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भीषण गर्मी में किऊल नदी बनी रेगिस्तान, पानी के लिए तरस रहे लोग

इस भीषण गर्मी में तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. जिसकी वजह से किऊल नदी सूख चुकी है. इसके साथ-साथ अनेकों पोखर, तलाब और नहरों की स्थिति भी कमोवेश वैसी ही है.

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Published : Jun 11, 2019, 4:39 PM IST

Updated : Jun 11, 2019, 6:36 PM IST

किऊल नदी

लखीसराय: बिहार में भीषण गर्मी का प्रकोप इंसानों के साथ-साथ नदियों पर कहर ढ़ाह रहा है. लोगों को राहत देने वाली जिले की किऊल नदी पूरी तरहे से सूख गई है. गर्मी की तपिश से किऊल नदी रेगिस्तान में तब्दील हो चुका है. वहीं, तापमान बढ़ने से जल स्तर भी काफी नीचे चला गया है. जिससे लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.

इस भीषण गर्मी में तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. जिससे पूरी किऊल नदी सूख चुकी है. इसके साथ-साथ अनेकों पोखर, तलाब और नहरों की हालत भी वैसी ही है. नदियों के सूखने से आसपास के क्षेत्रों में भूजल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है. जिसके कारण खेती योग्य भूमि बंजर होती जा रही है. पशु-पक्षियों को भी पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.

जानकारी देते लोग

पानी के लिए मचा हाहाकार
शहर के जाने माने साहित्यकार और कलाकार ओमप्रकाश स्नेही ने बताया कि किऊल नदी लखीसराय के लिए कभी वरदान था. जब से किऊल नदी में बालू उत्खनन शुरू हुआ है तब से लगातार गर्मी के दिनों में नदी सूख रही है. भूजल स्तर भी काफी नीचे चला गया है. पानी के लिए घरों में हाहाकार मचा हुआ है. उन्होंने कहा कि बचपन में इस नदी में वे नहाया करते थे. लेकिन, इस नदी के सूखने से ऐसा लग रहा है कि कहीं इसका अस्तित्व खत्म न हो जाए.

lakhisarai
कलाकार

नदी पर भूमाफियों का कब्जा
शहर के युवा व्यवसायी विजय भाई ने बताया कि किऊल नदी सूखने से लखीसराय का भूजल स्तर नीचे गिर गया है. जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ता जा रहा है. नदी सूख ही नहीं रही है बल्कि उसे भूमाफियाों ने नदियों की भूमि पर कब्जा भी कर लिया है. उन्होंने कहा कि नदी के किनारे बड़ी तादाद मे अवैध घर बने हैं. जिससे नदी का क्षेत्रफल भी सिकुड़ने लगा है. सरकार को किऊल मे जल संरक्षण के लिए सामने आना आना चाहिए.

lakhisarai
अभियंता

जिला प्रशासन बेसुध
किऊल नदी सूखने से भयंकर जल संकट उत्पन्न होने लगा है. लेकिन, जिला प्रशासन सहित तमाम लोग अपनी आंखें मूंद बैठा है. सरकार की जल ही जीवन है और पानी बचाओ योजनाएं सब विफल साबित हो रही है. बता दें कि नदियों की रक्षा एवं पर्यावरण के नाम पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपए सरकार खर्च करती है. लेकिन, इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है.

काम के कारण कर्मचारियों की छुट्टी रद्द
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी श्री हरेराम ने बताया कि लखीसराय जिले के किऊल नदी सबसे बड़ा जलस्रोत का साधन था, जो अब पूरी तरह सूख चुका है. भीषण गर्मी को देखते हुए लोक स्वास्थ्य विभाग ने सभी कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दी है. जिले में पीने की समस्या को दूर करने के लिए जिला नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई. जिसमें संबंधित सहायक अभियंता, कनीय अभियंता के दूरभाष पर जनता के लिए पेयजल की व्यवस्था करेगा. लखीसराय का औसत भू-जल स्तर 36'4"आंकी गई हैं. यहां पेयजल संकट से निजात पाने के लिए आपदा के अन्तर्गत 120 नये चपाकलों का लगाया गया है.


जिले में हैं इतने चापाकल
आपको बता दें कि लखीसराय जिले में कुल 4646 चपाकल है. जिसमें 3739 चापाकल चालू अवस्था में है. 494 चापाकल खराब पड़े हैं जो मरम्मत योग्य नहीं हैं. वहीं, साधारण मरम्मत के लिए बंद पड़े 413 चापाकलों की मरम्मत कर चालू कर दी गई है.

लखीसराय: बिहार में भीषण गर्मी का प्रकोप इंसानों के साथ-साथ नदियों पर कहर ढ़ाह रहा है. लोगों को राहत देने वाली जिले की किऊल नदी पूरी तरहे से सूख गई है. गर्मी की तपिश से किऊल नदी रेगिस्तान में तब्दील हो चुका है. वहीं, तापमान बढ़ने से जल स्तर भी काफी नीचे चला गया है. जिससे लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.

इस भीषण गर्मी में तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. जिससे पूरी किऊल नदी सूख चुकी है. इसके साथ-साथ अनेकों पोखर, तलाब और नहरों की हालत भी वैसी ही है. नदियों के सूखने से आसपास के क्षेत्रों में भूजल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है. जिसके कारण खेती योग्य भूमि बंजर होती जा रही है. पशु-पक्षियों को भी पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.

जानकारी देते लोग

पानी के लिए मचा हाहाकार
शहर के जाने माने साहित्यकार और कलाकार ओमप्रकाश स्नेही ने बताया कि किऊल नदी लखीसराय के लिए कभी वरदान था. जब से किऊल नदी में बालू उत्खनन शुरू हुआ है तब से लगातार गर्मी के दिनों में नदी सूख रही है. भूजल स्तर भी काफी नीचे चला गया है. पानी के लिए घरों में हाहाकार मचा हुआ है. उन्होंने कहा कि बचपन में इस नदी में वे नहाया करते थे. लेकिन, इस नदी के सूखने से ऐसा लग रहा है कि कहीं इसका अस्तित्व खत्म न हो जाए.

lakhisarai
कलाकार

नदी पर भूमाफियों का कब्जा
शहर के युवा व्यवसायी विजय भाई ने बताया कि किऊल नदी सूखने से लखीसराय का भूजल स्तर नीचे गिर गया है. जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ता जा रहा है. नदी सूख ही नहीं रही है बल्कि उसे भूमाफियाों ने नदियों की भूमि पर कब्जा भी कर लिया है. उन्होंने कहा कि नदी के किनारे बड़ी तादाद मे अवैध घर बने हैं. जिससे नदी का क्षेत्रफल भी सिकुड़ने लगा है. सरकार को किऊल मे जल संरक्षण के लिए सामने आना आना चाहिए.

lakhisarai
अभियंता

जिला प्रशासन बेसुध
किऊल नदी सूखने से भयंकर जल संकट उत्पन्न होने लगा है. लेकिन, जिला प्रशासन सहित तमाम लोग अपनी आंखें मूंद बैठा है. सरकार की जल ही जीवन है और पानी बचाओ योजनाएं सब विफल साबित हो रही है. बता दें कि नदियों की रक्षा एवं पर्यावरण के नाम पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपए सरकार खर्च करती है. लेकिन, इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है.

काम के कारण कर्मचारियों की छुट्टी रद्द
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी श्री हरेराम ने बताया कि लखीसराय जिले के किऊल नदी सबसे बड़ा जलस्रोत का साधन था, जो अब पूरी तरह सूख चुका है. भीषण गर्मी को देखते हुए लोक स्वास्थ्य विभाग ने सभी कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दी है. जिले में पीने की समस्या को दूर करने के लिए जिला नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई. जिसमें संबंधित सहायक अभियंता, कनीय अभियंता के दूरभाष पर जनता के लिए पेयजल की व्यवस्था करेगा. लखीसराय का औसत भू-जल स्तर 36'4"आंकी गई हैं. यहां पेयजल संकट से निजात पाने के लिए आपदा के अन्तर्गत 120 नये चपाकलों का लगाया गया है.


जिले में हैं इतने चापाकल
आपको बता दें कि लखीसराय जिले में कुल 4646 चपाकल है. जिसमें 3739 चापाकल चालू अवस्था में है. 494 चापाकल खराब पड़े हैं जो मरम्मत योग्य नहीं हैं. वहीं, साधारण मरम्मत के लिए बंद पड़े 413 चापाकलों की मरम्मत कर चालू कर दी गई है.

Intro:Lakhisarai l bihar

Slug..सूखती किऊल नदी से जन जीवन हुआ प्रभावित ,किऊल नदी बना रेगिस्तान

Cine..सुखती किऊल, रेगिस्तान में तब्दील नदी, नाले की पानी गिरता, पीएचईडी विभाग खुद बीमार, जहाँ तहाँ विखरा चपाकल व पाईप, अधिकारी व अन्य लोगों की बाइट

रिपोर्ट..रणजीत कुमार सम्राट

Date..04 June 2019

update rivise 11जून 2019

Anchor...लखीसराय जिले के किऊल नदी अक्सर गर्मी के दिनों में आमलोगों को राहत पहुँचाती थी। आज स्थिति ठीक विपरीत हो गई है।यह किऊल नदी रेगिस्तान में तब्दील हो गया है। जलस्तर नीचे चला गया है। किछल नदी के रेत गर्म हो रहा है। जिससे शहर के तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। हर आम और खास सब परेशान हैं।

जल ही जीवन है तथा जल का कोई अन्य विकल्प नहीं हो सकता है परन्तु दुर्भाग्य से किउल नदी मृत होकर सूख चुकी हैं। नदियों को सूखने से उनके आसपास के क्षेत्रों में भूजल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। जिसके कारण खेती योग्य भूमि रेगिस्तान और बंजर भूमि मे तब्दील होती जा रही हैं।
इसके साथ ही साथ अनेकों पोखर ,तलाब और नहरों की स्थिति सुखने की कगार पर है। जिसके कारण मनुष्य, पशु पक्षियों एवं बनस्पति को हरा भरा रखने के लिए जल की सख्त आवश्यकता होती हैं। जिससे हजारों प्रकार की जड़ी बूटियां या तो गायब हो चुकी हैं।या तो किऊल नदी के सुखने के साथ ही उनके अस्तित्व को खतरा पैदा हो हो गया है।

किऊल नदी सुखने से भयंकर जल संकट उत्पन्न होने लगा है।परन्तु इस ओर जिला प्रशासन सहित तमाम लोग अपनी अपनी आंखें मूंद ली है। जल ही जीवन है और पानी को बर्बादी से बचायें जैसे तथाकथित नारेबाजी कर सब एक दूसरे को ज्ञान की पाठ पढा रहे हैं। परन्तु धरातल पर कोई भी जल संरक्षण के दिशा में आगे नहीं बढ़ पा रहे है ।

बरसात के मौसम में अतिरिक्त पानी को रेन वाटर हारवेस्टिंग के द्वारा जमीन को गहरा कर भूजल स्तर को रोका जा सकता है।इसके अतिरिक्त छोटे छोटे पोखर, तालाब वो नहरों को आपस मे जोड़कर बरसात के अतिरिक्त पानी को सूखी नदीयों को पहुंचाया जा सकता है।

नदियों की रक्षा एवं पर्यावरण के नाम पर प्रति बर्ष हजारों करोड़ रुपया खर्च हो जाता है।परन्तु इस सारे पैसे को पर्यावरण से जुड़े संगठन हजम कर जाते है। किऊल नदी को बचाने के लिए कोई भी कारगर योजना आजतक प्रारंभ नहीं हो सका है । जबकी किउल नदी से प्रति बर्ष करोड़ों रुपये की बालू उत्खनन के लिए राज्य खनन विभाग को राजस्व मिलता हैं।

V.O 1..पीएचईडी विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी श्री हरे राम ने बताया कि लखीसराय जिले के किउल नदी सबसे बड़ा जलस्रोत का साधन था जो सूख चुका है। भीषण गर्मी को देखते हुए लोक स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सभी कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दिया गया है। जिलेभर में पीने की पानी की कमी को दूर करने के लिए जिला नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई हैं। जिसमें संबंधित सहायक अभियंता, कनीय अभियंता के दूरभाष पर जनता को विभाग के द्वारा पेयजल की व्यवस्था करेगी। लखीसराय के औसत भूजल स्तर 36'4"आंकी गई हैं। लखीसराय मे पेयजल संकट से निजात पाने के लिए आपदा के अन्तर्गत आईएम थ्री 120 नये चपाकलों का लगाया गया है।
लखीसराय जिले भर मे कुल आईएम टु/थ्री 4646 चपाकल है। जिसमें 3739 चापाकल चालू अवस्था में है। 494 चापाकल खराब हो चुका है जो मरम्मती योग्य नहीं है। वहीं साधारण मरम्मती के लिए बंद पड़े 413 चापाकलो की मरम्मती कर चालू कर दी गई हैं। विधमान ग्रामीण पाईप जलापूर्ति योजना एवं मिनी पाईप जलापूर्ति योजना के तहत 126वार्डों में पाईपों से जलापूर्ति के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है।
हालांकि उन्होंने कहा कि हर आम आदमी को जलसंरक्षण करना चाहिए। खासकर बरसात के समय नदी में पानी आती हैं और तुरंत बैरंग गंगा में बह जाता है।और नदी की जलधारा सुखी की सुखी रह जाती हैं। आज आवश्यकता है कि नदियों के पानी को और बर्षा को नदीयों मे ही रोका जाय तथा उसे गंगा में बहने से रोका जाए। इसके लिए सभीको आगे आने की जरूरत है।

बाईट..श्री हरे राम.. कार्यपालक अभियंता, लोक स्वास्थ्य प्रमंडल लखीसराय।

V.O.2..शहर के जाने माने साहित्यकार व कलाकार ओमप्रकाश स्नेही ने कहा कि किउल नदी लखीसराय के लिए कभी वरदान था। जब से किऊल नदी में बालू उत्खनन शुरू हुआ है तब से लगातार गर्मी के दिनों में नदी सूख जाती हैं। भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। हम जब छोटे छोटे थे तो इस किउल नदी में गर्मी में नहाते थे और गर्मी से निजात मिल जाता था। आब यह किउल नदी पूरी तरह से सूख गया है। बालू गर्म हो कर लाल हो गया है। यह नदी अब अभिशाप बन गई है।

बाइट... ओमप्रकाश स्नेही..साहित्यकार व कलाकार


V.O3.. शहर के युवा व्यवसायी विजय भाई ने कहा कि किऊल नदी सूखने से लखीसराय का भूजल स्तर नीचे गिर गया है। जिससे पर्यावरण संतुलन एकदम बिगड़ता जा रहा है। किउल नदी सूख ही नही रही है उसे भूमाफिया नदियों की भूमि पर कब्जा कर लेते हैं। फिर प्लांट कट जाते है जिससे किऊल नदी के क्षेत्र में बड़ी तादाद मे अबैध घरों बसा रखी है। फलस्वरूप नदियों का क्षेत्रफल भी सिकुडने लगा है। सरकार को किउल मे जल संरक्षण के लिए उसे बचाये रखने के लिए आगे आना चाहिए। नहीं तो एकदिन इसका परिणाम सभी को भुगतना पड़ सकता है।

बाइट.. विजय भाई...युवा व्यवसायी



Body:सूखती किऊल नदी से जन जीवन हुआ प्रभावित ,किऊल नदी बना रेगिस्तान

Cine..सुखती किऊल, रेगिस्तान में तब्दील नदी, नाले की पानी गिरता, पीएचईडी विभाग खुद बीमार, जहाँ तहाँ विखरा चपाकल व पाईप


Conclusion:सूखती किऊल नदी से जन जीवन हुआ प्रभावित ,किऊल नदी बना रेगिस्तान

Cine..सुखती किऊल, रेगिस्तान में तब्दील नदी, नाले की पानी गिरता, पीएचईडी विभाग खुद बीमार, जहाँ तहाँ विखरा चपाकल व पाईप
Last Updated : Jun 11, 2019, 6:36 PM IST
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