लखीसराय: आबादी और विकास की वजह से देश की नदियां लगातार बदलाव से गुजर रही है. सालों भर जल प्रदान करने वाली नदियां अब मौसमी बनकर रह गयी हैं. कई छोटी नदियां पहले ही गायब हो चुकी हैं. जो बच गयी हैं वे एक चौड़े नाले की शक्ल ले चुकी हैं. लखीसराय शहर किनारे अवस्थित ऐतिहासिक किऊल नदी भी इन सबसे अलग नहीं है. इस नदी की स्थिति पर एक रिपोर्ट
संकट में है स्थानीय लोगों और जलीय जीवों का जीवन
पर्यावरण में हो रहे लगातार बदलाव से किउल नदी में बाढ़ और सूखे की स्थिति बार-बार पैदा हो रही है. मानसून के दौरान किऊल नदी कई गांव को खत्म कर देती है. लेकिन, बारिश का मौसम खत्म होने के बाद रेगिस्तान बन जाती है. कभी अपनी प्राकृतिक छटा के लिए मशहूर रही किऊल नदी के बहने वाले रास्ते में दूर-दूर तक बहुतायत में मिट्टी दिखने लगी है. इस कारण इस पर आश्रित रहने वाले स्थानीय लोगों और जलीय जीवों पर भी जीवन संकट में है.
पुलिस एवं प्रशासन के आलाधिकारी हैं उदासीन
लखीसराय शहर के लोग अपने घरों की गंदी नालियों का पानी किऊल नदी में बहा रहे हैं. लोगों ने नदी की जमीन पर खुदाई कर घर बनाना भी शुरू कर दिया है. पुलिस एवं प्रशासन के आलाधिकारी भी इस मामले में उदासीन बने हुए हैं. सबकुछ देखने के बावजूद प्रशासन के अधिकारी मौन साधे हुए हैं. इस विषय पर वे कुछ भी बोलने से बचते हैं.
सतर्क नहीं हुए तो इतिहास बन जाएगी किउल
एक व्यापक नीति और सरकार के सख्त कार्रवाई के द्वारा इस नदी को पोषित किया जा सकता है जिससे यह नदी आने वाली पीढ़ियों का पालन पोषण कर सके. अगर समय रहते लोग सतर्क नहीं हुए तो इस नदी के इतिहास बनते देर नहीं लगेगी.