किशनगंज: आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत ऐसी महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियों को आपने सामने ला रहा ही जिन्होंने महिलाओं के सम्मान में चार चांद लगाए हैं. एक मशहूर कहावत है 'जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, तो फिर फिजूल है कद आसमान का'. इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है जिले की लोकप्रिय महिला डॉक्टर सह मॉडल डॉ. तारा श्वेता आर्या ने. डॉ आर्या पेशे से एक डॉक्टर हैं और इन्हें मॉडलिंग काफी पसंद है. इस वजह से इन्होंने मॉडलिंग में भी अपना सिक्का जमाया.
'अपने लक्ष्य को मारने नहीं दें'
महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को संदेश देते हुए डॉ. श्वेता आर्या ने कहा कि मैंने डॉक्टर की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज से की. मैं आईवीएफ विशेषज्ञ हूं. अपने इलाज से मैने कई महिलाओं की गोद भरी है. उन्होंने कहा कि यूं तो भारतीय संस्कृति में नारी को हमेशा से ही सम्मान की नजरों से देखा जाता रहा है. इसके प्रमाण हमें वेदों में भी मिलते हैं. नारी के सम्मान को लेकर संस्कृत में एक श्लोक है 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता:' यानी जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवताओं का निवास होता है. लेकिन वर्तमान समय में कई परिस्थितियों में काफी तेजी से बदलाव हुआ है. आज भी महिलाओं अपमान हो रहा है. अपने-आप को सभ्य समाज का कहने वाले लोग महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझते हैं. यह हमारी संस्कृति के लिए बेहद चिंताजनक है.
'सफलता का श्रेय मां-बाप को दिया'
डॉ. श्वेता आर्या एक कुशल डॉक्टर के साथ-साथ एक सफल मॉडल भी हैं. उन्होंने साल 2019 में मिस इंडिया रुबरु का खिताब जीत कर बिहार का नाम रौशन किया है. डॉ आर्या अपनी प्रतिभा के बल पर राज्यपाल फागु चौहान से सम्मान भी पा चुकी हैं. अपनी सफलता का श्रेय डॉ आर्या अपने माता-पिता को देती हैं. उन्होंने बताया कि उनके मांं-बाप ने उन्हें बचपन से ही प्रोत्साहन दिया. अपने लक्ष्यों का पाने के लिए उन्होंने हमेशा प्रेरणा दी. डॉ.आर्या ने कहा कि वे मुफ्त में महिलाओं का इलाज करती है. उनकी सेवा का लाभ लेने के लिए केवल किशनगंज से नहीं बल्कि आस-पास के कई जिले से भी कई महिलाएं उनके पास आती हैं.
'अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं महिलाएं'
डॉ. आर्या ने कहा कि वर्तमान समय में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार भी कई योजनाएं चला रही है. आजकल की लड़कियां किसी मायने में पुरूषों से कम नहीं हैं. लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है. किसी समय महिलाओं को कमजोर समझा जाता था. लेकिन आज की महिलाएं किचन से निकल कर अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर अंतरिक्ष में भी अपना परचम लहरा रही हैं. उन्होंने कहा कि आज इनकी प्रतिभा का सम्मान करने की जरुरत है.