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खगड़िया: इस गांव के लोग पर्यावरण को लेकर रहते हैं चिंतित, हर अवसर पर करते हैं ये काम

कन्हौली गांव की इस अनोखी पहल की हर ओर प्रशंसा हो रही है. पर्यावरण को लेकर इनका कदम बेहतर कर सकता है, लेकिन यह तब और बेहतर होगा जब आप भी इससे कुछ सीखेंगे.

unique initiative of tree plantation and plastic ban in khagaria
कन्हौली गांव की अनोखी पहल
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Published : Dec 22, 2019, 1:07 PM IST

खगड़िया: जिले के गोगरी प्रखंड के अंतर्गत कन्हौली गांव से एक ऐतिहासिक कदम की शुरुआत की गई है. जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है. इस गांव में किसी भी अवसर पर पेड़ लगाने की परंपरा है. साथ ही यहां अवसरों पर होने वाले भोजों में प्रयोग किए जाते प्लास्टिक और थर्माकोल की प्लेटों का बहिष्कार किया जाता है. ऐसे में भोज में सिर्फ सखुआ के पत्ते का इस्तेमाल होता है.

'पर्यावरण की रक्षा जरूरी'
कन्हौली गांव के लोगों का कहना है कि पर्यावरण की रक्षा करना जरूरी है. इसके अलावा यदि वे किसी अवसर पर पेड़ लगाते हैं, तो वह अवसर उन्हें ताउम्र याद रहेगा. इसलिए उन लोगों ने श्राद्ध, शादी और जन्मदिन जैसे मौके पर फलदार पेड़ लगाना शुरू किया. वहीं, अवसरों पर थर्माकोल की प्लेट और प्लास्टिक के डिस्पोजल ग्लास का इस्तेमाल करना भी बंद कर दिया है. बदले में सखुआ के पत्ते का प्लेट और स्टील का ग्लास इस्तमाल किया जाता है.

पेड़ लगाने के साथ-साथ प्लास्टिक का बहिष्कार करते हैं ग्रामीण

गांव में लगाए गए हैं 100 पेड़
समाज सेवी अभय कुमार बताते हैं कि इस अनोखी पहल की शुरुआत कन्हौली गांव के ग्रामीणों की ओर से की गई है. जिसका नतीजा ये है कि गांव में अब तक करीब 100 पेड़ लगाए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि यह पहल हर किसी व्यक्ति को करनी चाहिए क्योंकि अब समय आ गया है कि हर कोई पर्यावरण की चिंता करे.

खगड़िया: जिले के गोगरी प्रखंड के अंतर्गत कन्हौली गांव से एक ऐतिहासिक कदम की शुरुआत की गई है. जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है. इस गांव में किसी भी अवसर पर पेड़ लगाने की परंपरा है. साथ ही यहां अवसरों पर होने वाले भोजों में प्रयोग किए जाते प्लास्टिक और थर्माकोल की प्लेटों का बहिष्कार किया जाता है. ऐसे में भोज में सिर्फ सखुआ के पत्ते का इस्तेमाल होता है.

'पर्यावरण की रक्षा जरूरी'
कन्हौली गांव के लोगों का कहना है कि पर्यावरण की रक्षा करना जरूरी है. इसके अलावा यदि वे किसी अवसर पर पेड़ लगाते हैं, तो वह अवसर उन्हें ताउम्र याद रहेगा. इसलिए उन लोगों ने श्राद्ध, शादी और जन्मदिन जैसे मौके पर फलदार पेड़ लगाना शुरू किया. वहीं, अवसरों पर थर्माकोल की प्लेट और प्लास्टिक के डिस्पोजल ग्लास का इस्तेमाल करना भी बंद कर दिया है. बदले में सखुआ के पत्ते का प्लेट और स्टील का ग्लास इस्तमाल किया जाता है.

पेड़ लगाने के साथ-साथ प्लास्टिक का बहिष्कार करते हैं ग्रामीण

गांव में लगाए गए हैं 100 पेड़
समाज सेवी अभय कुमार बताते हैं कि इस अनोखी पहल की शुरुआत कन्हौली गांव के ग्रामीणों की ओर से की गई है. जिसका नतीजा ये है कि गांव में अब तक करीब 100 पेड़ लगाए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि यह पहल हर किसी व्यक्ति को करनी चाहिए क्योंकि अब समय आ गया है कि हर कोई पर्यावरण की चिंता करे.

Intro:खगड़िया के गोगरी प्रखंड के अंतर्गत कन्हौली गांव से एक ऐतिहासिक कदम की शुरुआत की गई है। जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है। इस गांव में कोई भी खुशी या गम के अवसर पर पेड़ लगाय जा रहे है व प्लास्टिक को बहिष्कार करने के लिए भोज में सखुआ के पत्ते का इस्तेमाल किया जा रहा है


Body:खगड़िया के गोगरी प्रखंड के अंतर्गत कन्हौली गांव से एक ऐतिहासिक कदम की शुरुआत की गई है। जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है। इस गांव में कोई भी खुशी या गम के अवसर पर पेड़ लगाय जा रहे है व प्लास्टिक को बहिष्कार करने के लिए भोज में सखुआ के पत्ते का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पर्यावरण को ले कर जिस तरीके से पूरे विश्व चिन्तित है लेकिन किसी के द्वारा कोई कदम इसके लिए नही उठाया जा रहा है। वंही ऐसे मौके पर खगड़िया जिला का एक पूरा गांव सामने आया है और अनोखा काम कर के खगड़िया के साथ बिहार को भी एक संदेश दे रहा है। खगड़िया के कन्हौली गांव के लोग श्राद्ध के मौके पर जो ब्राह्मण भोज खिलाया जाता है उसका बहिष्कार करना शुरु कर दिए है क्यों कि इस प्रथा के वजह से वैसे लोगो को भी मजबूरन भोज देना पड़ता है जो बहुत गरीब होते है और कर्ज ले कर के समाज के लाज लिहाज में भोज देते है।
दूसरी शुरआत इस गांव के द्वारा ये किया गया है कि श्राद्ध ,शादी,जन्मदिन, शादी सालगिरह ऐसे मौके पर पैसा के हिसाब से फलदार पेड़ लगाया जाता है। इसके पीछे वजह ये है कि एक तो पर्यावरण की सुरक्षा होगी और दूसरी जिस अवसर पर लगया जा रहा है वो ताउम्र याद रहेगी।
तीसरी शुरआत जो ग्रामीण किये है वो ये है कि थर्मोकोल प्लेट,प्लास्टिक का डिस्पोजल ग्लास का इस्तेमाल करना बिल्कुल बंद कर दिए है और इसके बदले में सखुआ के पत्ता और स्टील का ग्लास पानी के लिए इस्तेमाल कर रहे है। और ये संदेश तो आग की तरह पूरे खगड़िया में फैल रही है और लोगो मे जगरूकता भी आ रही है।

विओ 1
अभय कुमार गुड्डू जो कि खगड़िया एक समाज सेवी है उनका कहना है कि एक अनोखी पहल कन्हौली गांव के ग्रामीणों के द्वारा शुरू की गई है। जिसका नतीजा अभी ये है कि इस गांव में अब तक करीब 100 पेड़ लगाया जा चुका है। ये पहल हर किसी को आगे आ कर करनी चाहिए क्यों कि अब समय आ गया है कि हर व्यक्ति पर्यवारण सुरक्षा की चिंता करे।

विओ 2
नीलेश कुमार यादव कन्हौली गांव के निवासी है और कुछ ही महीने पहले इनकी दादी का देहांत हुआ था। अपने दादी के श्राद्ध में नीलेश यादव 5 पांच फलदार पेड़ लगाए है, 2 आम का पेड़ 1 अमरूद और 1 अनार के एक लिच्ची का पेड़ लगाय है और सभी पेड़ का नाम अपनी दादी के नाम पर रखे है। ताकि हर व्यक्ति इन पेड़ो का आदर करे पानी डालें और फल तोड़ कर खाय। नीलेश यादव अपने बच्चे के जन्मदिवस पर भी 5 फलदार पेड़ लगाय है।

विओ 3
कन्हौली गांव के ग्रामीण है राजेश कुमार यादव इनका कहना है कि जो श्राद्ध का भोज है उसका बहिष्कार इसलिए कर रहे है क्यों कि जो पैसे वाले लोग है वो तो आसानी से भोज दे देते है। लेकिन जो गरीब लोग है उसको श्राद्ध के भोज के लिए जमीन बेचना पड़ जाता है वो भी ऐसे काम के लिए जिसकी समाज मे कोई जरूरत नही है। इसलिए हम सभी गांव वासी जंहा भी जाते है वंहा श्राद्ध का भोज ना कराने की सलाह देते है। और इसके बदले 5 फलदार पेड़ लगाने की भी सलाह देते है।

ग्रामीण बाइट-अभय कुमार गुड्डू, नीलेश यादव, राजेश कुमार यादव


Conclusion:खगड़िया के कन्हौली गांव के निवासी जो ऐतिहासिक कदम उठाये है। उस से हर लोगो को सिख लेने की जरूरत है। और पर्यवारण को देखते हुए प्लास्टिक का बहिष्कार का जरूरी तो है ही। पर्यवारण को बढ़ाने के लिए पेड़ भी लगाना चाहिए।
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