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किशनगंजः करोड़ों की लागत से बना जल मीनार फिर भी 5 साल से शुद्ध जल के लिए तरस रहे शहरवासी - जल मिनार का निर्माण

करोड़ों की लागत से बना जल मीनार बेकार पड़ा है. देखभाल नहीं होने की स्थिति में सरकार को आर्थिक रुप से क्षति पहुंच सकता है. वहीं, इलाके में आयरन की मात्रा मानक से अत्यधिक होने से लोगों के चापाकल से पानी पीने पर रोगग्रस्त होने का डर रहता है.

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Published : Jun 19, 2020, 9:32 PM IST

Updated : Jun 21, 2020, 11:33 PM IST

किशनगंजः जिला मुख्यालय में लोगों तक स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए लगभग 5 वर्ष पूर्व से ही करोड़ों की लागत से जल नल योजना के तहत सात जल मीनार बनकर तैयार है. वहीं, इसमें आयरन भीम और प्लांट लगाए जा चुके हैं. बावजूद इसके नगर परिषद की लापरवाही के कारण अब तक शहर वासियों को शुद्ध पेय जल नसीब नहीं हो पा रहा है.

5 वर्ष होने के बावजूद अब तक शहर के लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं. शहरी लोगों तक स्वच्छ जल पहुंचाने में नगर परिषद फेल साबित हुआ है. करोड़ों की लागत से बना जल मीनार कैंपस सांप बिच्छू का अड्डा बन गया है. वहीं, कैंपस में बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग गई है. आयरन रिमूवल प्लांट जंग खा रहा है. देखभाल नहीं होने की स्थिति में सरकार को करोड़ों का चूना लग सकता है. इसके अलावा पेयजल सप्लाई को लेकर बिछाई पाइप लीकेज होना भी बड़ी समस्या है.

पेश है रिपोर्ट

चापाकाल से चल रहा काम

जिले में जल का स्तर सामान्य रुप से 10 से 15 फीट पर उपलब्ध है. लेकिन दूषित पानी होने के कारण लोगों को कई बीमारियों का शिकार भी बनना पड़ता है. नगर परिषद शहरी क्षेत्र में चापाकल के लिए 1 रुपया, घरेलू कार्य के लिए 500 और कॉमर्शियल कार्य के लिए 1214 रुपया टैक्स ले रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि चापाकल के पानी का प्रयोग दैनिक कार्यो के लिए करना पड़ता है. वहीं, चापाकल का पानी स्वच्छ भी नहीं है. फिर भी मजबूरन चापाकल का पानी यूज करना पड़ता है. जबकि पीने के बंद जार का पानी का उपयोग करते हैं जो काफी महंगा पड़ता है.

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पीने के लिए चापाकल का किया जा रहा उपयोग

5 साल बाद भी नसीब नहीं हुआ पानी
पुर्व नगर उपाध्यक्ष जमशेद आलम ने नगर परिषद पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह नगर परिषद की लापरवाही का नतीजा है. 5 वर्षो में करोड़ो खर्च करने के बाद भी शहर वासियों को अब तक स्वच्छ पानी नहीं मिल पाया. लोग चापाकल का आयरन युक्त पानी इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं. इससे कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है.

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पीने के लिए जार का पानी का हो रहा उपयोग

अधिकारी का दावा जल्द होगा पानी का सप्लाई

वहीं, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मंजूर आलम ने कहा कि कुछ कारणो से पुर्व में बने जल मिनारों को चालू नहीं किया जा सका है. पुरे नगर परिषद क्षेत्र में अलग-अलग वार्डो में 15 जगहों को चिन्हित किया गया है, जहां नए सिरे से जल मिनार का निर्माण किया जाएगा. जिससे शहर वासियों को पीने का स्वच्छ पानी मुहैया कराया जाएगा. उन्होने कहा कि पुर्व में बने जल मिनार में आयरन रेमुवल प्लांट को भी ठीक किया जाएगा. इससे जल्द ही पानी की सप्लाई कर जिलावासियों को मुहैया कराई जाएगी.

किशनगंजः जिला मुख्यालय में लोगों तक स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए लगभग 5 वर्ष पूर्व से ही करोड़ों की लागत से जल नल योजना के तहत सात जल मीनार बनकर तैयार है. वहीं, इसमें आयरन भीम और प्लांट लगाए जा चुके हैं. बावजूद इसके नगर परिषद की लापरवाही के कारण अब तक शहर वासियों को शुद्ध पेय जल नसीब नहीं हो पा रहा है.

5 वर्ष होने के बावजूद अब तक शहर के लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं. शहरी लोगों तक स्वच्छ जल पहुंचाने में नगर परिषद फेल साबित हुआ है. करोड़ों की लागत से बना जल मीनार कैंपस सांप बिच्छू का अड्डा बन गया है. वहीं, कैंपस में बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग गई है. आयरन रिमूवल प्लांट जंग खा रहा है. देखभाल नहीं होने की स्थिति में सरकार को करोड़ों का चूना लग सकता है. इसके अलावा पेयजल सप्लाई को लेकर बिछाई पाइप लीकेज होना भी बड़ी समस्या है.

पेश है रिपोर्ट

चापाकाल से चल रहा काम

जिले में जल का स्तर सामान्य रुप से 10 से 15 फीट पर उपलब्ध है. लेकिन दूषित पानी होने के कारण लोगों को कई बीमारियों का शिकार भी बनना पड़ता है. नगर परिषद शहरी क्षेत्र में चापाकल के लिए 1 रुपया, घरेलू कार्य के लिए 500 और कॉमर्शियल कार्य के लिए 1214 रुपया टैक्स ले रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि चापाकल के पानी का प्रयोग दैनिक कार्यो के लिए करना पड़ता है. वहीं, चापाकल का पानी स्वच्छ भी नहीं है. फिर भी मजबूरन चापाकल का पानी यूज करना पड़ता है. जबकि पीने के बंद जार का पानी का उपयोग करते हैं जो काफी महंगा पड़ता है.

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पीने के लिए चापाकल का किया जा रहा उपयोग

5 साल बाद भी नसीब नहीं हुआ पानी
पुर्व नगर उपाध्यक्ष जमशेद आलम ने नगर परिषद पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह नगर परिषद की लापरवाही का नतीजा है. 5 वर्षो में करोड़ो खर्च करने के बाद भी शहर वासियों को अब तक स्वच्छ पानी नहीं मिल पाया. लोग चापाकल का आयरन युक्त पानी इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं. इससे कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है.

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पीने के लिए जार का पानी का हो रहा उपयोग

अधिकारी का दावा जल्द होगा पानी का सप्लाई

वहीं, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मंजूर आलम ने कहा कि कुछ कारणो से पुर्व में बने जल मिनारों को चालू नहीं किया जा सका है. पुरे नगर परिषद क्षेत्र में अलग-अलग वार्डो में 15 जगहों को चिन्हित किया गया है, जहां नए सिरे से जल मिनार का निर्माण किया जाएगा. जिससे शहर वासियों को पीने का स्वच्छ पानी मुहैया कराया जाएगा. उन्होने कहा कि पुर्व में बने जल मिनार में आयरन रेमुवल प्लांट को भी ठीक किया जाएगा. इससे जल्द ही पानी की सप्लाई कर जिलावासियों को मुहैया कराई जाएगी.

Last Updated : Jun 21, 2020, 11:33 PM IST
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