हालत ऐसी है कि ज़िले के सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में दर्जनों नाव यत्र तत्र सुदूर इलाकों में सर रहा है या दीमक के हवाले हो रहा है।मधेपुरा के डीएम नवदीप शुक्ला से जब सवाल पूछा गया तो वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए।अनोपचारिक रूप से सिर्फ इतना कहा कि सभी प्रखंडों के बीडीओ को आदेश दिया जाएगा कि वे अपने अपने क्षेत्र के नाव को सुरक्षित स्थान पर रखें ताकि बाढ़ के समय में नाव अलग से नहीं खरीदना पड़ेगा।उन्होंने कहा कि ये गंभीर मामला है कि इतनी किमती नावें लावारिश हालत में यत्र तत्र क्यों बिखरे पड़े हैं।हैरत की बात तो यह है कि सड़क के किनारे या फिर कुमारखंड प्रखंड कार्यालय के बगल में बिखरे पड़े नाव को सभी जनप्रतिनिधि देखते हैं।लेकिन आज तक अधिकारी को कोई दिशा निर्देश नहीं दे सके।नाव को लावारिश हालत को देखकर स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है।बाइट--1-----सुनील कुमार---स्थानीय।बाइट----2----राजेन्द्र सिंह---स्थानीय अधिवक्ता सिविल कोर्ट मधेपुरा।


Conclusion:मधेपुरा से रुद्रनारायण।
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