किशनगंज: जिला मुख्यत: धान, मक्का और केले की खेती के लिए जाना जाता है. लेकिन हर साल आने वाली बाढ़ के कारण धान और मक्के की फसल बुरी तरह बर्बाद हो जाती है. जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में कुछ किसानों ने परंपरागत खेती के ट्रेंड से हटकर आधुनिक खेती की राह ली है.
इनदिनों जिले में कैश क्रॉप की खेती कर किसानों को तिगुना-चौगुना फायदा हो रहा है. इस वजह से जिले के दर्जनों किसानों का रुझान हल्दी की खेती की ओर बढ़ रहा है. कई प्रखंडों में किसानों ने हल्दी की खेती की शुरुआत की और अब वह समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं.
कैसे करें हल्दी की खेती?
हल्दी की खेती के लिए कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. जैसे कि सबसे पहले तो बीज का चयन करने में सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. उसके बाद इसके पौधों में कितनी दूरी होनी चाहिए और मिट्टी की जांच सबसे ज्यादा जरूरी है. हल्दी की खेती हमेशा ऊंचे खेतों में की जाती है ताकि बरसात के मौसम में खेतों में पानी ना ठहरे, अगर पानी का ठहराव हो जाता है तो हल्दी के पौधे नष्ट हो जाते हैं.
6-7 महीने की होती है खेती
हल्दी की खेती 6 या 7 महीने की होती है. एक बीघे में हल्दी का 2 क्विंटल बीज लग जाता है. जो 1500 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल मिलता है. हल्दी की पूरी फसल में 50 किलो यूरिया और एक बोरी डीएपी डालते हैं. चार से पांच बार पानी देना पड़ता है. पेड़ से पेड़ की दूरी 1 फीट रखते हैं और लाइन से लाइन की दूरी भी एक फीट होती है. एक बीघे में लगभग 5000 रुपये की लागत आती है. इसमें कच्चा माल लगभग 20 से 25 क्विंटल निकल आता है. जिसका रेट 1200 से 1500 के बीच होता है. एक बीघे मे लगभग 20 हजार का मुनाफा होता है.
किसानों ने बताई कहानी
हल्दी की खेती करने वाले किसान मो. साबुल ने बताया कि हल्दी की खेती में काफी फायदा है. इससे नकद पैसे की आमदनी है. साथ ही इसे स्टोर करके नहीं रखना पड़ता है. यह जैसे तैयार होता है किसान इसे आसानी से बेचकर पैसे कमा लेते हैं. उन्होंने बताया कि इस खेती में जितना फायदा है उतनी ही सावधानी बरतने की भी जरुरत है.
जिला परियोजना पदाधिकारी ने दी जानकारी
किशनगंंज के जिला परियोजना पदाधिकारी अवधेश कुमार ने बताया कि हल्दी की खेती मे लागत कम और फायदे अत्यधिक हैं. उन्होंने बताया कि हल्दी को बेचने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता है. हल्दी जब खेत में लगी रहती है तो व्यापारी खेत से खरीद लेते हैं. जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा मुनाफा हो जाता है. उन्होनें बताया कि इस खेती मे खाद से ज्यादा जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है.