किशनगंज: जिले के रुइधासा मैदान में 29 दिसंबर को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर एआईएमआईएम 'संविधान बचाओ' रैली करने जा रही है. रैली में पार्टी प्रमुख अस्सुदिन ओवैसी भी शिरकत करेंगे. इसमें हम प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के भी आने की बात कही जा रही है. इसके मद्देनजर प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण पर अटकलबाजी तेज हो गई है.
'संविधान बचाने की लड़ाई'
इन अटकलों पर ईटीवी भारत ने एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सीएए लाकर देश और संविधान पर जो हमला किया है, उसी के खिलाफ यह रैली की जा रही है. क्योंकी संविधान बचेगा तो देश की अखंडता बचेगी और देश की सरहदें भी बचेंगी. यदि देश का संविधान ही नहीं बचेगा तो देशवासी भी नहीं बचेंगे और देश गुलाम बन जाएगा.
'मांझी ने स्वीकारा निमंत्रण'
अख्तरुल ईमान ने कहा कि हमारी लगाई इस काला कानून के खिलाफ है. इसी सिलसिले में हमने जीतन राम मांझी को भी निमंत्रण दिया. मांझी ने हमारा निमंत्रण सहजता से स्वीकार लिया. यह लगाई सभी की है. हम चाहते है कि सभी विपक्षी पार्टियां इसमें हमारे साथ आएं. उन्होंने कहा कि इस काला कानून से गरीबों, दलितों, पिछड़ों और शोषितों को बहुत परेशानी होने वाली है. क्योंकि उनके पास कोई कागजात नहीं हैं.
'एनपीआर और एनआरसी में कोई फर्क नहीं'
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारी पार्टी का साफ स्टैंड है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई फर्क नहीं है. बीजेपी के उद्देश की पूर्ति एनपीआर ही कर देगी. 2003 में इसी बीजेपी की सरकार में एनपीआर का फैसला लिया गया था. लोगों को नागरिकता सिद्ध करने के लिए तब 15 सवालों के जवाब देने थे. जिसे बढ़ाकर अब 21 कर दिए गए हैं. उसमें ऐसे सवाल किए गए हैं, जिसका जवाब किसी गरीब के पास नहीं होगा.
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'उलझन में देश'
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ऐसे मुद्दों को हवा देकर अपनी नाकारापन को छिपाना चाहती है. बीजेपी ने अपने स्वार्थ के लिए देश को उलझन में धकेल दिया है. महागठबंधन में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में गठगबंधन से इनकार नहीं किया जा सकता है. यदि मुद्दे एक हों तो मिलकर लड़े ही जा सकते हैं.