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किशनगंजः उर्दू भाषा के उत्थान के लिए जिला स्तरीय फरोग-ए-उर्दू कार्यशाला का आयोजन - bihar latest news

यहां किशनगंज के विधायक कमरुल होदा ने कहा कि आज की पीढ़ी ऊर्दू भाषा से अनजान है. उन्हें इसकी महत्ता नहीं मालूम.

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Published : Feb 15, 2020, 5:22 PM IST

किशनगंजः जिले के टाउन हाल में शनिवार को एक दिवसीय जिला स्तरीय फरोग-ए-उर्दू कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य उर्दू भाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए और नई पीढ़ी को उर्दू भाषा का ज्ञान बढ़ाने के लिए था.

फरोग-ए-उर्दू कार्यशाला का आयोजन
इस मौके पर किशनगंज के विधायक कमरुल होदा ने कहा कि आज की पीढ़ी ऊर्दू भाषा से अनजान है. उन्हें इसकी महत्ता नहीं मालूम और तो और अब किसी भी स्कूल में इस भाषा को पढ़ाया नहीं जाता है. पहले सभी सरकारी कार्यालयों में उर्दू के ट्रांसलेटर मौजूद रहते थे, लेकिन लोगों की ओर से अब उर्दू में आवेदन नहीं दिया जाता. जिसके वजह से इन ट्रांसलेटरों के पास कोई कार्य नहीं रहता. इसकी वजह से इन्हें किसी और कार्य में लगा दिया गया. कमरुल होदा ने निजी मदरसों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि आज सिर्फ निजी मदरसों की वजह से उर्दू भाषा जिंदा है. वर्ना ये कब का दफन हो गया होता.

देखें पूरी रिपोर्ट

उर्दू के स्क्रिप्ट को बढ़ावा देने की जरूरत
जिलाधिकारी ने कहा कि उर्दू के स्क्रिप्ट को बढ़ावा देने की जरूरत है. हम सभी आज इस चर्चा पर इकट्ठा हुए हैं कि उर्दू भाषा का उत्थान कैसे करना हैं. उन्होंने आगे कहा कि उर्दू को बढ़ाने के लिए सबसे पहले इसके शब्दों की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए.

किशनगंजः जिले के टाउन हाल में शनिवार को एक दिवसीय जिला स्तरीय फरोग-ए-उर्दू कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य उर्दू भाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए और नई पीढ़ी को उर्दू भाषा का ज्ञान बढ़ाने के लिए था.

फरोग-ए-उर्दू कार्यशाला का आयोजन
इस मौके पर किशनगंज के विधायक कमरुल होदा ने कहा कि आज की पीढ़ी ऊर्दू भाषा से अनजान है. उन्हें इसकी महत्ता नहीं मालूम और तो और अब किसी भी स्कूल में इस भाषा को पढ़ाया नहीं जाता है. पहले सभी सरकारी कार्यालयों में उर्दू के ट्रांसलेटर मौजूद रहते थे, लेकिन लोगों की ओर से अब उर्दू में आवेदन नहीं दिया जाता. जिसके वजह से इन ट्रांसलेटरों के पास कोई कार्य नहीं रहता. इसकी वजह से इन्हें किसी और कार्य में लगा दिया गया. कमरुल होदा ने निजी मदरसों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि आज सिर्फ निजी मदरसों की वजह से उर्दू भाषा जिंदा है. वर्ना ये कब का दफन हो गया होता.

देखें पूरी रिपोर्ट

उर्दू के स्क्रिप्ट को बढ़ावा देने की जरूरत
जिलाधिकारी ने कहा कि उर्दू के स्क्रिप्ट को बढ़ावा देने की जरूरत है. हम सभी आज इस चर्चा पर इकट्ठा हुए हैं कि उर्दू भाषा का उत्थान कैसे करना हैं. उन्होंने आगे कहा कि उर्दू को बढ़ाने के लिए सबसे पहले इसके शब्दों की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए.

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