खगड़ियाः यहां के गोगरी प्रखंड में पौरा गांव में स्वास्थय केंद्र तो 12 साल पहले ही बन गया था लेकिन गांव वालों को अभी तक इसकी सुविधा नहीं मिली. डॉक्टर तो दूर आज तक यहां एक नर्स भी अपनी ड्यूटी करने नहीं पहुंची. 2007 में बना ये स्वास्थ्य केंद्र केवल कागजों में ही चल रहा है.
ग्रामीणों का कहना है कि साल 2007 में इसका निर्माण हुआ था. इसके बाद से ही स्वास्थ्य केंद्र में कभी कोई डॉक्टर या एनएम नहीं आए. ये इलाका दुर्गम क्षेत्र में पड़ता है इसलिए स्वास्थ्य प्रसाशन से जुड़े अधिकारी भी निरीक्षण करने नहीं आते. वे कहते हैं कि कभी कोई बीमार होता है तो आधी रात में भी गांव से दूर चारपाई से ही मरीज को शहर अस्पताल लेकर जाना पड़ता है.
कई बार की गई शिकायत
ग्रामीण कहते हैं कि स्वास्थ्य व्यवस्था की इस हालत के बारे में डीएम और चिकित्सा अधिकारी को कई बार लिखित शिकायत की गई. प्रशासन को कहते-कहते थक गए, अधिकारी कहते हैं सही समय पर खुल जाएगा. मगर कब? उनका कहना है कि दियारा क्षेत्र होने के कारण उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं, इस चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था पर जब खगड़िया के सिविल सर्जन से बात करनी चाही तो वे कैमरे के आगे बोलने से बचे केवल कार्रवाई का आश्वासन दिया. इसके बाद जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार से जब इस पर प्रतिक्रिया ली तो उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि स्वास्थ्य केंद्र तो खुला हुआ है. बाद में ग्रामीणों के बयान के आधार पर उन्होंने इसकी जांच करने की बात कही.
चुनावी मौसम में नेता नए-नए वादे तो कर रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था का ये हाल सभी दावों की पोल खोल रहा है. ऐसे समय में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जमीनी स्तर पर आकलन की जरूरत है.