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किशनगंज: दौला पंचायत में महानंदा नदी का रौद्र रुप, दो ओर से गांव का कटाव जारी

महीन गांव में बाढ़ और कटाव का खतरा गहराता जा रहा है. महानंदा नदी दो ओर से गांव को काट रही है.आधे से ज्यादा परिवारों का घर नदी में समा चुका है.लेकिन, अभी भी मदद के नाम पर कुछ नहीं मिला

Mahananda river
Mahananda river
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Published : Jul 27, 2020, 6:29 PM IST

किशनगंज: प्रखंड के दौला पंचायत अंतर्गत महीन गांव में बाढ़ और कटाव का खतरा गहराता जा रहा है. 2017 के बाद से महानंदा नदी से लगातार हो रहे कटाव से अब तक दर्जनों मकान नदी में समा चुके हैं. कटाव से डरे ग्रामीण अब सुरक्षित स्थान की तरफ पलायन करने को मजबूर है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

खाने-पीने की समस्या से जूझ रहे हैं परिवार
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गांव के दोनों किनारों से नदी बह रही है. गांव का आधा से ज्यादा हिस्सा कटाव की भेंट चढ़ चुका है. सीओ, बीडीओ, कर्मचारी इंक्वायरी करके जाते है, लेकिन अभी भी मदद के नाम पर कुछ नहीं मिला है. कई परिवार मशक्कत से अपनी जिंदगी बिता रहे है. खाने-पीने तक की समस्या से जूझ रहे हैं.

Mahananda river
नाव के जरिए आवागमन करते ग्रामीण

टापू में तब्दील हुआ गांव
ग्रामीणों का डर है कि नदी दो ओर से गांव को काट रही है. इस वजह से पूरा गांव महज एक टापू बनकर रह गया है. आधे से ज्यादा परिवारों का घर नदी में समा चुका है. जिनके घर बचे भी है वो भी अपनी ज़रूरत का समान लेकर सड़कों पर चले गए हैं. जो भी घर बचे है उस घर के पुरुष अपने समान की रखवाली के लिए यहां इन हालातों में रहने को मजबूर हैं.

किशनगंज: प्रखंड के दौला पंचायत अंतर्गत महीन गांव में बाढ़ और कटाव का खतरा गहराता जा रहा है. 2017 के बाद से महानंदा नदी से लगातार हो रहे कटाव से अब तक दर्जनों मकान नदी में समा चुके हैं. कटाव से डरे ग्रामीण अब सुरक्षित स्थान की तरफ पलायन करने को मजबूर है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

खाने-पीने की समस्या से जूझ रहे हैं परिवार
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गांव के दोनों किनारों से नदी बह रही है. गांव का आधा से ज्यादा हिस्सा कटाव की भेंट चढ़ चुका है. सीओ, बीडीओ, कर्मचारी इंक्वायरी करके जाते है, लेकिन अभी भी मदद के नाम पर कुछ नहीं मिला है. कई परिवार मशक्कत से अपनी जिंदगी बिता रहे है. खाने-पीने तक की समस्या से जूझ रहे हैं.

Mahananda river
नाव के जरिए आवागमन करते ग्रामीण

टापू में तब्दील हुआ गांव
ग्रामीणों का डर है कि नदी दो ओर से गांव को काट रही है. इस वजह से पूरा गांव महज एक टापू बनकर रह गया है. आधे से ज्यादा परिवारों का घर नदी में समा चुका है. जिनके घर बचे भी है वो भी अपनी ज़रूरत का समान लेकर सड़कों पर चले गए हैं. जो भी घर बचे है उस घर के पुरुष अपने समान की रखवाली के लिए यहां इन हालातों में रहने को मजबूर हैं.

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