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किशनगंज में तबाही का मंजर, कनकई नदी के कटाव में दर्जनों घर विलीन, 'मुहाने' पर लोगों की जिंदगी - bihar latest news

किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड से होकर बहने वाली कनकई नदी में उफान है. नदी में कटाव के कारण गांव के दर्जनों घर इसकी चपेट में आ गए हैं. कई घर तो विलीन भी हो गए हैं. देखें तस्वीरें...

कटाव की समस्या
कटाव की समस्या
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Published : Oct 25, 2021, 8:17 AM IST

किशनगंज: बिहार के किशनगंज जिले से होकर बहने वाली कनकई नदी (Kanakai River Flood) एक बार फिर उफनाई हुई है. दिघलबैंक प्रखंड अंतर्गत आठगाछी पंचायत में कनकई नदी के भीषण कटाव के कारण दो दर्जन से अधिक कच्चे-पक्के मकान पानी की तेज धार में विलीन हो गए हैं. दर्जनों घर कटाव के मुहाने पर हैं. जिन लोगों का घर ध्वस्त हुआ है, वे काफी चिंतित हैं.

इसे भी पढ़ें- बिहार के इन जिलों में भारी बारिश से बिगड़े हालात, लोगों को सता रहा सैलाब का खौफ

लोगों के सामने समस्या ये है कि वे खेत में ना तो अपनी फसल बचा सके और ना ही अपने घर-मकान को. आलम ये है कि लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि बीते 19 और 20 अक्टूबर को हुई बारिश की वजह से गांव से होकर गुजरने वाली कनकई नदी ने रौद्र रुप ले लिया है. नदी में आई बाढ़ ने गांव की खुशहाली को ही खत्म कर दिया.

देखें वीडियो

नाराज और चिंतित ग्रामीणों ने कहा कि अगर समय रहते संबंधित विभाग के द्वारा कटाव रोधी कार्य करवाया जाता तो शायद आज उनके सपनों का महल नदी में विलीन नहीं होता. गांव की अधिकांश आबादी खेतीबाड़ी पर ही निर्भर है. ग्रामीण बताते हैं कि महाजनों से ऋण लेकर लोगों ने धान की खेती की थी.

इसे भी पढ़ें- बिहार में बाढ़ से हुआ काफी नुकसान, क्षति का किया जा रहा है आंकलनः जल संसाधन मंत्री

अब तो खेतों में लगी धान की फसल तैयार हो चुकी थी. कुछ ही दिनों में उसे काटना था और फिर उसे बेचकर महाजनों का कर्ज चुकाना था लेकिन अचानक हुई बेमौसम बरसात ने सब खत्म कर दिया. बाढ़ ने खेतों में लगी फसलों के साथ साथ उपजाऊ जमीन को भी अपने आगोश में समेट लिया.

रातों रात यहां के किसान सड़क पर आ गए हैं. ग्रामीण बताते हैं कि अब सिर्फ उनकी जान ही बची है, बाकी सब खत्म हो गया. वे बताते हैं कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को इन समस्याओं को लेकर आगाह कर चुके थे लेकिन किसी ने सुध नहीं ली. नतीजा ये हुआ कि उनका सब कुछ खत्म हो गया.

इसे भी पढ़ें- 2020 में बाढ़ से हुई थी तबाही, 2021 तक नहीं मिली सहायता राशि

जेडीयू के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने कहा कि किसानों की फसलों के नुकसान की मुआवजा को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया था. इसे लेकर राज्य सरकार ने प्रशासन को क्षतिपूर्ति का आकलन करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए जल्द से जल्द महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारा जाएगा जिससे कि आने वाले दिनों में लोगों को तबाही न झेलना पड़े.

किशनगंज: बिहार के किशनगंज जिले से होकर बहने वाली कनकई नदी (Kanakai River Flood) एक बार फिर उफनाई हुई है. दिघलबैंक प्रखंड अंतर्गत आठगाछी पंचायत में कनकई नदी के भीषण कटाव के कारण दो दर्जन से अधिक कच्चे-पक्के मकान पानी की तेज धार में विलीन हो गए हैं. दर्जनों घर कटाव के मुहाने पर हैं. जिन लोगों का घर ध्वस्त हुआ है, वे काफी चिंतित हैं.

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लोगों के सामने समस्या ये है कि वे खेत में ना तो अपनी फसल बचा सके और ना ही अपने घर-मकान को. आलम ये है कि लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि बीते 19 और 20 अक्टूबर को हुई बारिश की वजह से गांव से होकर गुजरने वाली कनकई नदी ने रौद्र रुप ले लिया है. नदी में आई बाढ़ ने गांव की खुशहाली को ही खत्म कर दिया.

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नाराज और चिंतित ग्रामीणों ने कहा कि अगर समय रहते संबंधित विभाग के द्वारा कटाव रोधी कार्य करवाया जाता तो शायद आज उनके सपनों का महल नदी में विलीन नहीं होता. गांव की अधिकांश आबादी खेतीबाड़ी पर ही निर्भर है. ग्रामीण बताते हैं कि महाजनों से ऋण लेकर लोगों ने धान की खेती की थी.

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अब तो खेतों में लगी धान की फसल तैयार हो चुकी थी. कुछ ही दिनों में उसे काटना था और फिर उसे बेचकर महाजनों का कर्ज चुकाना था लेकिन अचानक हुई बेमौसम बरसात ने सब खत्म कर दिया. बाढ़ ने खेतों में लगी फसलों के साथ साथ उपजाऊ जमीन को भी अपने आगोश में समेट लिया.

रातों रात यहां के किसान सड़क पर आ गए हैं. ग्रामीण बताते हैं कि अब सिर्फ उनकी जान ही बची है, बाकी सब खत्म हो गया. वे बताते हैं कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को इन समस्याओं को लेकर आगाह कर चुके थे लेकिन किसी ने सुध नहीं ली. नतीजा ये हुआ कि उनका सब कुछ खत्म हो गया.

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जेडीयू के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने कहा कि किसानों की फसलों के नुकसान की मुआवजा को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया था. इसे लेकर राज्य सरकार ने प्रशासन को क्षतिपूर्ति का आकलन करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए जल्द से जल्द महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारा जाएगा जिससे कि आने वाले दिनों में लोगों को तबाही न झेलना पड़े.

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