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लखीसराय: ऐतिहासिक लाली पहाड़ी संरक्षित स्थलों में शामिल, पर्यटन विभाग ने किया चिन्हित

राज्य में बालगुदर टीला, नोनगढ़, सत्संडा, घोसीकुंडी बिछवे पहाड़, उरैन और लय पहाड़ी जैसे कई ऐसे स्थान हैं, जिन्हें बिहार सरकार की ओर से संरक्षित स्थल घोषित किया जा चुका है. ऐसे में जिले के लाल पहाड़ी की खुदाई की भी खूब चर्चा हो रही है.

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Published : Jan 1, 2020, 1:16 PM IST

lali hills in lakhisarai
लाली पहाड़ी

लखीसराय: बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने जिले में स्थित लाली पहाड़ी को बौद्ध सर्किट से जोड़कर लोगों को एक तोहफा दिया है, जिसके साथ बिहार के पर्यटन मानचित्र पर जिले ने अपनी जगह बना ली है.

पुरातत्व विभाग कर रहा है पहाड़ी की खुदाई
भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से लाली पहाड़ी की खुदाई के बाद वहां कुछ पुरातात्विक भग्नावशेष पाए गए हैं. जहां उन अवशेषों का गहन अध्ययन किया गया और फिर से उसकी खुदाई का फैसला लिया गया. लाली पहाड़ी की खुदाई के लिए बिहार विरासत विकास समिति ने भी हरी झंडी दिखा दी है. जिसके बाद से खुदाई का काम तेजी से किया जा रहा है.

लाली पहाड़ी संरक्षित स्थलों में हुआ शामिल

लाल पहाड़ी की खुदाई की हो रही है चर्चा
राज्य में बालगुदर टीला, नोनगढ़, सत्संडा, घोसीकुंडी बिछवे पहाड़, उरैन और लय पहाड़ी जैसे कई ऐसे स्थान हैं, जिन्हें बिहार सरकार की ओर से संरक्षित स्थल घोषित किया जा चुका है. ऐसे में जिले के लाल पहाड़ी की खुदाई की भी खूब चर्चा हो रही है. इसके अलावा अशोक धाम के ईद गिर्द भी कई टीलें हैं, जिन पर पुरातत्व विभाग की पैनी नजर है. बता दें कि आधुनिक यंत्रों से ऐसे कई स्थलों का सर्वेक्षण किया जा चुका है.

लखीसराय: बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने जिले में स्थित लाली पहाड़ी को बौद्ध सर्किट से जोड़कर लोगों को एक तोहफा दिया है, जिसके साथ बिहार के पर्यटन मानचित्र पर जिले ने अपनी जगह बना ली है.

पुरातत्व विभाग कर रहा है पहाड़ी की खुदाई
भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से लाली पहाड़ी की खुदाई के बाद वहां कुछ पुरातात्विक भग्नावशेष पाए गए हैं. जहां उन अवशेषों का गहन अध्ययन किया गया और फिर से उसकी खुदाई का फैसला लिया गया. लाली पहाड़ी की खुदाई के लिए बिहार विरासत विकास समिति ने भी हरी झंडी दिखा दी है. जिसके बाद से खुदाई का काम तेजी से किया जा रहा है.

लाली पहाड़ी संरक्षित स्थलों में हुआ शामिल

लाल पहाड़ी की खुदाई की हो रही है चर्चा
राज्य में बालगुदर टीला, नोनगढ़, सत्संडा, घोसीकुंडी बिछवे पहाड़, उरैन और लय पहाड़ी जैसे कई ऐसे स्थान हैं, जिन्हें बिहार सरकार की ओर से संरक्षित स्थल घोषित किया जा चुका है. ऐसे में जिले के लाल पहाड़ी की खुदाई की भी खूब चर्चा हो रही है. इसके अलावा अशोक धाम के ईद गिर्द भी कई टीलें हैं, जिन पर पुरातत्व विभाग की पैनी नजर है. बता दें कि आधुनिक यंत्रों से ऐसे कई स्थलों का सर्वेक्षण किया जा चुका है.

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ऐतिहासिक लाली पहाड़ी लखीसराय

Date..01JAN 2020

Anchor...बिहार सरकार ने लखीसराय लाली पहाड़ी को बौद्ध सर्किट से जोड़कर जिलावासियों को बिहार सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से तोहफा देने का काम किया गया है। लखीसराय जिला इसी के साथ पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान पाने में सफलता हासिल कर ली है। वहीं दो चरणों की खुदाई में लाली पहाड़ी में अबतक की मिली सफलता, प्राप्त पुरातात्विक भग्नावशेषों के गहन अध्ययन के बाद लाली पहाड़ी के तीसरे चरण की खुदाई का आदेश भारतीय पुरातत्व विभाग ने दे दिया है। साथ ही बिहार विरासत विकास समिति की भी लाली पहाड़ी के तीसरे चरण की खुदाई के लिए हरी झंडी मिलते ही तेजी से खुदाई की जा रही हैं।

Conclusion:अभी और कितने चरणों मे खुदाई होगी इस पर कुछ साफ साफ नही बताया जा रहा है। साथ ही लाली पहाड़ी पर मिली बौद्ध साधना स्थली बौद्ध मठ की खुदाई ड्रोन से लिये गए पिक्चर तक ही सीमित रहेगी या आगे खुदाई का दायरा बढाई जाएगी इस पर भी कुछ नहीं बताया जा रहा है। इसलिए ड्रोन कैमरे में कैद छाया चित्र के अलावा भी बहुत कुछ बौद्ध मठ से जुड़े अलग-अलग महत्वपूर्ण गुप्त स्थलों पर खुदाई की जरूरत है। जिसमे महिला बौद्ध भिक्षुओं के अंदर ही अंदर स्नान की सुरंगनुमा पथ जो कालांतर मिट्टियों चट्टानों से भर के अपना वजूद लोगो की नजरों में खो चुका है। जिसके खुलासा के बिना बौद्ध मठ में स्थित चारों कोणों पर स्थित प्रहरी द्वार, मंदिर, साधना स्थली, पूजा कक्षों के भग्नावशेषों की प्राप्ति अधूरी मानी जाएगी। ज्यों ज्यों खुदाई आगे बढ़ती जा रही है त्यों त्यों खुदाई कार्य भी बढ़ती जा रही है। बालगुदर टीला, नोनगढ़, सत्संडा, घोसीकुंडी बिछवे पहाड़, उरैन, लय पहाड़ी सहित कई ऐसे स्थान है, जिसे भी बिहार सरकार द्वारा संरक्षित स्थल घोषित किया जा चुका है। जिला के उक्त सभी स्थलों की भी खुदाई की चर्चा है। इसके अलावे अशोक धाम के ईद गिर्द भी कई टीलों पर पुरातत्व विभाग की पैनी नजर है। आधुनिक यंत्रों से कई स्थलों का सर्वेक्षण भी किया जा चुका है।
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