किशनगंज: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास के नाम पर चाहे जितनी पीठ थपथपा लें, लेकिन जो जमीनी हकीकत है, वो कुछ और ही है. किशनगंज जिला मुख्यालय को चार प्रखंडों से जोड़ने वाला एक मात्र पुल वर्ष 2017 में बह गया था. जिसके बाद आनन-फानन में पुल निर्माण का कार्य शुरू हुआ, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो सका.
क्या है पूरा मामला
अगस्त 2017 में आई भीषण बाढ़ में किशनगंज ब्लॉक चौक के समीप 60 मीटर पुल टूटने से किशनगंज जिला मुख्यालय का सम्पर्क 4 प्रखंडों समेत पड़ोसी देश नेपाल से कट गया था. उस वक्त आनन-फानन में कटे पूल के समीप डायवर्सन बनाकर आवागमन शुरू किया गया. इसके बाद कटी सड़क पर 80 मीटर के पुल निर्माण की स्वीकृति मिल गई थी. नए पुल के निर्माण के लिए 6 करोड़ 50 लाख की राशि स्वीकृति की गई थी. इसके बाद 3 करोड़ 83 लाख 61 हजार रुपये भुगतान भी हो चुका है, लेकिन पुल है कि बना नहीं.
संवेदक पर लगाया जा चुका है जुर्माना
पुल निर्माण विभाग के एसडीओ पंकज कुमार ने बताया कि इस पुल को 02/01/2018 में प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई थी. पुल की लम्बाई 83.05 मीटर और पुल के दोनों साइड 150-150 मीटर लम्बाई के अप्रोच रोड बनाना था. पुल को संवेदक द्वारा 27/09/2019 तक बनाकर पुल निर्माण विभाग को सौंप देना था. लेकिन संवेदक द्वारा पुल को समय पर तैयार नहीं किया गया. इसके बाद विभाग ने 30/06/2019 को कारण बताओ नोटिस जारी किया. जिसके लिए संवेदक की कंपनी पर 8 लाख 78 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
आपको बता दें कि इस पुल के टूटने की वजह से किशनगंज के 4 प्रखंड, पड़ोसी जिला अररिया, सुपौल समेत पड़ोसी देश नेपाल से सम्पर्क टूट गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से ये पुल टूटा है. तब से उन्हें अपने गांव से जिला मुख्यालय जाने में बहुत समस्या आती है. डायवर्सन पतला और कच्चा होने की वजह से हल्की बारिश में कीचड़ हो जाता है. इस कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है.
क्या कहते हैं डीएम
जिलाधिकारी डॉ. आदित्य प्रकाश ने बताया कि 2017 या उसके बाद के वर्षों में बाढ़ की वजह से टूटी हुई सड़कों के निर्माण को पूरा कर लिया गया है. लेकिन कुछ कारणवश पुल निर्माण का कार्य अधूरा है. जिसे जून तक पूरा कर लिया जाएगा. जिलाधिकारी ने इस पुल के निर्माण नहीं हो पाने की वजह लॉकडाउन को बताया है.