ETV Bharat / state

किशनगंज: फिल्टर्ड पानी के नाम पर हो रहा सेहत से खिलवाड़, प्रशासन बेखबर

किशनगंज समेत सीमांचल में फिल्टर्ड वाटर प्लांट का काला कारोबार फल फूल रहा है. बिना पेयजल गुणवत्ता की जांच किए और बिना एनओसी के ही पेयजल का धंधा धड़ल्ले से चलाया जा रहा है.

प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा अवैध धंधा
author img

By

Published : Aug 6, 2019, 10:45 PM IST

किशनगंज: 'बिहार का काला पानी' के नाम से चर्चित किशनगंज जिले में सफेद पानी का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है. लगभग पूरे शहर में 20 रुपये प्रति लीटर वॉटर का धंधा जोरों पर है. अधिकांश जगहों पर इस पानी की गुणवत्ता की कोई जांच नहीं होती है. साथ ही बिना लाइसेंस के यह कारोबार प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है.

kishanganj
प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा अवैध धंधा

मालूम हो कि 20 रुपये/ जार में जो पानी बेची जा रही है, इसके लिए गुणवत्ता सहित अन्य जरुरी लाइसेंस लेना अनिवार्य है. अगर बिना लाइसेंस कोई फिल्टर पानी बेचता है तो यह अवैध है. प्रशासन उसपर कार्रवाई कर सकता है. लेकिन, किशनगंज में धड़ल्ले से चल रहे इस धंधे की खबर प्रशासन को नहीं है.

पल्ला झाड़ रहा विभाग और प्रशासन
किशनगंज समेत सीमांचल में फिल्टर्ड वाटर प्लांट का काला कारोबार फलफूल रहा है. बिना पेयजल गुणवत्ता की जांच किए और बिना एनओसी के ही पेयजल का धंधा किया जा रहा है. ऐसे में पानी की गुणवत्ता और सेहत के नफा-नुकसान को लेकर कई सवाल उठते हैं. वहीं, शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए जिम्मेदार पीएचईडी मसले से अपना पल्ला झाड़ रहा है. यहां तक कि जिला स्वास्थ्य विभाग भी इसकी जवाबदेही लेने को तैयार नहीं है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

अधिकारी नहीं ले रहे एक्शन
हैरानी की बात तो यह है कि फिल्टर्ड वाटर बताकर 20-25 रुपए में जो पानी बेचा जा रहा है, उसकी गुणवत्ता का प्रमाण न तो पानी सप्लॉयर के पास है ना ही किसी अधिकारी के पास. प्रशासन को इस बारे में जानकारी जरूर है. लेकिन, अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं.

क्या है आंकड़े?
शहर में लगभग 20 और जिले में 80 के करीब ऐसे सप्लॉयर हैं. जिनके पास आईएसआई मार्का का पानी हो. यह प्रमाण किसी ने भी विभाग से नहीं लिया है. नतीजतन जागरूकता के अभाव में सफेद पानी की आड़ में लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है.

kishanganj
मुख्य अभियंता, पीएचईडी विभाग

नगर परिषद को लेना चाहिए संज्ञान
पीएचईडी के मुख्य अभियंता पवन कुमार ने बताया कि शहर में जितने भी निजी फिल्टर्ड वाटर सप्लाई किये जा रहे हैं, इन्होंने कहीं से लाइसेंस नहीं लिया है. यह लोग अपनी मर्जी से फिल्टर्ड प्लांट लगा कर पानी बेच रहे हैं. यह एक प्रशासनिक मामला है. इसमें नगर परिषद को संज्ञान लेना चाहिए. मुख्य अभियंता ने यह भी बताया कि विभाग की तरफ से नल जल योजना के तहत कार्य किया जा रहा है. जिससे लोगों को शुद्ध पानी जल्द मिलेगा.

क्यों कहा जाता है 'काला-पानी'
ऐसा कहा जाता है कि किशनगंज के पानी में आयरन की मात्रा बहुत अधिक है. यहां का पानी पीने से लोगों को पेट फूलने की शिकायत होती थी. इससे लोगों की मौत हो जाती थी. इस वजह से अंग्रेज इस जगह को सजा के तौर पर इस्तेमाल करते थे. कैदी को किशनगंज कारावास में डाल दिया जाता था.

किशनगंज: 'बिहार का काला पानी' के नाम से चर्चित किशनगंज जिले में सफेद पानी का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है. लगभग पूरे शहर में 20 रुपये प्रति लीटर वॉटर का धंधा जोरों पर है. अधिकांश जगहों पर इस पानी की गुणवत्ता की कोई जांच नहीं होती है. साथ ही बिना लाइसेंस के यह कारोबार प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है.

kishanganj
प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा अवैध धंधा

मालूम हो कि 20 रुपये/ जार में जो पानी बेची जा रही है, इसके लिए गुणवत्ता सहित अन्य जरुरी लाइसेंस लेना अनिवार्य है. अगर बिना लाइसेंस कोई फिल्टर पानी बेचता है तो यह अवैध है. प्रशासन उसपर कार्रवाई कर सकता है. लेकिन, किशनगंज में धड़ल्ले से चल रहे इस धंधे की खबर प्रशासन को नहीं है.

पल्ला झाड़ रहा विभाग और प्रशासन
किशनगंज समेत सीमांचल में फिल्टर्ड वाटर प्लांट का काला कारोबार फलफूल रहा है. बिना पेयजल गुणवत्ता की जांच किए और बिना एनओसी के ही पेयजल का धंधा किया जा रहा है. ऐसे में पानी की गुणवत्ता और सेहत के नफा-नुकसान को लेकर कई सवाल उठते हैं. वहीं, शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए जिम्मेदार पीएचईडी मसले से अपना पल्ला झाड़ रहा है. यहां तक कि जिला स्वास्थ्य विभाग भी इसकी जवाबदेही लेने को तैयार नहीं है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

अधिकारी नहीं ले रहे एक्शन
हैरानी की बात तो यह है कि फिल्टर्ड वाटर बताकर 20-25 रुपए में जो पानी बेचा जा रहा है, उसकी गुणवत्ता का प्रमाण न तो पानी सप्लॉयर के पास है ना ही किसी अधिकारी के पास. प्रशासन को इस बारे में जानकारी जरूर है. लेकिन, अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं.

क्या है आंकड़े?
शहर में लगभग 20 और जिले में 80 के करीब ऐसे सप्लॉयर हैं. जिनके पास आईएसआई मार्का का पानी हो. यह प्रमाण किसी ने भी विभाग से नहीं लिया है. नतीजतन जागरूकता के अभाव में सफेद पानी की आड़ में लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है.

kishanganj
मुख्य अभियंता, पीएचईडी विभाग

नगर परिषद को लेना चाहिए संज्ञान
पीएचईडी के मुख्य अभियंता पवन कुमार ने बताया कि शहर में जितने भी निजी फिल्टर्ड वाटर सप्लाई किये जा रहे हैं, इन्होंने कहीं से लाइसेंस नहीं लिया है. यह लोग अपनी मर्जी से फिल्टर्ड प्लांट लगा कर पानी बेच रहे हैं. यह एक प्रशासनिक मामला है. इसमें नगर परिषद को संज्ञान लेना चाहिए. मुख्य अभियंता ने यह भी बताया कि विभाग की तरफ से नल जल योजना के तहत कार्य किया जा रहा है. जिससे लोगों को शुद्ध पानी जल्द मिलेगा.

क्यों कहा जाता है 'काला-पानी'
ऐसा कहा जाता है कि किशनगंज के पानी में आयरन की मात्रा बहुत अधिक है. यहां का पानी पीने से लोगों को पेट फूलने की शिकायत होती थी. इससे लोगों की मौत हो जाती थी. इस वजह से अंग्रेज इस जगह को सजा के तौर पर इस्तेमाल करते थे. कैदी को किशनगंज कारावास में डाल दिया जाता था.

Intro:किशनगंज:- काला पानी में सफेद पानी का धंधा किशनगंज में धरल्ले से चल रहा है।
शहर में लगभग 20 लीटर वॉटर के नाम पर प्लान चल रहा, यार मैं जो पानी देसी जा रही है इसके लिए गुणवत्ता सहित अन्य जरुरी लाइसेंस लेना अनिवार्य अगर बिना लाइसेंस कोई फिल्टर पानी बेचता है तो यह अवैध है।


Body:किशनगंज:- काला पानी में सफेद पानी का धंधा किशनगंज में धरल्ले से चल रहा है।
शहर में लगभग 20 लीटर वॉटर के नाम पर प्लान चल रहा, जार में जो पानी बेची जा रही है इसके लिए गुणवत्ता सहित अन्य जरुरी लाइसेंस लेना अनिवार्य अगर बिना लाइसेंस कोई फिल्टर पानी बेचता है तो यह अवैध है।

कालापानी के नाम से चर्चित किशनगंज समेत सीमांचल में फिल्टर्ड वाटर प्लांट का काला कारोबार फलफूल रहा है।बिना पेयजल गुणवत्ता की जांच किए व बिना एनओसी के ही पेयजल का धंधा किया जा रहा है।ऐसे में पानी की गुणवत्ता और सेहत के नफा-नुकसान को लेकर सवाल उठने लगे हैं।शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए जिम्मेदार पीएचईडी मसले से अपना पल्ला झाड़ रहा है।यहाँ तक की जिला स्वास्थ्य विभाग भी इससे पल्ला झाड़ रही है।
हैरानी की बात तो ये है कि फिल्टर्ड वाटर बताकर 20 से 25 रुपए में जो पानी बेचा जा रहा है, उसकी गुणवत्ता की प्रमाण न तो पानी सप्लायर के पास है ना ही किसी अधिकारी के पास।ऐसा नही है कि इसकी जानकारी प्रशासन को नही है पर प्रशासन भी मूक दर्शक बानी हुई है।शहर में लगभग 20 और जिले में 80 के करीब ऐसे सप्लायर है पर किसी के पास आई एस आई मार्का का पानी हो इसका प्रमाण किसी ने भी विभाग से नही लिया है,इस सफेद पानी से लोगो के सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
इस वाटर फ़िल्टर के जार के पानी मे पाए जाने वाले ज़रूरी तत्व है या नही इसकी जांच करने के लिए अब तक किसी भी पानी सप्लायर के पास जांच के लिए कोई अधिकारी नही पहुंचा।
यह धंधा इतने ज़ोरो से चलने लगा है कि हर गली मोहल्ले में सिर्फ यही पानी पीते है लोग।शादी पार्टीयो में भी यही पानी फिल्टर्ड के नाम पर इस्तेमाल किये जाते है।

पे पदार्थ के लिए लाइसेंस है ज़रूरी।
पेय पदार्थ सहित खाद सामग्री आदि की बिक्री के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है।और लाइसेंस देने का कार्य खाद विभाग का होता है,वही खाद्द विभाग के जिला में नही रहने के कारण कारोबारी धरल्ले से गोरख वेबसाइ कर रहे अपना धंधा।


Conclusion:वही पीएचडी के मुख्य अभियंता पवन कुमार ने बताया कि शहर में जितने भी निजी फिल्टर्ड वाटर सप्लाई किये जा रहे है,इन्होंने कही से भी लाइसेंस नही लिया है, ये लोग अपनी मर्ज़ी से फिल्टर्ड प्लांट लगा कर पानी बेच रहे है,ये एक प्रशाशनिक मामला बनता है।
इसमे नगर परिषद को इसके बारे में संज्ञान लेना चाहिए।
वही मुख्य अभियंता ने बताया कि हमारे विभाग की तरफ से बहुत तेजी में नल जल योजना के तहत कार्य किया जा रहा है,जिससे लोगो को शुद्ध पानी पीने को मिलेगा,इसके शुरू हो जाने से लोगो को पानी खरीद के नही पीना होगा।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.