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Chhath in Lakhisarai: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ संपन्न, छठ व्रती ने प्रसाद वितरण कर तोड़ा व्रत

लोक आस्था का महापर्व छठ (chhath puja 2022) आज धूमधाम के साथ सम्पन्न हो गया. आज श्रद्धालुओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर सुख-शांति और समृद्धि की कामना की. इस दौरान लखीसराय में छठ व्रती महिलाओं ने लोगों को प्रसाद वितरण कर 36 घंटों तक चलने वाला कठिन उपवास तोड़ा.

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ संपन्न
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ संपन्न
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Published : Oct 31, 2022, 9:46 AM IST

लखीसराय: उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व का आज समापन (Chhath concludes with offering Arghya to the rising sun) हो गया. इस मौके पर लखीसराय के किऊल नदी में हजारों श्रद्धालुओं और छठव्रती महिलाओं की भीड़ दिखीं. छठ के समापन के बाद छठव्रती महिलाओं ने घाट पर मौजूद लोगों कोप्रसाद भी वितरण किया. कोरोना वायरस के खत्म होने के बाद इस साल छठ महापर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा गया.

ये भी पढ़ें- चार दिवसीय छठ पूजा संपन्न, बिहार में विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य

किऊल नदी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़: छठ महापर्व को लेकर किउल नदी पर डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए छठ घाट पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी. जिसके लिए छठ घाट पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किया गया था. छठ के सामापन के बाद छठ व्रती ने पूजा अर्चना कर 36 घंटे तक चलने वाला कठिन उपवास भी तोड़ा.

भोजन के बाद खत्म होता है 36 घंटे का व्रत: घाट से घर लौटने के बाद साफ-सफाई के साथ भोजन बनाया जाता है. इस भोजन को खाकर परवैतिन अपना व्रत खत्म करती हैं, जिसे पारण कहा जाता है. थोड़ा सा प्रसाद खाकर भी व्रत खोला जा सकता है. इस तरह 36 घंटों के उपवास के बाद परवैतिन का व्रत पूरा होता है. सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल देने वाले इस महापर्व पर लोगों की आस्था इतनी गहरी होती जा रही है कि दूसरे धर्म, भाषा और राज्य के लोग भी इसे करने लगे हैं.

इसलिए कहते हैं छठी मैया: सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मईया के नाम से सभी जानते हैं. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.

ये भी पढ़ें- उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ संपन्न, CM नीतीश ने पटना में दिया भगवान भास्कर को अर्घ्य

लखीसराय: उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व का आज समापन (Chhath concludes with offering Arghya to the rising sun) हो गया. इस मौके पर लखीसराय के किऊल नदी में हजारों श्रद्धालुओं और छठव्रती महिलाओं की भीड़ दिखीं. छठ के समापन के बाद छठव्रती महिलाओं ने घाट पर मौजूद लोगों कोप्रसाद भी वितरण किया. कोरोना वायरस के खत्म होने के बाद इस साल छठ महापर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा गया.

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किऊल नदी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़: छठ महापर्व को लेकर किउल नदी पर डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए छठ घाट पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी. जिसके लिए छठ घाट पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किया गया था. छठ के सामापन के बाद छठ व्रती ने पूजा अर्चना कर 36 घंटे तक चलने वाला कठिन उपवास भी तोड़ा.

भोजन के बाद खत्म होता है 36 घंटे का व्रत: घाट से घर लौटने के बाद साफ-सफाई के साथ भोजन बनाया जाता है. इस भोजन को खाकर परवैतिन अपना व्रत खत्म करती हैं, जिसे पारण कहा जाता है. थोड़ा सा प्रसाद खाकर भी व्रत खोला जा सकता है. इस तरह 36 घंटों के उपवास के बाद परवैतिन का व्रत पूरा होता है. सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल देने वाले इस महापर्व पर लोगों की आस्था इतनी गहरी होती जा रही है कि दूसरे धर्म, भाषा और राज्य के लोग भी इसे करने लगे हैं.

इसलिए कहते हैं छठी मैया: सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मईया के नाम से सभी जानते हैं. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.

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