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ओवैसी के साथ मंच साझा करेंगे मांझी, AIMIM ने कहा- गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं - AIMIM rally in Kishanganj

एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि रैली के लिए हमारे रैली में शामिल होने के निमंत्रण को मांझी ने सहजता से स्वीकार लिया. यह लगाई सभी की है. हम चाहते है कि इस लड़ाई में सभी विपक्षी पार्टियां हमारे साथ आएं.

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Published : Dec 28, 2019, 9:37 AM IST

किशनगंज: जिले के रुइधासा मैदान में 29 दिसंबर को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर एआईएमआईएम 'संविधान बचाओ' रैली करने जा रही है. रैली में पार्टी प्रमुख अस्सुदिन ओवैसी भी शिरकत करेंगे. इसमें हम प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के भी आने की बात कही जा रही है. इसके मद्देनजर प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण पर अटकलबाजी तेज हो गई है.

'संविधान बचाने की लड़ाई'
इन अटकलों पर ईटीवी भारत ने एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सीएए लाकर देश और संविधान पर जो हमला किया है, उसी के खिलाफ यह रैली की जा रही है. क्योंकी संविधान बचेगा तो देश की अखंडता बचेगी और देश की सरहदें भी बचेंगी. यदि देश का संविधान ही नहीं बचेगा तो देशवासी भी नहीं बचेंगे और देश गुलाम बन जाएगा.

'मांझी ने स्वीकारा निमंत्रण'
अख्तरुल ईमान ने कहा कि हमारी लगाई इस काला कानून के खिलाफ है. इसी सिलसिले में हमने जीतन राम मांझी को भी निमंत्रण दिया. मांझी ने हमारा निमंत्रण सहजता से स्वीकार लिया. यह लगाई सभी की है. हम चाहते है कि सभी विपक्षी पार्टियां इसमें हमारे साथ आएं. उन्होंने कहा कि इस काला कानून से गरीबों, दलितों, पिछड़ों और शोषितों को बहुत परेशानी होने वाली है. क्योंकि उनके पास कोई कागजात नहीं हैं.

एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष से खास बातचीत

'एनपीआर और एनआरसी में कोई फर्क नहीं'
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारी पार्टी का साफ स्टैंड है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई फर्क नहीं है. बीजेपी के उद्देश की पूर्ति एनपीआर ही कर देगी. 2003 में इसी बीजेपी की सरकार में एनपीआर का फैसला लिया गया था. लोगों को नागरिकता सिद्ध करने के लिए तब 15 सवालों के जवाब देने थे. जिसे बढ़ाकर अब 21 कर दिए गए हैं. उसमें ऐसे सवाल किए गए हैं, जिसका जवाब किसी गरीब के पास नहीं होगा.

ये भी पढ़ेंः 'यूपीए सरकार ने शुरू किया था NPR पर काम, तत्कालीन मंत्री लालू प्रसाद चुप क्यों रहे?'

'उलझन में देश'
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ऐसे मुद्दों को हवा देकर अपनी नाकारापन को छिपाना चाहती है. बीजेपी ने अपने स्वार्थ के लिए देश को उलझन में धकेल दिया है. महागठबंधन में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में गठगबंधन से इनकार नहीं किया जा सकता है. यदि मुद्दे एक हों तो मिलकर लड़े ही जा सकते हैं.

किशनगंज: जिले के रुइधासा मैदान में 29 दिसंबर को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर एआईएमआईएम 'संविधान बचाओ' रैली करने जा रही है. रैली में पार्टी प्रमुख अस्सुदिन ओवैसी भी शिरकत करेंगे. इसमें हम प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के भी आने की बात कही जा रही है. इसके मद्देनजर प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण पर अटकलबाजी तेज हो गई है.

'संविधान बचाने की लड़ाई'
इन अटकलों पर ईटीवी भारत ने एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सीएए लाकर देश और संविधान पर जो हमला किया है, उसी के खिलाफ यह रैली की जा रही है. क्योंकी संविधान बचेगा तो देश की अखंडता बचेगी और देश की सरहदें भी बचेंगी. यदि देश का संविधान ही नहीं बचेगा तो देशवासी भी नहीं बचेंगे और देश गुलाम बन जाएगा.

'मांझी ने स्वीकारा निमंत्रण'
अख्तरुल ईमान ने कहा कि हमारी लगाई इस काला कानून के खिलाफ है. इसी सिलसिले में हमने जीतन राम मांझी को भी निमंत्रण दिया. मांझी ने हमारा निमंत्रण सहजता से स्वीकार लिया. यह लगाई सभी की है. हम चाहते है कि सभी विपक्षी पार्टियां इसमें हमारे साथ आएं. उन्होंने कहा कि इस काला कानून से गरीबों, दलितों, पिछड़ों और शोषितों को बहुत परेशानी होने वाली है. क्योंकि उनके पास कोई कागजात नहीं हैं.

एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष से खास बातचीत

'एनपीआर और एनआरसी में कोई फर्क नहीं'
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारी पार्टी का साफ स्टैंड है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई फर्क नहीं है. बीजेपी के उद्देश की पूर्ति एनपीआर ही कर देगी. 2003 में इसी बीजेपी की सरकार में एनपीआर का फैसला लिया गया था. लोगों को नागरिकता सिद्ध करने के लिए तब 15 सवालों के जवाब देने थे. जिसे बढ़ाकर अब 21 कर दिए गए हैं. उसमें ऐसे सवाल किए गए हैं, जिसका जवाब किसी गरीब के पास नहीं होगा.

ये भी पढ़ेंः 'यूपीए सरकार ने शुरू किया था NPR पर काम, तत्कालीन मंत्री लालू प्रसाद चुप क्यों रहे?'

'उलझन में देश'
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ऐसे मुद्दों को हवा देकर अपनी नाकारापन को छिपाना चाहती है. बीजेपी ने अपने स्वार्थ के लिए देश को उलझन में धकेल दिया है. महागठबंधन में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में गठगबंधन से इनकार नहीं किया जा सकता है. यदि मुद्दे एक हों तो मिलकर लड़े ही जा सकते हैं.

Intro:किशनगंज:-किशनगंज के रुइधासा मैदान में 29 दिसंबर को NRC, CAA और NPR पर एक विशाल जनसभा को संबोधित करने किशनगंज आ रहे हैं AIMIM प्रमुख अस्सुदिन ओवैसी और इस जनसभा में उनके साथ मंच साझा करेंगे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और HAM प्रमुख जीतन राम मांझी।जिसके बाद से राजनीतिक गलियो में ये चर्चा बना हुआ है कि दोनों पार्टी में गठबंधन हो सकता है जिसके वजह से विपक्ष बार-बार महागठबंधन पर सवाल उठा रहा है।


Body:किशनगंज:-
वीओ-1:-ईटीवी भारत से खास बातचीत में AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बताया कि 29 तारीख की जनसभा कोई राजनीति सभा नही है,यह सभा संविधान बचाने के लिए किया जा रहा है इसीलिए इस सभा का नाम भी "संविधान बचाओ सभा" रखा गया है।उन्होंने कहा कि AIMIM और HAM पार्टी में अभी कोई गठबंधन नही है, चुकी हमारा मुद्दा एक है जिसके वजह से हमने जीतन राम मांझी जी को इस सभा निमंत्रण दिया और उन्होंने स्वीकार कर लिया।
प्रदेशाध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बताया कि सरकार जो NPR ला रही हैं वो NRC का ही एक हिस्सा हैं।उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार अपनी नाकामियो को छिपाने के लिए ये सब कर रही है।सरकार देश की अर्थव्यवस्था की तरफ ध्यान नहीं दे रही जो दिन प्रतिदिन गिरते जा रही है।इस सरकार को तो सिर्फ धर्म के नाम पर लोगो को लड़वा कर राज करना है।अमित शाह और नरेंद्र मोदी दोनों हिटलर साही चलाना चाहते हैं।


Conclusion:अख्तरुल ईमान ने बताया कि भविष्य में हमारी पार्टी का गठबंधन HAM के साथ होना संभव है,चुकी ये राजनीति है इसमें कब कौन सी पार्टी किसके साथ हो जाये कोई नहीं जानता।उन्होंने इसारे में ये भी कहा कि अगर उनकी पार्टी को महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव मिले तो वो महागठबंधन के साथ जुड़ जाएंगे।
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