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शहीदों के संग नामवर सिंह को दी गई श्रद्धांजलि, कवि दशरथ की कविता ने नम की आंखें - poetry

जिले में कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि दशरथ महतो की कविता ने पर्यावरण स्वच्छता का संदेश देते हुए ऐसी कविता का बखान किया, जिसने सभी की आंखे नम कर दी.

कवि सम्मेलन
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Published : Feb 24, 2019, 11:41 PM IST

लखीसराय: जिले के स्नेही आर्ट्स भवन में हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वाधान में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता रामबालक सिंह ने की. इस कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह के निधन एवं भारतीय शहीदों के सम्मान में शोक संवेदना तथा 2 मिनट का मौन रखा गया.

शहर के जाने-माने प्रसिद्ध साहित्यकार और कवि दशरथ महतो की लिखित पुस्तक 'बचाओ पानी' का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने विचार-विमर्श कर काव्यपाठ किया. कवि रामबालक सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से कहा कि चल रहा वो चादर तान के, घटक मोर करते रहते हैं, भारत में इंसान के. वहीं प्रोफेसर राजेंद्र कंचन ने अपनी कविताओं के माध्यम से पाकिस्तानी आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करने का संदेश दिया.

कवि सम्मेलन

दशरथ महतो ने अपनी कविता के माध्यम से कहा-
जंगल की चिट्ठी आई है
पर्वत की चिट्ठी आई है
झरना, झील, नदी, पोखर की,
चिट्ठी तुम्हारे नाम आई है,
दर्द में डूब रही दुनिया,
दर्द भरी चिट्ठी आई है,
जंगल की चिट्ठी आई है.
पर्वत की चिट्ठी आई है.

जानवर को चैन नहीं है,
पक्षी का दिल घबराया है,
नींद नहीं आई तितली को,
भरा गीत नहीं गाया है,
कितने जंतु लुप्त हो चुके,
कुछ के नाम चिट्ठी आई है,
जंगल की चिट्ठी आई है.
पर्वत की चिट्ठी आई है.

सुने नहीं कहीं खोए हो
क्या दर्द से चीख रही है गंगा
देख नहीं रहे सोए हो,
क्या जमुना लगभग हो चुकी गंदा,
दुनिया में जल संकट बढ़ रहा है,
जल में जहर की आई है,
जंगल की चिट्ठी आई है.
पर्वत की चिठ्ठी आई है.

लखीसराय: जिले के स्नेही आर्ट्स भवन में हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वाधान में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता रामबालक सिंह ने की. इस कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह के निधन एवं भारतीय शहीदों के सम्मान में शोक संवेदना तथा 2 मिनट का मौन रखा गया.

शहर के जाने-माने प्रसिद्ध साहित्यकार और कवि दशरथ महतो की लिखित पुस्तक 'बचाओ पानी' का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने विचार-विमर्श कर काव्यपाठ किया. कवि रामबालक सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से कहा कि चल रहा वो चादर तान के, घटक मोर करते रहते हैं, भारत में इंसान के. वहीं प्रोफेसर राजेंद्र कंचन ने अपनी कविताओं के माध्यम से पाकिस्तानी आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करने का संदेश दिया.

कवि सम्मेलन

दशरथ महतो ने अपनी कविता के माध्यम से कहा-
जंगल की चिट्ठी आई है
पर्वत की चिट्ठी आई है
झरना, झील, नदी, पोखर की,
चिट्ठी तुम्हारे नाम आई है,
दर्द में डूब रही दुनिया,
दर्द भरी चिट्ठी आई है,
जंगल की चिट्ठी आई है.
पर्वत की चिट्ठी आई है.

जानवर को चैन नहीं है,
पक्षी का दिल घबराया है,
नींद नहीं आई तितली को,
भरा गीत नहीं गाया है,
कितने जंतु लुप्त हो चुके,
कुछ के नाम चिट्ठी आई है,
जंगल की चिट्ठी आई है.
पर्वत की चिट्ठी आई है.

सुने नहीं कहीं खोए हो
क्या दर्द से चीख रही है गंगा
देख नहीं रहे सोए हो,
क्या जमुना लगभग हो चुकी गंदा,
दुनिया में जल संकट बढ़ रहा है,
जल में जहर की आई है,
जंगल की चिट्ठी आई है.
पर्वत की चिठ्ठी आई है.

Intro:Lakhisarai । bihar

Slug. कवि सम्मेलन

Report.. Ranjit Kumar Singh

date..24 feb 2019

Anchor... लखीसराय जिले के स्नेही आर्ट्स भवन में हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वाधान में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता रामबालक सिंह ने की इस कवि सम्मेलन में सर्वप्रथम प्रसिद्ध साहित्यकार श्री नामवर सिंह के निधन एवं भारतीय शहीदों के सम्मान में शोक संवेदना तथा 2 मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद शहर के जाने-माने प्रसिद्ध साहित्यकार व कवि श्री दशरथ महतो द्वारा लिखित पुस्तक बचाओ पानी का लोकार्पण किया गया ।इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने विचार विमर्श के बाद का काव्यपाठ का आयोजन किया गया । कवि रामबालक सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से कहा कि चल रहा वो चादर तान के घटक मोर करते रहते हैं भारत में इंसान के, वहीं प्रोफेसर राजेंद्र कंचन ने अपनी कविताओं के माध्यम से पाकिस्तानी आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करने का संदेश दिया ।

V.O 1.. दशरथ महतो ने अपनी कविताओं के माध्यम से कहा कि जंगल की चिट्ठी आई है पर्वत की चिट्ठी आई है झड़ना झील नदी पोखर की चिट्ठी तुम्हारे नाम आई है दर्द में डूब रही दुनिया की दर्द भरी चिट्ठी आई है जंगल की चिट्ठी आई है पर्वत की चिट्ठी आई है जानवर को चैन नहीं है पक्षी का दिल घबराया है नींद नहीं आई तितली को भरा गीत नहीं गाया है कितने जंतु लुप्त हो चुके कुछ के नाम चिट्ठी आई है जंगल की चिट्ठी आई है पर्वत की चिट्ठी आई है सुने नहीं कहीं खोए हो क्या दर्द से चीख रही है गंगा देख नहीं रहे सोए हो क्या जमुना लगभग हो चुकी गंदा दुनिया में जल संकट बढ़ रहा है जल में जहर की आई है जंगल की चिट्ठी आई है चिट्ठी आई है इस तरह की कविता पाठ कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया

बाइट.. दशरथ महतो... प्रसिद्ध साहित्यकार


Body:कवि सम्मेलन


Conclusion:कवि सम्मेलन
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